भारत के विदेश मंत्री एस जय शंकर ने मंगलवार (जनवरी 12, 2021) को आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों पर बात करते हुए पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने UN सुरक्षा काउंसिल (UNSC) की वर्चुअल बैठक में अपनी बात रखी।
वह बोले कि साल 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को राज्य का संरक्षण ही नहीं बल्कि 5 सितारा हॉस्पिटेलिटी सुविधाएँ मिलते हुए भी देखा गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के तहत लोगों और संगठनों के नाम सूची में शामिल करने और बाहर करने का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए।
अपनी बात रखते हुए उन्होंने बताया कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए राजनीतिक इच्छा होनी चाहिए। विश्व को आतंकवाद को लेकर गंभीर होना चाहिए ताकि इस पर रोक लगाई जा सके। आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए।
बता दें कि यूएनएससी की इस बैठक का विषय ही ”1373 प्रस्ताव को अपनाने के 20 साल बाद आतंकवाद का मुकाबला करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग” पर केंद्रित था। इसमें 1 जनवरी 2021 को भारत द्वारा सदस्यता ग्रहण करने के बाद यूएनएसएसी में विदेश मंत्री ने कल अपनी बात रखी।
उन्होंने पाकिस्तान को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा कि ऐसे अन्य राज्य भी हैं, जो स्पष्ट रूप से सहायता और आतंकवाद का समर्थन करने के दोषी हैं। ये आतंकवादियों को जानबूझकर वित्तीय सहायता और सुरक्षित स्थान मुहैया कराते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के रूप में पाकिस्तानियों की सबसे बड़ी संख्या को सूचीबद्ध किया है। इनमें मसूद अजहर, हाफिज सईद, जकी उर रहमान लखवी शामिल हैं। इनमें से कई भारत में आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार हैं और 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला भी करवाया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने आतंकवाद के खतरे से निपटने और उसके ख़िलाफ़ प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए यूएन प्रणाली के लिए 8 बिंदुओं का एक्शन प्लान प्रस्तावित किया। वह कहते हैं, “हमें आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का आह्वान करना चाहिए। लड़ाई में कोई इफ और बट नहीं होना चाहिए। न ही हमें आतंकवाद को जायज ठहराना चाहिए और न ही आतंकवादियों को महिमामंडित करना चाहिए। सभी सदस्य (देशों) को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी साधनों में निहित दायित्वों को पूरा करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की इस लड़ाई में किसी तरह के डबल स्टैंडर्ड को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। आतंकवादी केवल आतंकवादी होते हैं। कोई अच्छा, कोई बुरा नहीं। जो ऐसे फर्क करके अपने एजेंडा चलाते हैं और उनको संरक्षण देते हैं, वह बिलकुल बर्दाश्त योग्य नहीं है। उनके मुताबिक संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के तहत व्यक्तियों और संस्थाओं को सूचीबद्ध करना और उनका परिसीमन उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक या धार्मिक विचारों के लिए।
वह कोविड-19 परिस्थितियों से उपजी स्थिति का हवाला देते हुए कहते हैं कि महामारी ने केवल ऐसी स्थिति को अधिक बढ़ाया है और लॉक़डाउन के समय में लोगों को कट्टरपंथी और चरमपंथी जैसे मुद्दों के लिए अतिसंवेदशील बना दिया है। विदेश मंत्री का मानना है कि हालिया सालों में आतंकी संगठन ने अपनी क्षमता बढ़ाई है। चाहे तकनीक के जरिए हो या फिर ड्रोन या वर्चुअल करंसी और इन्क्रिप्टिड कम्युनिकेशन के जरिए। सोशल मीडिया के जरिए भी कट्टरपंथ फैलाने का काम बखूबी हुआ है।