बांग्लादेश आरक्षण विरोधी हिंसा की आग में झुलस रहा है। पूरे देश में कर्फ्यू है। प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ बरस रही हैं। अब तक 2000 से ज्यादा लोगों के घायल होने तो सवा सौ से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है। मारे गए अधिक लोग छात्र हैं और सत्ताधारी पार्टी आवामी लीग के विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ता। इस बीच, बांग्लादेश में पढ़ रहे भारत के करीब 5000 हजार छात्रों में से करीब 1 हजार छात्र वापस आ चुके हैं।
बांग्लादेश में मौजूद सभी छात्रों से भारत सरकार संपर्क में है। करीब 200 छात्र हवाई जहाजों से वापस आए हैं, तो बाकी सड़क, पानी के रास्ते। यही नहीं, भारत अपने पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान के छात्रों को भी उनके देश वापस जाने में मदद कर रहा है और उन्हें भारत में एंट्री दे रहा है। अधिकतर भारतीय और विदेशी छात्र उत्तर पूर्वी राज्यों खासकर मेघालय के रास्ते भारत में पहुँच रहे हैं। वहीं, बहुत सारे छात्रों के पश्चिम बंगाल के रास्ते भी भारत में एंट्री का विकल्प चुना है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित और आसान मार्ग उपलब्ध कराने के लिए सिविल एविएशन, इमिग्रेशन, बंदरगाहों और सीमा सुरक्षा बल के साथ सहयोग कर रहा है। अब तक 778 भारतीय छात्र विभिन्न बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा करीब 200 छात्र ढाका और चटगाँव एयरपोर्ट के जरिए नियमित उड़ान सेवाओं से घर लौटे हैं।
भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी में अभी भी करीब चार हजार छात्रों के साथ लगातार संपर्क में है। अनुरोध पर नेपाल और भूटान के छात्रों को भी भारत में प्रवेश करने में सहायता दी गई है। इसके साथ ही ढाका में स्थित भारतीय उच्चायोग ढाका और चटगाँव से भारत के लिए उड़ान सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के सिविल एविएशन अधिकारियों और कमर्शियल एयरलाइनों के साथ समन्वय में जुटा है, जिसका उपयोग भारतीय नागरिक घर लौटने के लिए कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में स्थिति बिगड़ गई है। प्रदर्शन को दबाने के लिए सैनिक शहरों पर गश्त कर रहे हैं। दंगा पुलिस ने सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की है, जिससे माहौल अस्थिर और खतरनाक हो गया है। इस सप्ताह हिंसा में कम से कम 115 लोगों की मौतें हुई हैं, जो प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। पुलिस के अव्यवस्था को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद कर्फ्यू के साथ पीएम हसीना के कार्यालय से सैन्य तैनाती का अनुरोध भी किया गया।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता है। इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को भेदभावपूर्ण और असंगत रूप से लाभ पहुँचाती है। प्रदर्शनकारी मौजूदा कोटा को बदलने के लिए मेरिट पर आधारित प्रणाली की वकालत करते हैं।