पाकिस्तान में फौज का दखल नई बात नहीं है। जब से इमरान खान प्रधानमंत्री बने हैं तभी से कहा जा रहा है कि फौज की कठपुतली से ज्यादा उनकी कोई हैसियत नहीं है। अब अमेरिकी कॉन्ग्रेस की एक रिसर्च रिपोर्ट ने भी इन दावों पर मुहर लगाई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इमरान के कार्यकाल में भी सरकारी कामकाज में फौज का दखल बरकरार है। सुरक्षा और विदेश जैसे अहम मामलों में फैसले पाकिस्तानी फौज ही लेती है।
रिपोर्ट बाईपार्टीशन कॉन्ग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने तैयार किया है। रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम में यूएस कॉन्ग्रेस के सदस्य शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान खान के पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था। साथ ही कहा गया है कि आम चुनाव में पाक फ़ौज ने अच्छा-खासा दखल दिया ताकि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की हार हो सके।
अमेरिकी रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तानी फ़ौज ने आम चुनाव में अपने हिसाब से हेरफेर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ का नारा देकर युवाओं को रोज़गार, अच्छी शिक्षा और सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ इत्यादि देने का वादा तो कर दिया था, लेकिन उनकी सारी बातें हवा-हवाई साबित हो रही हैं। यूएस की रिपोर्ट में इसका कारण पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था को बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर इमरान खान को अपने वादे पूरे करने हैं तो पाकिस्तान सरकार को अन्य राष्ट्रों से क़र्ज़ लेना पड़ेगा और ख़र्च में भारी कमी करनी पड़ेगी। सीआरएस अमेरिका के कॉन्ग्रेस की एक स्वतंत्र रिसर्च इकाई है जो समय-समय पर विभिन्न विषयों पर रिपोर्ट तैयार करती रहती है। इस रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी कॉन्ग्रेस के नेताओं को किसी भी विषय पर अध्ययन करने के बाद उचित निर्णय लेने में आसानी होती है।
#NewsAlert | @ImranKhanPTI is the PM, but Pakistan Army runs the foreign policy: US report | @SiddiquiMaha with more details pic.twitter.com/1HARLaCMtv
— News18 (@CNNnews18) August 29, 2019
इमरान खान की जीत के लिए अमेरिकी एजेंसी ने पाकिस्तान में फ़ौज और न्यायपालिका के गठजोड़ को ज़िम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट का कहना है कि इन दोनों से मिल कर नवाज़ शरीफ की हार सुनिश्चित की। 2018 में हुए उस चुनाव में कई बार लोकतान्त्रिक मूल्यों को ताक पर रखा गया और आतंकी संगठनों को भी चुनाव में हिस्सा लेने की छूट दी गई।