चीन सहित विश्व के करीब 114 देशों में फैलकर जानलेवा बने कोरोना वायरस को लेकर एक राहत देने वाली खबर सामने आई। खबर आ रही है कि इजराइल के वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन बना ली है। इसे लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी घोषणा जल्द ही की जा सकती है। इससे पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने टीका विकसित करने के लिए सभी संसाधन झोंक देने के लिए कहा था।
इजराइल के अखबार हारेज की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च ने हाल ही में इस विषाणु की जैविक कार्यप्रणाली और उसकी विशेषताएँ समझने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इन विशेषताओं में नैदानिक क्षमता, इस विषाणु की चपेट में आ चुके लोगों के वास्ते एंटीबॉडीज (प्रतिरक्षी) के उत्पादन और टीके के विकास आदि शामिल हैं। हालाँकि, इस टीके को उपयोग के वास्ते कई परीक्षण करने होंगे जिनमें महीनों लग सकते हैं। ये वैक्सीन प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों पर विकसित की गई है और इसके असर काफी सकारात्मक रहे हैं।
इज़राइल ने कोरोना वायरस का VACCINE बनाने का दावा किया | अच्छी खबर: कोरोनावायरस के तैयार हो चुके हैं वैक्सीन, इस देश ने किया दावा https://t.co/T2yF8WV4zN pic.twitter.com/34ZTEV7HWU
— Pmwebsolution (@Pmwebsolution3) March 12, 2020
हालाँकि, रक्षा मंत्रालय ने इस अखबार द्वारा सवाल किए जाने पर इसकी पुष्टि नहीं की। रक्षा मंत्रालय ने हारेज से कहा, ‘कोरोना वायरस के लिए टीके या परीक्षण किट्स के विकास के संदर्भ में इस बॉयोलोजिकल इंस्टीट्यूट के प्रयासों में कोई उपलब्धि हासिल नहीं हुई है। संस्थान का कामकाज व्यवस्थित कार्ययोजना के मुताबिक चलता है और उसमें वक्त लगेगा यदि और जब भी कुछ बताने लायक होगा, निश्चित व्यवस्था के तहत ऐसा किया जाएगा।”
मंत्रालय ने कहा, “यह बॉयोलोजिकल संस्थान विश्व विख्यात अनुसंधान एवं विकास एजेंसी है जो व्यापक ज्ञान वाले अनुभवी शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों एवं उत्तम बुनियादी ढाँचे पर निर्भर करती है। संस्थान में विषाणु के वास्ते अनुसंधान एवं मेडिकल उपचार विकसित करने में 50 से ज्यादा अनुभवी वैज्ञानिक जुटे हुए हैं।” नेस जियोना में इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च को इजराइल के रक्षा बल विज्ञान कोर के तहत 1952 में स्थापित किया गया था और बाद में वह असैन्य संगठन बन गया। अखबार के मुताबिक तकनीकी तौर पर यह संस्थान प्रधानमंत्री कार्यालय के निगरानी में है, लेकिन यह रक्षा मंत्रालय से करीबी संवाद रखता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने संस्थान को एक फरवरी को कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए संसाधन झोंक देने को कहा था। अखबार के अनुसार ऐसे किसी भी टीके के विकास की सामान्य प्रक्रिया में क्लीनिकल ट्रायल से पहले जानवरों पर परीक्षण की लंबी प्रक्रिया चलती है। इस दौर में इस दवा के दुष्प्रभावों को बेहतर ढंग से जानने का मौका मिलता है।
इजराइल के लोकप्रिय खबरिया पोर्ट वाईनेट ने तीन सप्ताह पहले एक खबर दी थी कि जापान, इटली और अन्य देशों से कोरोना वायरस नमूनों के पाँच खेप पहुँचे हैं। उन्हें रक्षा मंत्रालय के विशेष रूप से सुरक्षित कूरियर में इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल रिसर्च में लाया गया और उन्हें शून्य के नीचे 80 डिग्री के तापमान पर रखा गया है। वहीं विशेषज्ञ तभी से टीके को विकसित करने में लगे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीके को पूर्ण रूप से विकसित करने में कुछ समय और लग सकता है।
दरअसल ये खबर ऐसे समय में आई है कि जब कोरोना को लेकर पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। इजराइल से आई ये खबर लोगों को राहत देने वाली हो सकती है। आपको बता दें कि चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान से पैर पसारने वाले जानलेवा कोरोना वायरस की चपेट में अब तक विश्व के 114 देश चपेट में आ चुके हैं, जबकि वायरस की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या 4,623 हो चुकी है। वहीं 1,25,841 लोग इस वायरस से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच बुधवार को इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया।