इंग्लैंड के लीसेस्टर में साल 2022 में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और हिंदू मंदिरों पर हमले के लिए लोगों को भड़काने वालों में मुख्य चेहरा रहे माजिद फ्रीमैन को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसपर आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकवाद से जुड़े अपराधों से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं।
माजिद फ्रीमैन गाजा पर इजरायल की कार्रवाई का विरोध करता रहा है और 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए आतंकी हमले का समर्थन करता रहा है। यही नहीं, वो सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। ब्रिटेन के चुनाव प्रचार के दौरान वो लेबर पार्टी के सांसद जॉन एशवर्थ से भी भिड़ा था। एशवर्थ ने फिलिस्तीन का समर्थन करने वालों पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद माजिद ने उनका तीखा विरोध किया था।
Majid Freeman, the chief instigator of the attacks on Hindu Temples in Leicester in 2022 has been arrested for terrorism related offences.
— Journalist V (@OnTheNewsBeat) July 9, 2024
This should've happened two years ago https://t.co/EOMhTwczfF
लीसेस्टर में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने में सबसे आगे था माजिद फ्रीमैन
माजिद फ्रीमैन लीसेस्टर का एक स्थानीय मुस्लिम “कार्यकर्ता” है, जो समस्या पैदा करने वाला और चरमपंथी इस्लामी विचारों को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। लीसेस्टर हिंसा के दौरान, माजिद हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली फर्जी खबरें फैलाने में सबसे आगे था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 28 अगस्त 2022 को टी-20 मैच में हुई हार के बाद भारतीय ध्वज का अपमान होने के बाद झड़प हो गई थी। झड़प के बाद हिंदुओं ने माहौल को शांत किया और उस व्यक्ति की मदद की जिसने भारतीय ध्वज छीनकर उसका अपमान किया था। हालाँकि, माजिद फ्रीमैन की कहानी कुछ और ही थी।
लीसेस्टर पुलिस ने 30 अगस्त को जब मुस्लिम संगठनों से प्रभावित होकर झूठ बोला कि हिंदू ‘मुस्लिमों को मारो’ के नारे लगा रहे हैं (बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी जाँच में ऐसा कोई नारा नहीं सुना गया था), तो माजिद ने हिंदुओं के खिलाफ दंगा भड़काने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
शौकत एडम का समर्थक है माजिद फ्रीमैन
माजिद फ्रीमैन एक इस्लामिक कट्टरपंथी है। वो 2022 के लीसेस्टर प्रकरण के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने में सबसे आगे था, तो फिलिस्तीन समर्थक शौकत एडम का भी समर्थक है।
माजिद ने अपने ट्वीट्स में शौकत का खूब समर्थन किया। उसने एक ट्वीट में लिखा “पिछले हफ़्ते की यह बात याद है? @JonAshworth को अभी इसका पछतावा हो रहा होगा। सबसे बढ़िया आदमी @ShockatAdam ने जीत हासिल की और अब लीसेस्टर साउथ में उनकी जगह ले ली है।”
शौकत एडम की तरह ही माजिद फ्रीमैन भी उन्मादी मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा को सही ठहराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता। ऐसे में उसी की तर्ज पर फ्रीमैन ने लगातार फर्जी खबरें फैलाकर और अपने सह-धर्मियों को ‘हिंदुओं को सबक सिखाने’ के लिए उकसाकर इसे एक स्तर आगे बढ़ाया।
सितंबर 2022 में इस इस्लामिक कट्टरपंथी ने आरोप लगाया कि 3 लोगों ने एक किशोर मुस्लिम लड़की का अपहरण करने की कोशिश की थी। उसने ट्वीट किया, “कंफर्म: आज सुबह लीसेस्टर के एक कॉलेज से कुछ ही दूरी पर एक घटना घटी।”
उसने दावा किया, “एक मुस्लिम किशोरी से तीन लोगों ने संपर्क किया था, लेकिन वह स्कूल में भाग गई। कॉलेज और पुलिस को इसकी जानकारी है और लीसेस्टर पुलिस ने परिवार को घटना का नंबर दे दिया है।” उसने यहाँ तक दावा कर दिया कि वो लड़की के परिजनों से मिला, और लड़की अभी सदमे में है।
माजिद के अन्य इस्लामिक कट्टरपंथी साथियों ने उसके इस झूठ को खूब फैलाया। इस मामले में आरएसएस का नाम भी घसीटा गया कि वो कथित अपहरण के मामले में अहम भूमिका निभा रहा था। यही नहीं, इन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मुस्लिम लड़की के अपहरण के झूठे मामले में हिंदू व्यक्ति की जानकारी ऑनलाइन कर दी और उसका पता भी सोशल मीडिया पर लीक कर दिया। इसके साथ ही उस व्यक्ति को फेसबुक पर धमकियाँ दी गई।
इस मामले में लीसेस्टर पुलिस ने प्रेस रिलीज जारी कर सफाई दी थी और कहा था कि किसी मुस्लिम लड़की के अपहरण की कोई घटना नहीं हुई, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को भड़काने की कोशिश की। यही नहीं, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक वीडियो शेयर कर दावा किया कि हिंदुओं ने इस्लाम विरोधी नारेबाजी की है, लेकिन जाँच में ये बात साफ हो गई कि उन्होंने ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए थे, क्योंकि वो हिंदुओं के खिलाफ भड़काई जा रही हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने किसी तरह की इस्लाम विरोधी नारेबाजी नहीं की थी। लेकिन माजिद ने इस मामले में भी फेक न्यूज फैलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी।
दिलचस्प बात यह है कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने वालों का ही पक्ष बीबीसी ने भी लिया और बाकायदा माजिद फ्रीमैन का इंटरव्यू तक कर डाला।
मुस्लिम समुदाय में उन्माद भड़काने और लीसेस्टर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की नींव रखने के माजिद फ्रीमैन की पूछ काफी बढ़ गई थी, तभी तो उस समय शहर के मेयर ने बाकायदा उसके साथ मीटिंग भी की थी।