भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) में इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को रोकने की अपील के प्रस्ताव की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। शुक्रवार (27 अक्टूबर, 2023) को यूएनजीए में जॉर्डन के पेश किए इस प्रस्ताव में इजरायल पर हमला करने वाले इस्लामी आतंकी संगठन हमास का नाम तक नहीं था।
इस प्रस्ताव में गाजा पट्टी में बेरोकटोक मानवीय मदद पहुँचाने को लेकर भी अपील की गई। अब भारत ने इस प्रस्ताव से दूरी बनाने को लेकर कहा है कि वो इजरायल और फिलीस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए समाधान का समर्थन करता है, लेकिन इजरायल पर हमास के हमले की कड़ी निंदा करता है। वोटिंग से दूर रहने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप दूत योजना पटेल ने भारत की बात रखी।
इजरायल और हमास के संघर्ष विराम को लेकर पेश किए गए इस प्रस्ताव का शीर्षक ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखना’ था। इसके पक्ष में 120 देशों ने वोट किया। वहीं 14 ने इसके खिलाफ वोट दिया तो 45 देशों ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया। भारत उनमें से एक था।
इसे लेकर यूएन में देश की स्थायी उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा, “ऐसी दुनिया में जहाँ मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा को लेकर गहराई से फिक्रमंद होना चाहिए। वह भी तब, जब यह इतने बड़े पैमाने और तेजी से हो रही हो जो कि बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान हो। राजनीतिक उद्देश्य को प्राप्त करने के साधन के तौर पर हिंसा अंधाधुंध नुकसान पहुँचाती है और किसी भी टिकाऊ समाधान की राह नहीं दिखाती है।”
#IndiaAtUN
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) October 27, 2023
Ambassador @PatelYojna, Deputy Permanent Representative, delivered the explanation of India's vote at the 10th #UNGA Emergency Special Session today
Statement: https://t.co/6tOLVQnNv4 pic.twitter.com/phbvs5GiP8
उन्होंने आगे कहा कि 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक हैं। हमारी संवेदनाएँ बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं। हम उनकी तत्काल और बगैर शर्त रिहाई की माँग करते हैं। आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई हदें, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। दुनिया को आतंकवादी कृत्यों के किसी भी औचित्य पर यकीन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का नजरिया अपनाएँ।
यूएन में देश की उप स्थायी प्रतिनिधि पटेल ने कहा कि गाजा में चल रहे संघर्ष में हताहतों की संख्या एक गंभीर, संगीन और लगातार चिंता पैदा करने वाला विषय हैं। नागरिक, खासकर महिलाएँ और बच्चे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं। इस मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के कोशिशों और गाजा के लोगों को मानवीय मदद देने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस कोशिश में योगदान दिया है।
उन्होंने कहा, भारत इस चल रहे संघर्ष में बिगड़ते सुरक्षा हालात और नागरिकों की जान की हैरान कर देने वाले नुकसान से बेहद फिक्रमंद है। इस क्षेत्र में शत्रुता बढ़ने से मानवीय संकट और बढ़ेगा। ऐसे वक्त में सभी पक्षों को बहुत अधिक जिम्मेदारी का परिचय देना जरूरी है।
पटेल ने कहा भारत ने हमेशा इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है। जिसमें इजरायल के साथ शांति से सुरक्षित और मान्यता वाली सीमाओं के अंदर रहने वाले एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यावहारिक फिलिस्तीन राज्य की स्थापना हो सके।
अपनी बात को खत्म करते हुए योजना पटेल ने कहा, “इसके लिए, हम पार्टियों से विनती करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और सीधी शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने के लिए स्थितियाँ बनाने की दिशा में काम करें। हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक साफ संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट का समाधान करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा।”
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव पर आम सभा में वोटिंग से पहले 193 सदस्यीय निकाय ने कनाडा के प्रस्तावित और अमेरिका के सह-प्रायोजित एक संशोधन पर विचार किया। कनाडा के प्रस्तावित संशोधन में प्रस्ताव में एक पैराग्राफ डालने के लिए कहा गया।
इसमें पैराग्राफ में कहा गया कि महासभा 7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल में शुरू हुए हमास के आतंकवादी हमलों को साफ तौर पर खारिज करती है। इनकी निंदा करती है। इसके साथ बंधक बनाने की भी निंदा करती है। बंधकों की सुरक्षा की माँग करती है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत बंधकों की भलाई और उनसे मानवीय व्यवहार और उनकी तत्काल और बगैर शर्त रिहाई की अपील करती है।
भारत ने 87 अन्य देशों सहित इस संशोधन के पक्ष में मतदान किया। वहीं 55 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 23 गैरहाजिर रहे। मौजूद रहे और वोट करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत न मिलने की वजह से इस मसौदा संशोधन को अपनाया नहीं जा सका। इस वजह से यूएनजीए के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने मसौदा संशोधन को अपनाए न जाने का एलान किया।