बांग्लादेश में हिंदू और शेख हसीना सरकार की पार्टी के लोग और सरकार में शामिल रहे बड़े चेहरों को इस्लामिक कट्टरपंथी किस तरह से निशाना बना रहे हैं कि वहाँ पुलिस हिरासत में होने के बावजूद हिंदू महिला मंत्री दीपू मोनी को लोगों ने जमकर पीटा। यही नहीं, उनके साथ ही हिरासत में लिए गए एक अन्य पूर्व मंत्री आरिफ खान जॉय को भी जमकर पीटा गया। ये सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ, बावजूद उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों से कोई बचा नहीं पाया। वहीं, दूसरी तरफ शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंदी खालिदा जिया के एक करीबी ने भारत सरकार को धमकाने की कोशिश की है, साथ ही कहा है कि शेख हसीना को बांग्लादेश के हवाले कर दिया जाए।
द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 जुलाई 2024 को ढाका के मोहम्मदपुर में किराना दुकान चलाने वाले अबू सईद की प्रदर्शन के दौरान पुलिस वालों की गोली से मौत हो गई थी। इस मामले में शेख हसीना सरकार में समाज कल्याण मंत्री रही दीपू मोनी और पूर्व उप-खेल मंत्री आरिफ खान जॉय को भी गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि शुरुआती एफआईआर में दोनों का नाम ही नहीं था। इसके बावजूद दीपू मोनी को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया, बल्कि कोर्ट में भी पेश किया गया। उसकी पेशी के दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हमला बोल दिया, जिसमें वो घायल भी हो गईं।
इस मामले की सुनवाई के बाद ढाका के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुल्तान सोहाग उद्दीन ने दीपू मोनी को चार दिन और जॉय को पाँच दिन की रिमांड पर भी भेज दिया। इस दौरान कोर्ट रूम में इस्लामिक कट्टरपंथी इनके लिए फाँसी की माँग करते हुए नारे लगाते दिखे। इस दौरान सेना, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के सदस्य और अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को कोर्ट में तैनात किया गया था, लेकिन हमलावरों से वो बचा नहीं पाए।
इस केस में 13 अगस्त को मोहम्मदपुर क्षेत्र के निवासी आमिर हमजा शातिल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और छह अन्य के खिलाफ ढाका में हत्या का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में दीपू मोनी और आरिफ खान जॉय का नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार दिखाया गया। यह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज किया गया पहला मामला भी है, जब उन्होंने 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर विद्रोह के बीच इस्तीफा देकर भारत चली गयी थीं।
अन्य आरोपितों में अवामी लीग के महासचिव और सड़क राजमार्ग एवं पुल मंत्री ओबैदुल कादर, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमाँ खान, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून, पूर्व डीबी (ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस) प्रमुख हारुन ओर रशीद, पूर्व डीएमपी आयुक्त हबीबुर रहमान और पूर्व डीएमपी संयुक्त आयुक्त बिप्लब कुमार सरकार शामिल हैं। इसके अलावा, इस मामले में कई शीर्ष पुलिस अधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को भी आरोपित बनाया गया।
भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा जिया का करीबी
जिस मामले में शेख हसीना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उस मामले में मुकदमा चलाने के लिए खालिदा जिया के करीबी और बीएनपी नेता फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भारत को धमकाने की कोशिश की है। बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, “हमारी भारत से अपील है कि वह शेख हसीना को कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार को सौंप दे। बांग्लादेश की जनता ने उनके मुकदमे का फैसला सुना दिया है। उन्हें उस मुकदमे का सामना करने दें।”
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना को शरण देकर भारत ने ठीक नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना भारत में रहकर बांग्लादेश में हुई क्रांति को विफल करने के लिए साजिशें रच रही हैं। शेख हसीना को लेकर उन्होंने कहा, “मैं यह बात दृढ़ता से कह रहा हूँ और हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन (शेख हसीना) को पनाह देकर ज्यादा प्यार मिल सकता है, जिसे देश से भागना पड़ा था।”
बता दें कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। उनके खिलाफ बांग्लादेश में कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं। यही नहीं, उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की बड़े पैमाने पर हत्या भी हुई है। इन सबके बीच, उन्होंने 5 अगस्त को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री पद छोड़ कर भारत में शरण लिया था। माना जा रहा है कि वो किसी तीसरे देश जा सकती हैं।