10 साल पहले साल 2012 में दिल्ली में हुए कार विस्फोट में एक इजरायल राजनयिक को निशाना बनाया गया था। हमले की साजिश ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) के कर्नल ‘हसन सैयद खोदयारी’ ने रची थी। अब खबर है कि ईरान की राजधानी तेहरान में घुसकर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हसन को मौत के घाट उतार दिया है। उसकी मौत की पुष्टि ईरान इंटरनेशनल द्वारा की गई है। अब अंतिम संस्कार मंगलवार (24 मई 2022) को तेहरान में ही किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक कई हाई प्रोफाइल इजरायली राजनयिकों पर हुए हमलों के पीछे यही कर्नल मास्टरमाइंड था। उसने साल 2012 में नई दिल्ली में विस्फोट करवाया था ताकि वो इजरायल राजनियक को खत्म कर सके। इस हमले में राजनयिक की पत्नी चोटिल हुई थीं और उनका ड्राइवर व दो अन्य नागरिक भी हल्का घायल हुए थे।
You have to appreciate Israeli security agencies, they never forget and always come back for revenge.
— Vikrant ~ विक्रांत (@vikrantkumar) May 24, 2022
This was 10 years ago. pic.twitter.com/x6HD7NiTp1
घटना के बाद थायलैंड में भी इजरायल अधिकारियों को मारने के लिए सिलसिलेवार ढंग से बमबारी हुई थी जिसका इल्जाम खोदयारी पर लगा था। इसके अलावा इजरायल, तुर्की, केन्या, कोलंबिया और सिपरस में हुई इजरायलियों की हत्या और किडनैपिंग में भी हसन को शामिल बताया जाता है।
बता दें कि अभी इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि मोसाद ने ही हसन सैयद को गोली मारी। लेकिन पिछले रिकॉर्ड देखकर यही अंदाजा लग रहा है कि ये काम इजरायल की खुफिया एजेंसी का ही है। ईरान के राष्ट्रपति ने कसम खाई है कि वो खोदयारी की हत्या का बदला लेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक हसन को उसके घर के बाहर गोली मारी गई। हमलावर बाइक से आए थे। उन्होंने कर्नल के सीने में 5 गोली मारी। जब तक कोई वहाँ आसपास से पहुँच पाता तब तक हमलावर फरार हो चुके थे।
How a mother dresses her son's bloody body
— Z SH (@ZarrinSh) May 23, 2022
on 22 may 2022
IRGC Public Relations announced the martyrdom of one of the defenders of the Quds Holy Shrine, "Colonel Sayad Khodaei", in a terrorist act against the revolution by motorcycled individuals affiliated with global arrogance. https://t.co/J0aXWPrp6n
इस हत्या के बाद खबर ये भी है कि इजरायल ने अपने दूतावासों को अलर्ट कर दिया है। उन्हें डर है कि ईरान वापसी हमला करेगा। इससे पहले साल 2020 में खुफिया एजेंसी ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिक को मौत के घाट उतारा था। उस समय भी ईरान ने कत्ल का सीधा इल्जाम लगाते हुए बदला लेने का ऐलान किया था। मालूम हो कि आईआरजीसी जिसमें हसन कर्नल था उसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने विदेशी आतंकी संगठन नामित किया था क्योंकि इन्होंने साल 2015 में न्यूक्लियर समझौते से खुद को अलग कर लिया था।