Monday, December 23, 2024
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‘कट्टर इस्लामी सोच के खिलाफ खड़े हों गीता-उपनिषद मानने वाले हिन्दू’: जिसने बनाई हमास, उसके ही बेटे ने कहा- इजरायल के पीछे एकजुट हो दुनिया

हमास फाउंडर के बेटे ने कहा, “वे अपने इस्लामिक राज्य बनाने की शर्त के तौर पर 10 मिलियन यानी एक करोड़ इजरायलियों को स्थानांतरित होने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। हम उन्हें वह नहीं दे सकते जो वे माँग रहे हैं।''

आतंकी संगठन हमास की स्थापना करने वाले शेख हसन यूसुफ के सबसे बड़े बेटे मोसाब हसन यूसुफ ने मंगलवार (31 अक्टूबर, 2023) को कहा कि वक्त आ गया है कि इस आतंकी संगठन के खिलाफ खड़ा हुआ जाए। हसन यूसुफ ने हमास आतंकवादियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भारत के लोगों और हिंदुओं की तारीफ की है। उन्होंने ‘सन ऑफ हमास’ नाम से किताब भी लिखी है।

टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में 45 वर्षीय मोसाब हसन यूसुफ ने कहा कि कट्टर मुस्लिम किसी और के साथ नहीं रह सकते हैं और न ही वे ऐसा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हिंदुओं को कोई परेशानी नहीं है, ईसाई और यहूदी भी सह-अस्तित्व में हैं। हिंसा केवल कट्टर मुस्लिमों की ओर से ही क्यों आती है?”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे बाकी दुनिया से कोई परेशानी नहीं है। भारतीयों को कोई दिक्कत नहीं है। ईसाई, यहूदी, हम सभी सह-अस्तित्व में हैं। हमास और किसी भी अन्य इस्लामी आंदोलन को ख़त्म करने की ज़रूरत है। हमें इसे बहुत खुले तौर पर और स्पष्ट तरीके कहना होगा। आतंकवाद स्वीकार नहीं है।”

फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास से अलग होने के बाद युसूफ इजरायल की सिक्योरिटी एजेंसी शिन बेट के लिए जासूसी का काम कर चुके हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में दूसरे इंतिफादा (विद्रोह) के दौरान आतंकवादी हमलों को नाकाम करने और शिन बेट की मदद करने की उनकी कोशिशों के लिए उन्हें “ग्रीन प्रिंस” का खिताब दिया गया।

उन्हें हमास के फाउंडर शेख हसन यूसुफ ने छोड़ दिया था। शेख हसन को 60 अन्य हमास नेताओं के साथ बीते महीने अक्टूबर में वेस्ट बैंक में रेड के दौरान गिरफ्तार किया गया था।

मोसाब हसन यूसुफ ने खुलासा किया कि उन्होंने कट्टर इस्लामी विचारधारा को खारिज कर दिया और हिंसा को न कहने के लिए उन्हें लगभग मौत से गुजरना पड़ा है। उन्होंने कहा, “मेरे देश ने मुझसे किनारा कर लिया। मुझे शैतान करार दिया गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने हिंसा, रक्तपात और आत्मघाती बम हमलों को ना कहा है। वे हर उस शख्स के साथ यही करते हैं जो उनके तरीके से अलग होता है। मैं दोनों पक्षों को जानता हूँ और इस हक के आधार पर मैं कहता हूँ कि हमें इजरायल के पीछे एकजुट होना होगा।”

इंटरव्यू में आगे यूसुफ ने यह भी कहा कि हमास की मानसिकता को खत्म करने की जरूरत है। युसूफ ने कहा, “उन्हें यह बताने की ज़रूरत है कि ये जिंदगी जीने का तरीका नहीं है। उन्होंने क्रूरता भरे काम किए हैं। हम ऐसे समूह को स्वीकार नहीं करते जो इस्लामिक राज्य बनाने के लिए पूरी मानवता पर हावी होना और शासन करना चाहता है। धरती किसी एक मजहब की नहीं है। यह हमास या कट्टर मुस्लिमों का नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमास ‘स्वतंत्रता सेनानी’ नहीं है जैसा कि कई लोग दावा कर रहे हैं। वे जोकरों का एक समूह हैं जो सबको इनकार कर जी रहे हैं। हमास का नागरिकों पर क्रूर हमले करने का एक लंबा इतिहास रहा है।” इस दौरान हमास फाउंडर के बेटे ने भगवान कृष्ण, गीता और उपनिषदों को मानने वाले भारतीयों और हिंदुओं से कट्टर इस्लामी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “भारत में मेरी सेना, जो लोग कृष्ण और गीता और उपनिषदों को समझते हैं, उन्हें कमर कसने और दुनिया में इस अल्पसंख्यक समुदाय को दिखाने की जरूरत है कि कट्टर मुस्लिमस्वीकार्य नहीं हैं। जिस तरह से वे हिंसा फैलाते हैं और जिस तरह से वे अपना एजेंडा हासिल करना चाहते हैं वह स्वीकार्य नहीं है। भारतीयों को आगे बढ़ना चाहिए, हिंसा के रास्ते नहीं। लेकिन उन्हें दृढ़ रहना चाहिए और किसी भी तरह की इस्लामी दखलअंदाजी को स्वीकार नहीं करना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि हमास सिर्फ एक राजनीतिक आतंकवादी समूह नहीं है। यह एक मजहबी आतंकवादी समूह है। युसूफ ने कहा, “अगर यह एक राजनीतिक समूह होता, तो हम उन पर समझौता करने और समाधान निकालने और हिंसा छोड़ने के लिए पर्याप्त दबाव डाल सकते थे। लेकिन हमास झुक नहीं सकता क्योंकि वे मरना पसंद करते हैं न कि अपनी विचारधारा छोड़ना। वे खुद को जिहादी मानते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि हमास का एकमात्र मिशन इजरायल को नेस्तानाबूद करना है। हमास फाउंडर के बेटे ने कहा, “वे अपने इस्लामिक राज्य बनाने की शर्त के तौर पर 10 मिलियन यानी एक करोड़ इजरायलियों को स्थानांतरित होने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। हम उन्हें वह नहीं दे सकते जो वे माँग रहे हैं।”

मोसाब हसन यूसुफ ने इस दौरान ये भी खुलासा किया कि गाजा पट्टी में हमास के मौजूदा फिलिस्तीनी नेता याह्या सिनवार अल-शिफा अस्पताल के नीचे छिपे हुए हैं। यूसुफ ने यह भी कहा कि वह खुद को बचाने के लिए अस्पताल में मरीजों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

इससे पहले फॉक्स न्यूज के इंटरव्यू में युसूफ ने कहा था,”गाजा को हमास से मुक्त कराकर इजरायल फिलिस्तीनी लोगों पर सबसे बड़ा उपकार कर रहा है।”

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को, 2,500 से अधिक हमास आतंकवादियों ने जमीन, हवा और समुद्र से इज़रायल पर हमला किया। इसमें 1,400 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक थे। इसके साथ ही 30 बच्चों सहित 230 लोगों का अपहरण कर लिया था। वहीं हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर जवाबी हमला किया जो अभी तक जारी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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