Sunday, November 17, 2024
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जब नेगेटिव में होगी विश्व की आर्थिक विकास दर, तब पॉजिटिव में बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था: IMF का विश्लेषण

दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और 'स्वदेशी जागरण मंच' के सदस्य डॉक्टर फूल चंद ने कहा कि 2020 में भारत की अर्थवयवस्था पॉजिटिव रफ़्तार से बढ़ेगी, इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने कोरोना आपदा को हैंडल किया है, वो काबिले तारीफ़ है।

कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व की अर्थवयवस्था पर भी जबरदस्त मार पड़ी है। न सिर्फ़ विकाशशील देशों, बल्कि सभी संसाधनों से युक्त विकसित देशों की अर्थवयवस्था भी लगातार नीचे गिर रही है और आशंका है कि ‘पोस्ट कोरोना वर्ल्ड’ में डिमांड काफ़ी कम हो जाएगा, जिससे उत्पादन में भी कमी आएगी और इस तरह से मार्किट में रुपए का प्रवाह धीमा हो जाएगा क्योंकि जिनके पास धन होगा, वो भी ख़र्च करने से हिचकेंगे। अब ‘इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (IMF)’ का नया आउटलुक आया है, जिसमें भारत बाकी देशों से बेहतर प्रदर्शन करता दिख रहा है।

आईएमएफ के आँकड़ों के अनुसार, 2020 में पूरे विश्व की अर्थवयवस्था -3% की रफ़्तार से बढ़ेगी, यानी वैश्विक जीडीपी में गिरावट आएगी। फिलहाल विश्व की अर्थव्यवस्था 2.9% की रफ़्तार से आगे बढ़ रही है। भारत की बात करें तो इसकी अर्थव्यवस्था की विकास दर 1.9% की रफ़्तार से बढ़ेगी, जो 2019 में 4.2% थी। अगर भारत और चीन की तुलना करें तो चीन 2020 में 1.2% की आर्थिक विकास दर के साथ भारत से पीछे छूट जाएगा। इस दौरान अमेरिका (-5.9%), जर्मनी (-7%), फ़्रांस (-7.2%) और इटली (-9.1%) जैसे देशों की अर्थवयवस्था में गिरावट दर्ज की जाएगी, ऐसा आईएमएफ का मानना है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और ‘स्वदेशी जागरण मंच’ के सदस्य डॉक्टर फूल चंद ने कहा कि 2020 में भारत की अर्थवयवस्था पॉजिटिव रफ़्तार से बढ़ेगी, इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने कोरोना आपदा को हैंडल किया है, वो काबिले तारीफ़ है। उन्होंने कहा कि पहले जो ‘ग्रेट रिसेशन’ आया था, उसके बाद से पहली बार अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ नेगेटिव विकास दर का सामना करेंगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था 2021 में पटरी पर लौटेगी, जब इसका आर्थिक विकास दर 5.8% होने की संभावना है। अगर भारत के टक्कर के विकासशील देशों की बात करें तो ब्राजील (-5.3%) और दक्षिण अफ्रीका (-5.8%) की आर्थिक विकास दर भी नेगेटिव में रहेगी।

IMF की वेबसाइट के आधिकारिक आँकड़े

बता दें कि इससे पहले 1930 के ‘ग्रेट डिप्रेशन’ के दौरान विश्व की इकॉनमी को इस तरह के संकट का सामना करना पड़ा था। भारत कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर करेगा, बावजूद इसके कि यहाँ की दर पहले से ही कई कारणों से धीमी हो रही थी और पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी व अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का भी इस पर असर पड़ रहा था। फिलहाल कोरोना के कारण आर्थिक विकास दर का गिरना तय है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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