कोरोना वायरस के इलाज को लेकर एक बड़ा शोध घोटाला उजागर हुआ है। चिकित्सा क्षेत्र की दुनिया की सबसे प्रभावशाली पत्रिकाओं में से एक द लैंसेट ने मलेरिया ड्रग्स क्लोरोक्विन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के सम्बन्ध में किए गए चार लेखकों के फर्जी शोध पत्र को वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि इन लेखकों का दावा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कोरोना महामारी की लड़ाई में गेमचेंजर्स के रूप में इस्तेमाल किए जाने से रोगियों में मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसके पूर्व ऐसा ही एक शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित किए गए थे।
दुनिया की प्रमुख चिकित्सा पत्रिकाओं में से एक लैंसेट द्वारा गुरुवार को जो विवादास्पद शोध पत्र को वापस ले लिया गया। उसमें लेखकों द्वारा दावा किया गया था कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जिस दवा ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’ को संजीवनी माना जा रहा था, वह दवा कारगर नहीं रही। संक्रमितों में यह दवा लेने वालों का मृत्युदर और अधिक बढ़ जाता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार इस शोधपत्र जो चार लोग शामिल थे। इनमें प्रमुख रूप से डॉ मंदीप आर मेहरा, डॉ अमित एन पटेल, डॉ सपन देसाई और डॉ फ्रैंक रुशिट्जका जैसे लेखकों का शोधपत्र फर्जी पाए जाने पर, पत्रिका ने फर्जी शोध पत्र को हटा दिया है।
बता दें कि इस स्टडी की सत्यता को जानने के लिए WHO और दूसरी संस्थाओं से दुनियाभर के 100 से ज्यादा रिसर्चर ने जाँच करवाने की डिमांड की थी। जिसके बाद लैंसेट ने कहा, “नए डेवलपमेंट के बाद हम प्राइमरी डेटा सोर्स की गारंटी नहीं ले सकते, इसलिए स्टडी वापस ले रहे हैं।”
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से मृत्यदर बढ़ने की आशंका पर की गई इस स्टडी के चलते इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस ने कहा कि विशेषज्ञों ने इस दवा के सुरक्षा संबंधी डाटा के अध्ययन के बाद फिर से परीक्षण की सिफारिश कर दी है।
WHO को संचालित करने वाले कार्यकारी समूह ने परीक्षण में शामिल सभी दवाओं के समूहों को फिलहाल जारी रखने की स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही कोरोना की दवाओं के परीक्षण में शामिल मरीजों को जल्द ही फिर से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा पहले की तरह देने की अनुमति दे दी है। उन्होंने इस बाबत कहा कि इस सिफारिश का मतलब यह है कि जिन मरीजों ने खुद पर कोरोना दवाओं के परीक्षण की सहमति दे रखी है उन्हें डॉक्टर यह दवा देने लगेंगे। इस आदेश से पूर्व WHO के महानिदेशक ने यह भी बताया कि डब्ल्यूएचओ की सुरक्षा निगरानी कमेटी ने हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन के वैश्विक डाटा का परीक्षण कर लिया है।
गौरतलब है कि इस दवा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कोरोना महामारी की लड़ाई में गेमचेंजर्स के रूप में विशेष तौर पर जोर दिया गया था। लेकिन अब इस शोध के फर्जी पाए जाने के बाद, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर किए गए इस फर्जी शोध के कारण अमेरिका की सियासत फिर से गरम हो सकती है।
क्या है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन?
इस दवा का मुख्य तौर पर इस्तेमाल मलेरिया के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अलावा आर्थराइटिस के उपचार के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा उत्पादन करने वाले देशों में से एक है। यह एंटी मलेरिया दवा है जो कई तरह के मलेरिया से लड़ने में सक्षम है। हालाँकि, यह दवा कोरोनावायरस से किस तरह लड़ती है इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।