अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में आज कुलभूषण जाधव मामले पर फैसला आना है। 2016 में ईरान से अगवा कर पाकिस्तान ने उन्हें भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के लिए जासूसी के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई थी, जिसे रोकने के लिए भारत सरकार ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की थी। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को निर्देश दिया था कि उसके अंतिम निर्णय पर पहुँचने तक कुलभूषण जाधव की सज़ा पर अमल न किया जाए।
गिरफ़्तारी की जगह पर ही प्रश्नचिह्न
पाकिस्तान का दावा है कि उसने पूर्व नेवी अफ़सर जाधव को बलूचिस्तान में पकड़ा। भारत लगातार इसका खंडन करता रहा है। भारत का कहना है कि जाधव को पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI ने ईरान से अगवा किया था। पाकिस्तान में उन पर सैन्य अदालत में मुकदमा चलाकर 2017 के अप्रैल में जासूसी और आतंकवाद के जुर्म में मौत की सज़ा सुनाई थी।
कब क्या हुआ
25 मार्च, 2016: पाकिस्तानी अधिकारी भारत को जाधव की गिरफ़्तारी की सूचना एक प्रेस रिलीज़ के ज़रिए देते हैं। भारत ने उसी दिन जाधव तक भारतीय दूतावास का कॉन्सुलर एक्सेस (दूतवासीय पहुँच, जोकि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का नियम और शिष्टाचार दोनों है) देने की माँग पाकिस्तान के सामने रखी।
30 मार्च, 2016: भारत ने पाकिस्तान को अपनी कॉन्सुलर एक्सेस माँग की याद दिलाई। एक बार नहीं, 14 बार।
7 दिसंबर, 2016: पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अज़ीज़ ने भी माना कि कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तानी अदालत में पेश सबूत पक्के नहीं हैं। लेकिन उसी दिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यह दावा भी कर दिया कि सरताज अज़ीज़ द्वारा ऐसा बयान दिए जाने की बात ही गलत है।
6 जनवरी, 2017: पाकिस्तान ने नए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरस को डोज़ियर सौंपने का दावा किया, जो अपने देश को “अस्थिर” करने के लिए भारतीय हस्तक्षेप पर था।
10 जनवरी, 2017: पाकिस्तानी सेना की इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशन्स (ISPR) ने प्रेस रिलीज़ जारी कर जाधव को मृत्युदण्ड सुनाए जाने की सूचना दी।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहुँचा भारत
मई, 2017: भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाधव तक कॉन्सुलर एक्सेस न देने को लेकर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ याचिका दायर की और सैन्य अदालत के फैसले को चुनौती दी। 15 मई, 2017 को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत और पाकिस्तान की दलीलें सुनने के बाद मामला सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने भारत का पक्ष रखा। 18 मई को अदालत ने अपने अंतिम फैसले तक के लिए कुलभूषण को सुनाई गई सज़ा को स्थगित कर दिया। भारत ने विएना कन्वेशन के नियमों के गंभीर उल्लंघन का आरोप पाकिस्तान पर लगाया। भारत के अनुसार विएना कन्वेंशन के अनुच्छेद 36 के दिशा-निर्देश के मुताबिक़ कॉन्सुलर एक्सेस हर मामले में आवश्यक है, चाहे जासूसी के आरोप ही क्यों ना हों।
17 अप्रैल, 2018: भारत ने अपने पक्ष में दूसरे दौर की दलीलें रखीं।
7 जुलाई, 2018: पाकिस्तान ने भारत के आरोपों पर अपना प्रत्युत्तर अदालत में जमा किया।
20 नवम्बर, 2018: तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कुलभूषण तक राजनयिक पहुँच (डिप्लोमेटिक एक्सेस) की माँग की।
19 फरवरी, 2019: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण मामले की खुली अदालत में सुनवाई शुरू की। भारत की माँग मृत्यु दण्ड को ख़ारिज करने और जाधव की तत्काल रिहाई की थी। भारत के अनुसार पाकिस्तान ने ठोस सबूत पेश करना तो दूर, सामान्य न्यायिक प्रक्रिया का भी पालन इस मामले में नहीं किया। अपना पक्ष रखते हुए भारत ने दावा किया कि एक तथाकथित कबूलनामे के अलावा पाकिस्तान के पास जाधव के ख़िलाफ़ कोई भी सबूत नहीं है। जाधव की पहचान और राष्ट्रीयता के सवाल पर भारत ने कहा कि उसका पूर्व नेवी अफसर होने की पहचान ही राष्ट्रीयता का सबूत है। कसाब समेत पाकिस्तान द्वारा अपने आतंकियों की लाशों को स्वीकार करने से इंकार पर तंज कसते हुए साल्वे ने यह भी कहा कि भारत के नागरिक ऐसे नहीं होते की सरकार को उनकी नागरिकता नकारने की ज़रूरत पड़े, और न ही भारत विदेशी ज़मीन पर फँसे अपने नागरिकों को नकारता है।