Saturday, November 23, 2024
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चीन के बाद इस्लाम को अपने हिसाब से ढालेगा फ्रांस: सेक्युलर बनेंगी मुस्लिम प्रथाएँ, नए इस्लामी फोरम में महिलाओं को भी जगह

फ्रांसीसी सरकार द्वारा पेश किया गया ये नया निकाय काउंसिल फॉर मुस्लिम फेथ को रिप्लेस करेगा जिसकी स्थापना 2003 में की गई थी। आंतरिक मंत्री ने गेराल्ड डर्मेनिन ने इसे लेकर कहा कि वो इस्लाम पर बाहरी देशों के प्रभाव पर विराम लगाकर एक क्रांति लाना चाहते हैं।

फ्रांसीसी सरकार ने कट्टरपंथ से लड़ने के लिए इस्लाम को लेकर बड़ा फैसला किया है। शनिवार (फरवरी 5, 2022) को वहाँ की सरकार ने इस्लाम को अपने मुताबिक ढालने के लिए एक निकाय को पेश किया जिसमें इमाम, कुछ सामान्य जन और महिलाएँ होंगी। इस नए निकाय का नाम ‘फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस’ है।

जानकारी के मुताबिक, फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय ने इस निकाह को पेश किया, जिसके बाद समर्थकों ने कहा कि ये फैसला देश और इसके 5 मिलियन मुसलमानों को सुरक्षित और विदेशी प्रभाव से मुक्त रखेगा। इससे सुनिश्चित होगा कि फ्रांस में मुस्लिम प्रथाएँ सार्वजनिक जीवन में धर्मनिरपेक्षता वाले देश के मूल्यों का पालन करें।

इस नए निकाय में इमाम, समाज के प्रभावशाली लोग, प्रमुख बुद्धिजीवी और व्यापारिक नेता शामिल होंगे। फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इसके सभी सदस्यों को सरकार द्वारा चुना जाएगा, जिसमें कम से कम एक चौथाई महिलाएँ होंगी। इस मामले पर मुस्लिम उलेमाओं समेत आलोचकों का कहना है कि इस तरह इस्लाम को ढालने की कोशिश फ्रांसीसी राष्ट्रपति इम्मैनुअल मैक्रों की कोशिश है जिससे वो दक्षिणपंथी लोगों का समर्थन पा सकें।

फ्रांसीसी सरकार द्वारा पेश किया गया ये नया निकाय काउंसिल फॉर मुस्लिम फेथ को रिप्लेस करेगा जिसकी स्थापना 2003 में की गई थी। आंतरिक मंत्री गेराल्ड डर्मेनिन ने इसे लेकर कहा कि वो इस्लाम पर बाहरी देशों के प्रभाव पर विराम लगाकर एक क्रांति लाना चाहते हैं। इस्लाम विदेशियों का मजहब नहीं है। ये फ्रांसीसी मजहब हैं जो विदेशी धन और किसी भी विदेशी प्राधिकरण पर निर्भर नहीं होना चाहिए। बता दें कि कई मजहबी इमारतें गल्फ देशों से फंड पाकर यूरोप में बनाई जाती हैं जिसके कारण इस्लामी कट्टरपंथ को पैर पसारने की जगह मिलती हैं। इस निकाय का काम होगा कि फ्रांस में मुस्लिम की प्रथाएँ धर्मनिरपेक्ष देश के मूल्यों के तहत हों।

फ्रांस में कट्टरपंथियों से लड़ने के लिए मस्जिदें बंद

गौरतलब है कि फ्रांस लंबे समय से इस्लामी कट्टरपंथियों से लड़ने की कोशिशों में लगा हुआ है। पिछले दिनों फ्रांस सरकार ने ‘कट्टरपंथी इस्लाम’ को पनाह देने और ‘आतंकवादी हमलों को वैध ठहराने’ के लिए ले मैंस के पास एलोनेस में एक मस्जिद को बंद करने का आदेश दिया था। गृह मंत्री डारमैनिन ने तब मस्जिद बंद का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा था, “इस मस्जिद में फ़्रांस के प्रति घृणा पैदा करने वाले संदेशों के जरिए भड़काया गया।” 

चीन में इस्लाम कट्टरपंथ से लड़ने के लिए उइगरों पर अत्याचार

मालूम हो कि फ्रांस अकेला ऐसा देश नहीं है इस्लामी कट्टरपंथ से निपटने के लिए उसे अपने तौर-तरीके में ढालने के लिए प्रयासरत हो। चीन में भी हम देख चुके हैं कि इस्लाम के चरमपंथ से बचने के लिए वहाँ उइगरों पर कम्युनिस्ट पार्टी तमाम अत्याचार करती रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने उइगरों को आतंकी और इस्लामी तौर पर कट्टर बताया था और कहा था कि ये लोग मजहब को कानून से ऊपर मानते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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