पाकिस्तान में फँसी 33 साल की जनता माली हर हाल में भारत आना चाहती है। लॉकडाउन से पहले जनता अपनी बीमार माँ से मिलने मीरपुर गई थी, जिसके बाद वह वहाँ फँस गई। जून के आखिरी सप्ताह में जब भारत-पाकिस्तान की सीमाओं पर फँसे नागरिकों को अभियान चलाकर वापस लाया गया, तब उसके पति और बच्चे भारतीय नागरिक होने के कारण जोधपुर ले आए गए। लेकिन जनता माली वहीं फँसी रही। वह साल 2007 से भारत में लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रही थी।
जनता की ही तरह कई पाकिस्तानी प्रवासी जो अपने रिश्तेदारों से मिलने पाकिस्तान गए थे और उन्हें अपना पासपोर्ट या अन्य पहचान पत्र नवीकरण करवाना था, वह सब वहाँ फँसे हुए हैं। ये प्रवासी पाकिस्तानी NORI (नो ऑब्जेक्शन रिटर्न ऑफ इंडिया) वीजा पर गए थे, जो अमूमन 60 दिन के लिए वैध होता है। अब यह समय पूरा हो गया है।
बता दें कि साल 2017 में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने अल्पसंख्यक समुदायों के पाकिस्तानी नागरिकों के निर्वासन पर संज्ञान लिया था। बुधवार को इस पर सुनवाई के दौरान सज्जन सिंह राठौर ने पाकिस्तान में फँसे लोगों के मामले को न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और रामेश्वर व्यास की खंडपीठ के समक्ष उठाया।
उन्होंने कहा, “NORI वीजा समाप्त होने के कारण और अंतरराष्ट्रीय मार्गों के बंद करने के कारण कई लोग पाकिस्तान में फँसे हुए हैं।” इसके बाद कोर्ट ने केंद्र और राज्य से इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया माँगी।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राठौर ने कोर्ट के सामने कहा कि जनता माली समेत कई लोगो का NORI वीजा विदेश मंत्रालय द्वारा बढ़ाया नहीं जा रहा। वहाँ के कई हिंदू अत्याचारों से तंग आकर भारत में लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रहते हैं, वह इसका सहारा तब तक लेते हैं जब तक उन्हें नागरिकता नहीं मिलती।
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दिलवाने का काम करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा, “NORI वीजा का समय 60 दिन है। अगर वह इतने समय में नहीं लौटते तो उनका वीजा रद्द हो जाता है। इसके बाद उन्हें नए वीजा के लिए अप्लाई करना पड़ता है। जब वह लोग ऐसा करते हैं तो पहले वाला समय जो उन्होंने भारत में बिताया उसे नहीं गिना जाता। इसलिए NORI वीजा को बढ़ाया जाना चाहिए और उन्हें भारत लौटने की अनुमति देनी चाहिए।”
बता दें कि सीमांत लोक संगठन ने भी 11 जुलाई को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। उन्होंने एक पत्र समन्वय सेल के प्रभारी राजस्थान अधिकारी सुबोध अग्रवाल को भी लिखा। फिर, राज्य सरकार ने पाकिस्तान में फँसे हुए लोगों के मामले में हस्तक्षेप करने के लिए गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को पिछले महीने एक पत्र लिखा।
लेकिन इस सारी प्रशासनिक प्रक्रिया के बीच जनता माली के पति लीला राम को अपने तीन बच्चों की चिंता परेशान किए जा रही है। लीलाराम और जनता माली के 3 बच्चे हैं- कुलदीप (9), मोहित (8) और चंचल (6)। ये सारे बच्चे अपनी माँ से अब केवल व्हॉट्सएप पर बात कर पाते है और माँ अपने बच्चों को देखकर रोने के अलावा कुछ नहीं कर पाती। इन सबकी बस यही उम्मीद है कि उनकी सुनवाई हो और वह भारत लौट पाएँ।