भारतीय कानून से बचकर विदेश में शरण लेने वाले भगौड़े जाकिर नाईक का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में इस्लाम के हिसाब से वह ऊँट के पेशाब को पीने के फायदे गिना रहा है। हास्यास्पद बात ये है कि इस्लामी कट्टरपंथी गौमूत्र पीने पर हिंदुओं का मजाक बनाते रहे हैं जबकि उनके मजहब में ऊँट के पेशाब पीने को स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है।
हुडा टीवी पर नाईक का वीडियो 7 जनवरी 2021 को अपलोड हुआ था। इस चैनल पर 4.87 लाख सब्सक्राइबर हैं। इस वीडियो में जाकिर अपने दर्शकों के ही सवालों का जवाब दे रहा है जिन्होंने कुरान के मुताबिक ऊँट के पेशाब और दूध के फायदे पूछे थे। वीडियो में 4 मिनट 56 सेकेंड के बाद देखा जा सकता है कि नाईक कहता है, “ऐसी बहुत सी रिसर्च हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि इंसान के लिए ऊँट के पेशाब पीने के कई फायदे हैं। ”
अपने दावों को सही साबित करने के लिए वह पर्शियन फिजिशियन इब्न सिना के दावों का उदाहरण देता है। वह कहता हैं, “सभी मूत्रों में सबसे अधिक लाभकारी ऊँटों का मूत्र होता है। आज प्रयोगशाला परीक्षण करने के बाद हमें पता चलता है कि ऊँट के मूत्र में पोटेशियम और एल्बुमिनस प्रोटीन होते हैं। हम जानते हैं कि इसमें यूरिक एसिड, सोडियम और क्रिएटिन के अंश भी होते हैं।“
ऊँट के पेशाब पीने के फायदे :
जाकिर नाईक कहता है कि डॉ. अब्दुल फतेह महमूद इदरीस द्वारा किए गए शोध के अनुसार, ऊँट के मूत्र का उपयोग कुछ त्वचा रोगों में किया जा सकता है। वैज्ञानिक शोधों ने साबित किया है कि मूत्र बालों को चमकदार और घना बनाता है। इसका उपयोग रूसी की रोकथाम में भी किया जाता है।
इसके बाद जाकिर, डॉ. अहलाम अल अवदी नामक एक अन्य मुस्लिम माइक्रोबायोलॉजिस्ट द्वारा किए गए ‘शोध’ का उदाहरण देता है। वह बताता है कि डॉ. अवदी के शोध से पता चला कि ऊँट का मूत्र त्वचा रोगों और रूसी के अलावा हेपेटाइटिस को भी ठीक कर सकता है।
डॉ. खुर्शीद का हवाला देते हुए जाकिर नाईक ने दावा किया कि ऊँट के मूत्र में कैंसर रोधी गुण होते हैं। इसका उपयोग कैंसर के उपचार में किया जा सकता है। इसके बाद अपनी बात रखते हुए इस्लामी उपदेशक ने अपने मुस्लिम अनुयायियों से कुरान की हर बात पर आँख बंद करके विश्वास करने और हदीसों की बातों पर सहमत होने का आग्रह किया।
वह जोर देकर आगे कहता है, “आप हमेशा बाद में शोध कर सकते हैं। लेकिन विज्ञान यह निर्धारित करने का मानदंड नहीं है कि आपको हदीस पर विश्वास करना चाहिए या नहीं। अगर हदीस प्रामाणिक है, तो हम उस पर विश्वास करते हैं, भले ही विज्ञान उस पर विश्वास करे या नहीं।”
गौमूत्र पीने के नहीं कोई फायदे, जानवरों का मल मूत्र सेवन कर सकते हैं मुसलमान :
अपने अनुयायियों से नाईक ने आगे कहा कि वह लोग गौमूत्र का मजाक न उड़ाएँ क्योंकि ऊँट का पेशाब और गौमूत्र दोनों शुद्ध होते हैं। हालाँकि, आगे नाईक ने ये मानने से इंकार किया कि गौमूत्र से कोई लाभ होता है। उसके मुताबिक इस पर वैज्ञानिक शोध नहीं हैं। नाईक ने फारसी चिकित्सक इब्न सिना का उदाहरण देते हुए कहा कि मुसलमान किसी भी जानवर या पक्षी के मूत्र या मल का सेवन कर सकते हैं। ये उनके लिए (हलाल) है।
वह कहता है, “(मुसलमानों में) ऊँट का पेशाब पीना एक आम बात है। यह अरब (दुनिया) में सदियों से होता आ रहा है। हिंदुओं में गौमूत्र पीने की भी यही प्रथा है। लेकिन, इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले। मैं यह नहीं कह सकता कि यह अच्छा है या बुरा। लेकिन इस्लामी विद्वानों के अनुसार, हाँ, आप इसे पी सकते हैं।” इसके बाद जाकिर ने आगे हिंदू देवताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मखौल उड़ाया और प्राचीन भारत में विज्ञान की प्रगति को खारिज कर दिया।
ऊँट के पेशाब पीने की कहानी :
वीडियो के अंत में, जाकिर नाईक ने सहीह-अल-बुखारी की हदीस के 5686 पद का हवाला दिया। इसमें बताया गया है, “मदीना की जलवायु कुछ लोगों को सूट नहीं करती थी, इसलिए पैगंबर ने उन्हें अपने ऊँटों का पालन करने और उनका दूध और मूत्र (दवा के रूप में) पीने का आदेश दिया। इसके बाद वह लोग चरवाहे और ऊँटों के पीछे लग गए, और जब तक उनका शरीर स्वस्थ न हो गया तब तक उनका दूध और मूत्र पिया। लेकिन बाद में उन्होंने चरवाहे को मार डाला और ऊँटों को भगा दिया। जब पैगंबर तक ये बात पहुँची तो उन्होंने कुछ लोगों को उनकी खोज में भेजा। जब वह लाए गए तो उनके हाथ और पैर काे काट दिए गया। वहीं उनकी आँखों में लोहे के गर्म टुकड़े डाल दिए गए।”