Sunday, November 17, 2024
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‘IS आतंकी तो नमाज भी नहीं पढ़ते, मेरे साथ धोखा हुआ… मैं तो खलीफा के हिसाब से जीने के लिए ज्वाइन की थी’

"मुझे लगता है कि बहुत से लोग जो (आईएस में शामिल होने) आना चाहते हैं, उनकी भी यही उम्मीदें हैं। मैं उन्हें निर्णय लेने से पहले दो बार सोचने का सुझाव दूँगी।"

इस्लामिक स्टेट से जुड़ने के लिए केरल से भागकर अफगानिस्तान जाने वाली लड़कियों में एक नाम सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा का है। आयशा ने कुछ समय पहले ISIS मॉड्यूल के कासरगोड रिंग लीडर अब्दुल राशिद से निकाह किया था और उसके बाद कई युवकों को कट्टरपंथी बनाने का काम किया था। मगर, आज अपने शौहर की मौत के बाद आयशा वापस भारत लौटना चाहती है। अब उसका कहना है कि आईएस के गढ़ में स्थितियाँ उसकी उम्मीदों के विपरीत थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयशा का पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला भी आईएस को लेकर काफी निराश था। इसलिए उसने वहाँ आत्महत्या कर ली। जबकि अफगानिस्तान के सुरक्षाबल द्वारा आतंकियों को पकड़ने के लिए शुरू किए गए अभियान में आयशा ने आत्मसमर्पण कर दिया। अब फिलहाल वह काबुल की एक जेल में बंद है और कहती है कि वह इस्लामिक स्टेट से नहीं जुड़े रहना चाहती।

आयशा का कहना है, “मुझे लगता है कि बहुत से लोग जो (आईएस में शामिल होने) आना चाहते हैं, उनकी भी यही उम्मीदें हैं। मैं उन्हें निर्णय लेने से पहले दो बार सोचने का सुझाव दूँगी।”

खबर के अनुसार, आयशा ने वहाँ की पोल-पट्टी खोलते हुए कहा कि हम अफगानिस्तान यह सोचकर गए थे कि ‘खलीफा’ के हिसाब से इस्लामी जीवन जी सकेंगे। लेकिन जब हम यहाँ पहुँचे, तो हमने महसूस किया कि लोग नमाज पढ़ने तक के लिए भी नहीं जा रहे थे।

यहाँ बता दें कि राशिद ने 90 से ज्यादा ऑडियो क्लिप भेजकर आईएस के विभिन्न पहलुओं को केरल के लोगों तक पहुँचाया था। लेकिन आयशा के मुताबिक उसका पति अफगानिस्तान जाकर इन चीजों को देखकर बहुत निराश हुआ और इसके बाद उसने ऑडियो मैसेज भेजना बंद कर दिया। आयशा ने कहा कि वह केरल वापस लौटना चाहती है और राशिद के माता-पिता के साथ रहना चाहती है।

आयशा के साथ एक अन्य लड़की और है। नाम है फातिमा उर्फ निमिषा। जानकारी के अनुसार, निमिषा ने भी कुछ साल पहले एक ईसाई से शादी की थी। मगर बाद में दोनों ने इस्लाम कबूल कर लिया था और दोनों अफगानिस्तान चले गए। आज आयशा की तरह निमिषा का भी कहना है कि वह भारत लौटना चाहती है बशर्ते उसे कैद में न रखा जाए और टार्चर न किया जाए। उसका कहना है, “मैं यह नहीं कह सकती कि मैं अफगानिस्तान में रहना चाहती हूँ क्योंकि यह मेरी जगह नहीं है। भारत मेरी जगह है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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