Monday, December 23, 2024
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खाँसी की सिरप पीने के बाद अफ्रीका में 66 बच्चों की मौत: WHO ने 4 दवाओं को लेकर जारी की चेतावनी, भारत ने सैंपल जाँच को भेजे

WHO ने कहा कि आज तक इस कंपनी ने इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता की गारंटी नहीं दी है। डायथाइलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल के प्रभाव से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब न होना, सिरदर्द, बदली हुई मानसिक स्थिति, और किडनी की समस्या हो सकती है और जान भी जा सकती है।

अफ्रीकी देश गांबिया (African country Gambia) में कथित रूप से खाँसी की सिरप पीने के बाद 66 बच्चों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसके लिए भारत की दवा निर्माता कंपनी को जिम्मेवार बताया है। WHO की चेतावनी के बाद दिल्ली स्थित केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (DCGI) ने दवा कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले इन कफ सिरप की जाँच का आदेश दिया है।

वहीं, हरियाणा सरकार भी अपनी तरफ से इसकी जाँच कर रही है। इन दवाओं को बनाने वाली सोनीपत की कंपनी से सैंपल लेकर हरियाणा सरकार ने जाँच के भेजा है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (Haryana Health Minister Anil Vij) ने कहा कि जिन चार कफ सिरपों के लेकर विवाद हुआ है, उनके सैंपल लेकर कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी (CDL) में जाँच के लिए भेजा गया है।

मंत्री अनिल विज ने बताया कि सोनीपत की दवा कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (Maiden Pharmaceuticals Limited) से ये नमूने भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGA) और हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की एक टीम ने एकत्र किए गए हैं। बता दें कि जिन चार कफ सिरप को लेकर WHO चेतावनी जारी की है, वे हैं- प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन (Promethazine Oral Solution), कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप (Kofexmalin Baby Cough Syrup), मकॉफ बेबी कफ सिरप (Makoff Baby Cough Syrup) और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप (Magrip N Cold Syrup)।

अनिल विज ने आगे कहा, “फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप को निर्यात के लिए मंजूरी दी गई थी। यह देश में बिक्री या विपणन के लिए उपलब्ध नहीं है। सीडीएल की रिपोर्ट आने के बाद जो भी कार्रवाई करनी होगी, वह की जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद ही हम इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि गांबिया में हुई मौतें इन दवाओं के कारण हुई हैं या किसी अन्य कारण से।”

दरअसल, गांबिया में 29 सितंबर 2022 को 66 बच्चों की मौत पर WHO ने बुधवार (5 अक्टूबर 2022) को एक रिपोर्ट में कहा कि खाँसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं। WHO के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुँची।

WHO ने कहा कि इन मौतों के लिए अब तक खाँसी की चार दवाओं की पहचान की गई है। इसके लिए दुनिया के बाकी देशों को भी चेतावनी जारी की गई है। दोयम दर्जे के ये उत्पाद असुरक्षित हैं और खासकर बच्चों की मौत का कारण बन सकते हैं। WHO का कहना है कि इसके 23 नमूनों में से 4 नमूनों में डायथाइलीन ग्लाइकॉल/एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई है, जो इंसान के लिए जहर के समान है।

WHO ने कहा कि आज तक इस कंपनी ने इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता की गारंटी नहीं दी है। डायथाइलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल के प्रभाव से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब न होना, सिरदर्द, बदली हुई मानसिक स्थिति, और किडनी की समस्या हो सकती है और जान भी जा सकती है। WHO ने कहा उत्पादों के सभी बैचों को तब तक असुरक्षित माना जाना चाहिए, जब तक कि संबंधित राष्ट्रीय नियामक द्वारा उनकी सही से जाँच नहीं हो जाती।

इस मामले को लेकर ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (AIOCD) ने कहा है कि यह कंपनी अपने उत्पाद सिर्फ निर्यात करती है, फिर भी इस बारे में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) कोई दिशा निर्देश देगा तो उसका पालन किया जाएगा। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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