पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने पिछले हफ्ते 10 फरवरी 2023 (शुक्रवार) को कराची में इज्तेमा नामक तब्लीगी जमात की एक विशाल सभा में भाग लिया। इस सालाना इज्तेमा में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के अंतरिम मुख्य चयनकर्ता को चाय का आनंद लेते और बाद में ऊँघते हुए देखा जा सकता है।
बता दें कि 2021 में इस्लामी मुल्क सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सऊदी अरब ने इस इस्लामिक संगठन को ‘आतंक का द्वार’ बताया था। भारत सहित अन्य देशों में भी इसकी कार्य-प्रणाली को लेकर सवाल उठते रहते हैं।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कराची में शुक्रवार को तब्लीगी जमात का एक वार्षिक इज्तेमा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में हजारों मुस्लिमों ने भाग लिया। कथित तौर पर, उस इज्तेमा में भाग लेते हुए अफरीदी की तस्वीरें और वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल हो रहा है।
Beshak kamyabi Allah ki raah me hy , Shahid afridi at karachi ijtema pic.twitter.com/LgUHyPunTJ
— Huzaifa khan (@HuzaifaKhan021) February 12, 2023
सिर्फ अफरीदी ही नहीं, इस दीनी इज्तेमा में सिंध के गवर्नर कामरान टेसरी और MQM के नेता खालिद मकबूल सिद्दीकी भी मौजूद थे। तब्लीगी जमात की इस सभा में लोगों ने विशेष प्रार्थना की और इस्लाम का संदेश दिया।
इज्तेमा मुस्लिमों के शक्ति प्रदर्शन का एक कार्यक्रम है, जो इस्लाम के मानने वालों के ‘नैतिक’ सुधार के बारे में है। इसे अक्सर इसे ‘मुसलमानों को सच्चा मुसलमान बनाने’ के रूप में वर्णित किया जाता है। इसे एक धार्मिक कार्यक्रम कहा जाता है, जिसमें कई इस्लामी विद्वान लोगों को मार्गदर्शन देने के लिए आते हैं। यह मुस्लिमों के लिए इस्लामी संगठनों द्वारा आयोजित एक इस्लामी सभा है। यह पूरी दुनिया में तब्लीगी जमात का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम माना जाता है, क्योंकि यह मुस्लिमों के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालने का दावा करता है।
तब्लीगी जमात एक वैश्विक इस्लामी मूवमेंट है, जो मुस्लिमों से आग्रह करता है कि वे पैगंबर मुहम्मद के समय में इस्लाम के तौर-तरीकों की ओर वापस लौटें। यह संगठन पहनावे और व्यक्तिगत व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करता है। इसे 20वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली इस्लामी धार्मिक आंदोलनों में से एक माना जाता है।
हज की इस्लामी तीर्थयात्रा के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम जमात बन गई है। एक यूरोपीय जर्नल के अनुसार, इज्तेमा में भागीदारी, धार्मिक अधिकार, प्रतिष्ठा और अधिकारिता को बढ़ावा देती है और उम्माह की अवधारणा के माध्यम से मुस्लिम पहचान को जोड़ती है।
इस तरह की एक मण्डली दिल्ली में वर्ष 2020 में आयोजित की गई थी। उस वक्त कोरोना महामारी का दौर था। इसके बाद इज्तेमा में भीड़ को देखते हुए इसे कोरोना फैलाने वाला बताया गया था। यह आयोजन मार्च 2020 की पहली छमाही में निजामुद्दीन मरकज में हुआ था। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले मुस्लिम, उनके परिवार के सदस्य और उनके संपर्क में आने वाले अन्य लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके कारण देश में कोरोनो वायरस के मामलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई थी।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुल 14,378 कोरोना वायरस मामलों (अप्रैल 2020 तक) में से लगभग 30% यानी 4291 मामले तब्लीगी जमात द्वारा दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज के आयोजित किए गए कार्यक्रम के कारण हुए थे।