पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत किसी से छिपी नहीं है। अब वहाँ के हिंदू सांसद दानिश कुमार ने संसद में कहा है कि साथी सांसद उन पर इस्लाम अपनाने का दबाव डालते हैं। उन्होंने यह भी कहा, “जो लोग मुझे इस्लाम अपनाने के लिए कहते हैं वे पहले मुनाफाखोरों को मुस्लिम बनाएँ इसके बाद उपदेश दें।” दानिश कुमार ने यह बात गुरुवार (6 अप्रैल 2023) को कही।
दरअसल, दानिश कुमार पाकिस्तान में उपजे मौजूदा खाद्य संकट और महँगाई को लेकर संसद के उच्च सदन में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में महँगाई बढ़ रही है। रमजान से पहले केले की कीमत 150 रुपए थी। अब यह 400-450 रुपए पहुँच गई है। इसी तरह अन्य चीजों की कीमतें भी बढ़ गईं हैं। उन्होंने कहा है, “मैं गैर-मुस्लिम हूँ लेकिन मुझे शर्म आ रही है कि यहाँ कैसे लोग हैं जो अपने मुस्लिम भाइयों का ही खून चूस रहे हैं।”
Senator Danesh Kumar. pic.twitter.com/YRSeqNCpr2
— Zulfiqar Ahmed 🤔 (@ZulfiqarAhmed69) April 5, 2023
दानिश कुमार ने आगे कहा है, “सर मैं आपको बताता हूँ, यहाँ पर मेरे दोस्त हैं जो मुझसे कहते हैं कि दानिश कुमार कलमा पढ़ लो, मुस्लिम हो जाओ। पहले आप उन शैतानों को जो मुनाफाखोर हैं, उन्हें मुस्लिम बनाएँ। फिर दानिश कुमार को उपदेश दें। मैं चाहता हूँ कि ये लोग वादा करें जब तक ये उन्हें मुस्लिम नहीं बनाते, तब तक मुझे उपदेश नहीं देंगे।”
कौन हैं दानिश कुमार
दानिश कुमार पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट के सदस्य हैं। वह अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर संसद से सड़क तक मुखर रहे हैं। साल 2018 में बलूचिस्तान अवामी पार्टी ने उन्हें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट टिकट दिया था। जहाँ से जीतकर वह सांसद बने। इससे पहले वज बलूचिस्तान की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य (विधायक) भी रह चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र भी जता चुका है चिंता
बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषज्ञ भी चिंता चुके हैं। इसी साल जनवरी में यूएन के विशेषज्ञों ने कहा था कि पाकिस्तान में अपहरण, जबरन विवाह, और नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्मांतरण में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
यूएन के मानवाधिकार विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा था, “हमें यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि 13 साल से उम्र की लड़कियों को उनके घरों से अगवा किया जा रहा है। इसके बाद तस्करी करके इन लड़कियों को घरों से दूर स्थानों पर भेजा जा रहा है। कभी-कभी उनकी उम्र से दोगुनी उम्र के पुरुषों से शादी करने और इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है।”
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने यह भी कहा था, “हम बहुत चिन्तित हैं कि इस तरह के विवाह और धर्मांतरण, इन लड़कियों और महिलाओं या उनके परिवारों को हिंसा की धमकी देकर करवाए जा रहे हैं।” इन विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में, जबरन धर्मांतरण और अल्पसंख्यक पीड़ित परिवारों को न्याय न मिल पाने को लेकर भी निराशा जताई थी।