Monday, November 18, 2024
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सीमा पर ड्रैगन की चालबाजियों से खराब हुए दोनों देशों के रिश्ते: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को घेरा

"ये नहीं हो सकता कि सीमा पर गड़बड़ी हो और बाक़ी रिश्ते सामान्य बने रहें। हमने अपनी तरफ़ से हर स्तर पर चीन को अपनी बात बता दी है। मैं चीन के विदेश मंत्री से मिला। रक्षा मंत्री चीन के रक्षा मंत्री से मिले। इसलिए ये नहीं कह सकते कि संवाद की समस्या है। समस्या ये है कि समझौतों को ताक पर रखा गया है।"

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत-चीन के संबंध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, ये नहीं हो सकता कि सीमा पर गड़बड़ी हो और बाक़ी रिश्ते सामान्य बने रहें। भारत ने अपनी तरफ से मामले को समेटने की पूरी कोशिश की है। दोनों देशों के बीच कुछ एग्रीमेंट हैं, जिनका चीन द्वारा पालन नहीं किया गया जिसकी वजह से समस्या उत्पन्न हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक लौवी इंस्टीट्यूट के साथ हो रहे ऑनलाइन बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध “बहुत क्षतिग्रस्त स्थिति” में हैं और बीजिंग के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए समझौतों के उल्लंघन के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई।

सीमा पर भारत और चीन के बीच हुए हिंसक झड़प के आठ महीने बाद जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच कुछ एग्रीमेंट हैं, जिनका पालन नहीं किया गया। LAC पर चीन की तरफ़ से की गई एकतरफ़ा कार्रवाई ने स्थिति को ख़राब किया है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि पिछले 30-40 साल में भारत-चीन के संबंध संभवत: सबसे मुश्किल दौर में हैं। हमारे समझौतों में ये तय था कि दोनों देश में से कोई सीमा पर बड़ी तादाद में सेना को लेकर न आएगा। लेकिन चीन ने इस सहमति को तोड़ा और हज़ारों की तादाद में सैनिकों को लेकर लद्दाख में सैन्य तैयारियों के साथ आया। इससे समस्या पैदा हुई और गलवान घाटी में जून में हमारी तरफ़ से 20 सैनिकों की जान गई। इससे पहले, सीमा पर पिछली बार सैनिकों की जान 1975 में गई थी।

उन्होंने आगे कहा, 1988 से भारत-चीन के संबंध सकारात्मक तरीक़े से बढ़ रहे थे। 30 साल पहले दोनों देशों के बीच वास्तव में कोई व्यापार नहीं था, लेकिन बाद में चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया। अब हालात फिर से बिगड़ रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि एलएसी विवाद के कारण समग्र द्विपक्षीय संबंध दाँव पर है।

दोनों देशों में समझौता इस तथ्य पर आधारित था कि दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सहमति व्यक्त की थी। जबकि LAC पर पेट्रोलिंग के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच बहस या हल्की फुल्की झड़प चलती रहती थी जो कि एक तरह से सामान्य बात थी। लेकिन छोटी मोटी सीमा विवाद सुलझाने के लिए हम एक-दूसरे से लगातार बातचीत में रहते थे।

विदेश मंत्री ने कहा, “ये नहीं हो सकता कि सीमा पर गड़बड़ी हो और बाक़ी रिश्ते सामान्य बने रहें। हमने अपनी तरफ़ से हर स्तर पर चीन को अपनी बात बता दी है। मैं चीन के विदेश मंत्री से मिला। रक्षा मंत्री चीन के रक्षा मंत्री से मिले। इसलिए ये नहीं कह सकते कि संवाद की समस्या है। समस्या ये है कि समझौतों को ताक पर रखा गया है।”

LAC पर जारी गतिरोध को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, “चीन लगातार सीमा पार करने की गुस्ताखी कर रहा है। पड़ोसी मुल्क समझौतों को नहीं रख रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ने से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं। इस संकट से निपटना ही दोनों पक्षों के बीच वास्तविक मुद्दा है।” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद है, लेकिन जबतक ये विवाद रहता है तब तक दोनों देशों को बॉर्डर पर शांति बरतनी होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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