चीन में वहाँ की सरकार की मुस्लिमों के प्रति दमनकारी नीतियों के चलते शिनजियांग प्रान्त में ईद पर ज्यादा चहलपहल नहीं रही। उइगुर मुस्लिम सुरक्षाकर्मियों की भारी मात्रा में मौजूदगी और सरकार की दमनकारी नीतियों के कड़ाई से लागू करने की नीति के चलते डरे हुए हैं। चीन सरकार 2017 से अब तक मस्जिदों समेत 36 उपासना-स्थलों को ढहा चुकी है।
मस्जिदों के अंदर कैमरे, मेटल डिटेक्टर
चीन में बची-खुची मस्जिदों में प्रवेश करने के लिए मुस्लिमों को मेटल-डिटेक्टर का सामना करना पड़ता है। उन पर लगातार निगरानी रखी जाती है। इसके आलावा चीन सरकार सार्वजनिक तौर पर पंथिक आस्था के प्रदर्शन को भी हतोत्साहित करती है। शिनजियांग में जब मुस्लिमों के रोज़े चल रहे थे, तो भोजन की दुकानों पर उमड़ी भीड़ को दिन भर भोजन परोसा जाता था।
दरअसल आतंकी हमले के डर से चीन की सरकार ने जगह-जगह कैमरे लगा रखे हैं। इसके अलावा सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मी भी आते-जाते मुस्लिमों पर कड़ी नज़र रखते हैं। इसके अलावा वहाँ की सरकार और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी मज़हब को खतरा मानती है।
व्यवसायिक शिक्षा केंद्रों पर भी पंथिक प्रदर्शन पर रोक
चरमपंथ के रास्ते पर लोगों को जाने से रोकने के लिए चीन की सरकार व्यवसायिक शिक्षा केंद्र चला रही है, जिनमें उइगुर और तुर्की-भाषी मुस्लिमों को रखा गया है। वहाँ उन्हें मंदारिन भाषा और चीन के कायदे-कानूनों से वाकिफ कराया जाता है। शैक्षिक केंद्रों पर भी पंथिक और मज़हबी गतिविधियों की इजाजत नहीं है। यह चीनी कानून के खिलाफ है। लेकिन शिनजियांग सरकार का यह भी कहना है कि यह लोग जब सप्ताहांत में वापस जाएँगे तब उनके ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है।