अमेरिका में डलास की एक अदालत ने तीन साल की भारतीय बच्ची शेरिन मैथ्यूज की मौत के मामले में उसके भारतीय-अमेरिकी पिता वेस्ली मैथ्यूज को बुधवार (26 जून) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 39 वर्षीय मैथ्यूज को सोमवार को शेरीन की मौत के मामले में बच्ची को चोट पहुँचाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। ख़बर के अनुसार, 12 सदस्यीय जूरी ने बुधवार की दोपहर को अपनी गोद ली हुई बेटी शेरिन की मौत के मामले में मैथ्यूज को उम्रक़ैद की सजा सुनाने से पहले लगभग तीन घंटे तक विचार-विमर्श किया। वह 30 साल की सज़ा काटने के बाद वो पैरोल के लिए अनुरोध कर सकता है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, जब मैथ्यूज को सज़ा सुनाई जा रही थी तब वो जूरी के सदस्यों या न्यायाधीशों की तरफ़ न देखकर सामने की ओर देख रहा था। बता दें कि वर्ष 2016 में मैथ्यूज परिवार ने बिहार के एक अनाथालय से बच्ची को गोद लिया था। अभियोजकों की दलील थी कि केरल के रहने वाले मैथ्यूज ने अक्टूबर 2017 में शेरिन की हत्या की है।
मैथ्यूज ने ख़ुद को बचाने के लिए एक के बाद एक कई झूठे दावे पेश किए। कभी उसने कहा कि बच्ची दूध नहीं पी रही थी इसलिए उसकी मौत हुई, तो कभी कहा कि वो कहीं ग़ायब हो गई थी। मैथ्यूज ने यह भी दावा किया कि अपनी बेटी की आकस्मिक मौत के बाद घबरा गया था और उसने बच्ची के शरीर को नीले कचरे के थैले में लपेटा और पुलिया में फेंक दिया ताकि वह घर के पास रहे। शुरू में मैथ्यूज ने पुलिस को बताया कि शेरिन 7 अक्टूबर, 2017 को लापता हो गई थी। 15 दिन बाद उसका बुरी तरह से क्षत-विक्षत शरीर घर के पास पुलिया में मिला।
इसके अलावा, 3 साल की मासूम बच्ची की मौत पर एक नई कहानी भी गढ़ी गई। इस कहानी के अनुसार, जब बच्ची दूध नहीं पी रही थी तो उसे सज़ा के तौर पर सुबह 3 बजे घर के पिछले हिस्से में पेड़ के पास खड़ा रहने को कहा गया। 15 मिनट बाद जब बच्ची को वहाँ चेक किया गया, तो वो वहाँ से ग़ायब थी। मैथ्यूज ने जाँचकर्ताओं को यह नहीं बताया कि उनकी बेटी का शरीर कहाँ था। बच्ची का मृत शरीर जिस अवस्था में पाया गया, वो इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था कि पोस्टमॉर्टम में बच्ची की मृत्यु का कारण ही स्पष्ट नही हो सका था। उसके शरीर में कुछ भी शेष नहीं बचा था, उसके दांत बाहर गिर गए थे।
इसके अलावा अभियोजक पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि तीन साल की मासूम शेरिन ने अमेरिका में रहने के दौरान हर समय दुर्व्यवहार का सामना किया। मेडिकल रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि उसके शरीर में पाँच टूटी हड्डियाँ थीं जिसका उपचार हो रहा था।
सिनी जोकि पंजीकृत नर्स भी हैं, उन्होंने गोद ली हुई बेटी को रात के अँधेरे में अकेला छोड़ दिया और अपनी ख़ुद की बेटी के साथ खाना खाने चली गई थीं। इसके लिए पुलिस ने उन्हें भी दोषी ठहराया। शेरिन की मौत ने भारत सरकार का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भारतीय बच्ची (शेरीन) को न्याय मिलना चाहिए। भारत ने शेरिन की दु:खद मौत के बाद गोद लेने की प्रक्रिया को और कड़ा कर दिया है।