लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्र सत्यम सुराणा के खिलाफ स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन के दौरान नफरती अभियान चलाया जा रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि वो पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में हो रहे विकास की पैरवी करते हैं। सत्यम सुराणा वही भारतीय छात्र हैं जो पिछले साल खालिस्तानियों द्वारा फेंके गए तिरंगे को उठाने की वजह से चर्चा में आए थे और अब वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में चल रही घृणित राजनीति के शिकार हैं।
हाल में सत्यम ने इसकी जानकारी अपने एक पोस्ट के जरिए दी। उन्होंने 26 मार्च को जारी एक वीडियो में बताया कि वो जनरल सेक्रेट्री पद का चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उनके खिलाफ नफरती और बदनामी भरा कैंपेन चलाया जाना शुरू हो गया है। उनके अनुसार, ऐसा अभियान चुनाव वोटिंग से ठीक 12 घंटे पहले बहुत ही सुनियोजित ढंग से शुरू हुई है। इस दौरान उन्हें बीजेपी से जुड़ा बताया गया और फासीवादी तक कहा गया है।
सत्यम सुराणा ने इसकी जानकारी अपने ट्वीट में दी। उन्होंने लिखा, “आजकल लोग भारत विरोधी इसलिए हैं क्योंकि वो मोदी विरोधी ह,। इन लोगों ने मुझे प्रताड़ित करने का प्रयास किया। मुझे खारिज किया क्यों मैं पीएम मोदी और भाजपा को सपोर्ट करता हूँ, राम मंदिर के लिए आवाज उठाता हूँ। भारत में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए विकास की बात करता हूँ, आतंकवाद के खिलाफ बोलता हूँ और भारत के पक्ष में बात रखता हूँ।”
People are now Anti-India because they are Anti-Modi‼️
— Satyam Surana (@SatyamSurana) March 25, 2024
They attempted to harass me. I was cancelled, I was slurred.
Why?
– Because I supported PM Modi.
– Because I supported BJP.
– Because I spoke up for the truth when the Ram Mandir was built.
– Because I supported the… pic.twitter.com/OArzoof3aN
उन्होंने पोस्ट में अपने खिलाफ चलाए जा रहे नफरती अभियान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एलएसई चुनाव फरवरी और मार्च की शुरुआत में घोषित किए गए थे। इस दौरान उन्होंने अपना नामांकन महासचिव पद के लिए दाखिल किया। लेकिन, जब बारी कैंपेन की आई तो उन्होंने देखा कि 14-15 मार्च को, उनके पोस्टरों को फाड़ दिया गया था। उन्होंने इस हरकत की शिकायत अधिकारियों से की। बाद में उनके पोस्टर में उनके चेहरे पर क्रॉस के निशान लगा दिए गए और लिखा गया- “सत्यम के अलावा कोई भी।”
सत्यम बताते हैं कि इस तरह से उनका चुनावों में बहिष्कार करवाया जा रहा है। 17 मार्च को LEC के सभी ग्रुपों में मैसेज सर्कुलेट किए गए। दावा किया गया कि वह भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं और फासीवादी, इस्लामोफोबिक, ट्रांसफोबिक हैं। इसके अलावा मैसेजों में ये भी लिखा था कि भारत सरकार और मौजूदा प्रतिष्ठान बहुत देशद्रोही और विवादस्पद हैं।
सत्यम कहते हैं कि उन्हें शुरू में उनके घोषणापत्र के कारण बहुत समर्थन मिला था क्योंकि उसमें सारी जरूरी मुद्दे उठाए गए थे और वो बिलकुल राजनीतिक नहीं था, लेकिन उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण एजेंडे के साथ उनकी बदनामी करने वालों ने सारी मेहनत को बर्बाद कर दिया।
सत्यम कहते हैं कि उनकी वाली पोस्ट पर तीन लोग खड़े हैं लेकिन ऐसा अभियान सिर्फ उनके खिलाफ शुरू हुआ। वह बताते हैं कि जब मैसेज आने शुरू हुए तो टीम की पूरी नैतिक चेतना चकनाचूर हो गई। उन्होंने अपने साथ हुई पिछली घटना का भी जिक्र किया।
सत्यम ने भारतीय उच्चायोग के सामने हुए तिरंगा प्रकरण को याद करते हुए बताया, “अक्टूबर की शुरुआत में, मैं खबरों में था क्योंकि मैंने खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के बीच भारतीय उच्चायोग के बाहर राष्ट्रीय ध्वज उठाया था। मुझे मीडिया कवरेज पाने का सौभाग्य मिला। राष्ट्रीय मीडिया चैनलों ने मेरा इंटरव्यू भी लिया था।” लेकिन उसकी दौरान सत्यम द्वारा खालिस्तानियों पर किया गया पोस्ट अब उन्हें निशाना बनाने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।
ऐसे में सत्यम कहते हैं, “देखिए, भारत मेरा देश है। मैं अपने देश की वकालत करूँगा। ब्रिटेन में छात्र संघ चुनावों के लिए भारतीय राजनीति कैसे प्रांसगित है? मेरे विचार और मेरी सरकार का समर्थन पूरी तरह से मेरी निजी राय का मसला है।”
उन्होंने बताया कि उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस के साथ उसकी एक फोटो का इस्तेमाल उन्हें भाजपा से जुड़ा दिखाने के लिए फैलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ये एक सुनियोजित हमला है जिसे वो लोग चला रहे हैं जो भारत में मौजूद बीजेपी सरकार के खिलाफ हैं। सत्यम कहते हैं कि जिन लोगों ने उन्हें निशाना बनाया, वे उस समूह का हिस्सा हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सफलता को पचा नहीं पा रहे हैं और इसलिए इस तरह का झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार फैला रहे हैं।
बता दें कि ये कोई पहला मामला नीं है जब भारतीय छात्र के साथ ऐसा नफरती अभियान विदेश में चलाया गया हो। इससे पहले करण कटारिया ने भी नस्लीय भेजभाव लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में झेला था और उससे पहले रश्मि सामंत को भी ऑक्सफोर्ड में ऐसे तत्वों द्वारा निशाना बनाया गया था।