लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर शुक्रवार को पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल पाएगा। बैंक से करोड़ों की धोखाधड़ी कर लंदन भागे नीरव मोदी मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान पूर्व जस्टिस काटजू ने कहा कि अगर हीरा कारोबारी नीरव मोदी का भारत में प्रत्यर्पण किया जाता है तो भारत में निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल पाएगा।
नई दिल्ली से 130 मिनट के अपने बयान में काटजू ने आरोप लगाया कि भारत में न्यायिक व्यवस्था चौपट हो गई है। उन्होंने दावा किया कि जाँच एजेंसियाँ जैसे- सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय राजनीतिक गुरुओं के इशारों पर काम कर रही हैं।
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर पंजाब नैशनल बैंक को दो अरब अमेरिकी डॉलर का चूना लगाने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। काटजू ने नीरव मोदी के बचाव में लिखित और मौखिक दावों में कहा कि भारत में न्यायपालिका का अधिकांश हिस्सा भ्रष्ट है और जाँच एजेंसियाँ सरकार की ओर झुकाव रखती हैं। लिहाजा नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा।
कोर्ट में पाँच-दिवसीय सुनवाई नीरव मोदी के प्रत्यर्पण ट्रायल का हिस्सा है, जिसमें जजों को यह तय करने की आवश्यकता है कि क्या भारत सरकार द्वारा पेश साक्ष्य के आधार पर भारत में उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला है- सजा या अपराध के निर्णय तक नहीं पहुँचने के लिए।
काटजू ने अपने आरोपों के समर्थन में कई केस और मुद्दों को रखा, जिनमें 2019 में पूर्व जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच की तरफ से अयोध्या पर दिया गया फैसला शामिल हैं, जिन्हें बाद में राज्यसभा का सदस्य नियुक्त किया गया। इसके साथ ही, उन्होंने रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति, मीडिया ट्रायल और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी रखा।
रविशंकर प्रसाद की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीरव मोदी को “अपराधी” कहने पर सवाल उठाते हुए काटजू ने कहा, “भारत सरकार ने अपने दिमाग में बिठा लिया है कि नीरव मोदी एक अपराधी है। क्या रविशंकर प्रसाद जज हैं? किस तरह के वह कानून मंत्री हैं? कैसे हम निष्पक्ष ट्रायल की उम्मीद करेंगे? ”
काटजू के इन दावों पर भारत सरकार की ओर से मुकदमा लड़ रही ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने पलटवार किया।
बैरिस्टर हेलेन मैल्कम ने सवाल किया, ”क्या ऐसा संभव है। आप स्वघोषित गवाह हैं, जो कुछ भी बयान दे सकते हैं।” इस पर काटजू ने जवाब दिया, ”आप अपने विचार रखने के हकदार हैं।”
मैल्कम ने इस विचाराधीन मामले में ब्रिटेन की अदालत में पेश किए जाने वाले सबूतों के संबंध में इस सप्ताह की शुरुआत में भारत में मीडिया को साक्षात्कार देने के काटजू के फैसले के बारे में भी सवाल किया, जिस पर काटजू ने कहा कि वह केवल पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे और ”राष्ट्रीय महत्व” के मामलों पर बोलना उनका कर्तव्य है।
बता दें कि 5 दिन की सुनवाई के अंतिम दिन जस्टिस सैमुअल गूजी ने काटजू की विस्तृत गवाही सुनने के बाद मामले की सुनवाई 3 नवंबर तक स्थगित कर दी। तीन नवंबर को वह भारतीय अधिकारियों की तरफ से पेश किए गए सबूतों की स्वीकार्यता से जुड़े तथ्यों पर सुनवाई करेंगे।