आंध्र प्रदेश के राजामहेंद्रवरम और विजयवाड़ा रेलवे स्टेशनों पर शुक्रवार (2 जुलाई 2021) को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और पुलिस ने आठ अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़ा। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस को खुफिया अधिकारियों से सूचना मिली थी कि कुछ बांग्लादेशी नागरिकों ने भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया है और ये सभी हावड़ा-चेन्नई मेल और हावड़ा-वास्कोडीगामा अमरावती एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि चार-चार लोगों के समूह में यात्रा कर रहे इन आठ लोगों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर जल निकासी पाइप के जरिए देश में प्रवेश किया था। गिरफ्तार अप्रवासियों के दावे के अनुसार, अब यह पता लगाने के लिए जाँच चल रही है कि क्या अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोई जल निकासी पाइप हैं, या उन्होंने कुछ भूमिगत मार्गों से भारत में प्रवेश किया है।
आरोपित मोहम्मद हासन (33), उसके भाई हैदर अली खान (37), इमदादिल खान (21) और एक अन्य रिश्तेदार स्यूदुल्लाह शेख (25) को हावड़ा-गोवा वास्कोडीगामा एक्सप्रेस में बिना पासपोर्ट के यात्रा करते हुए गिरफ्तार किया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने अवैध रूप से देश में घुसने की बात कबूल की है। वहीं, आरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर एल विश्वनाथ द्वारा गिरफ्तार किए गए शेख सद्दाम (25), मोहम्मद अली अमीन (19), मोहम्मद सकायत हुसैन (37) और खय्यूम खान (25) के चार लोगों का समूह काम करने के लिए चेन्नई जा रहे थे।
खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी
बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद बांग्लादेश के नागरिकों ने कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर ली थी। देश में प्रवेश करने के बाद वे कथित तौर पर पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों में बस गए और तब से निर्माण स्थलों पर दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इन बांग्लादेशियों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन एंड्रॉयड डिवाइस वाले नहीं थे। जब्त किए गए मोबाइल फोन को अवैध प्रवासियों के संपर्कों का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेज दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, विजयवाड़ा और राजामहेंद्रवरम पुलिस ने सूचित किया है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय, बांग्लादेश दूतावास और ढाका में भारतीय दूतावास को इन गिरफ्तारियों से अवगत करा दिया है। अवैध अप्रवासियों की पुलिस हिरासत की माँग को लेकर अदालत में याचिका दायर करने की व्यवस्था भी की जा रही है।
फर्जी पहचान पत्र
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लगभग सभी अवैध अप्रवासियों के पास पासपोर्ट नहीं है, लेकिन उनके पास से आधार कार्ड, पैन कार्ड और नकली पते वाले मतदाता पहचान पत्र जैसे फर्जी पहचान पत्र मिले हैं। ध्यान दें कि इससे पहले भी हमने आपको उत्तर प्रदेश में सामने आए ऐसे ही मामलों की सूचना दी थी।
गौरतलब है कि जून 2021 में उत्तर प्रदेश एटीएस ने अवैध रूप से भारत में बांग्लादेशियों की घुसपैठ कराने के मामले में 4 रोहिंग्या अवैध प्रवासियों हाफिज शमीउल्लाह, अज़ीज़ुल रहमान, मोहम्मद इस्माइल और मुफ़िज़ुर रहमान को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा था कि आरोपित ने फर्जी दस्तावेजों जैसे वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि की मदद से बांग्लादेश में बसे रोहिंग्याओं को भारत आने में मदद की थी।
हाफिज शफीक मेरठ में एक गिरोह चल रहा था, जो भारत में लाए गए रोहिंग्याओं के आधार, वोटर आईडी, पासपोर्ट आदि बनवाते थे। इन्होंने कई महिला रोहिंग्याओं की मानव तस्करी करके विदेशों में भी पहुंचाया है। हाफिज शफीक सहित 4 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है: प्रशांत कुमार ADG (कानून व्यवस्था) UP pic.twitter.com/rBCTrYeZqb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2021
एक अन्य मामले में उत्तर प्रदेश एटीएस ने गाजियाबाद में रहने वाले नूर आलम और आमिर हुसैन नाम के दो रोहिंग्याओं को जाली कागजात के साथ गिरफ्तार किया था। एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने खुलासा किया था कि नूर आलम देश में रोहिंग्या लोगों को अवैध रूप से प्रवेश कराकर उन्हें यहाँ की भारतीय नागरिकता दिलाने का मास्टरमाइंड है। दोनों आरोपित मूल रूप से म्यांमार के हैं। वहीं नूर, 6 जनवरी 2021 को गिरफ्तार हुए रोहिंग्या अजीजुल्लाह का बहनोई है। अजीजुल्लाह की गिरफ्तारी के बाद से एटीएस नूर की तलाश कर रही थी। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध प्रवासियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके लिए उन्हें आर्थिक सहायता भी मिल रही है।