अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बायडेन के प्रशासन में भारतीय चेहरों का दबदबा होगा। जहाँ एक तरफ कमला हैरिस अफ़्रीकी-भारतीय मूल की पहली महिला हैं, जो वहाँ उपराष्ट्रपति के पद तक पहुँची हैं, तो दूसरी तरफ जो बायडेन ने यूएस की नई ‘फर्स्ट लेडी’ और अपनी पत्नी जिल के पॉलिसी डायरेक्टर (नीति निदेशक) के रूप में माला अडिगा को नियुक्त किया है। भारतीय मूल की माला अडिगा जो बायडेन के 2020 चुनावी अभियान की सीनियर पॉलिसी अडवाइजर रही हैं।
साथ ही वो जिल की वरिष्ठ सलाहकार का दायित्व भी संभालती रही हैं। इससे पहले वो बायडेन फाउंडेशन में बतौर ‘डायरेक्टर फॉर हायर एजुकेशन एंड मिलिट्री फैमिलीज’ कार्यरत रही हैं। बराक ओबामा के कार्यकाल में वो शिक्षा और संस्कृति मामले के ब्यूरो में अकादमिक कार्यक्रमों की ‘डिप्टी असिस्टैंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ के रूप में काम कर चुकी हैं। इसके साथ ही वो स्टेट डिपार्टमेंट के ‘ऑफिस ऑफ ग्लोबल वीमेंस इश्यूज’ में चीफ ऑफ स्टाफ रही हैं।
इसके साथ ही वो एम्बेसडर-एट-लार्ज की वरिष्ठ सलाहकार भी थीं। अनुभवी माला अडिगा ने जिस तरह से लम्बे समय से नव-निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति, उनकी पत्नी और नई उप-राष्ट्रपति के साथ काम किया है, उसका फायदा उन्हें अगले 4 सालों तक ज़रूर मिलेगा। उनके पास ‘नेशनल सिक्योरिटी स्टाफ्स (NSS) मल्टीलेटरल एंड ह्यूमन राइट्स डायरेक्टरेट’ के मानवाधिकार निदेशक के रूप में काम करने का भी अनुभव है।
NSS में सेवा देने से पहले वो न्याय विभाग में अटॉर्नी थीं। वहाँ वो एसोसिएट अटॉर्नी जनरल की सलाहकार थीं। US डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट पर उपलब्ध उनकी जीवनी के अनुसार, सरकारी सेवा में आने से पहले माला अडिगा बराक ओबामा के चुनाव प्रचार अभियान में वालंटियर रहीं और 2 सालों तक उनके लिए काम किया था। उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो लॉ स्कूल’, ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा’ और ‘ग्रीनल कॉलेज’ से शिक्षा प्राप्त की है।
उनके पास स्पेनिश की भी डिग्री है। कर्नाटक के उडुपी जिले के कुन्दापुर तालुका में स्थित कक्कूंजे गाँव में माला अडिगा की व्हाइट हाउस में नियुक्ति के बाद ख़ुशी का माहौल है। वो के सूर्यनारायण अडिगा के परिवार से सम्बन्ध रखती हैं, जो ‘कर्नाटक बैंक लिमिटेड’ के संस्थापक हैं। ‘द व्हाइट टाइगर’ के लेखक अरविन्द अडिगा, जिन्हें 2008 में मैन बुकर पुरस्कार मिला, इसी परिवार का हिस्सा हैं। निर्मला उपाध्याय उनकी बुआ हैं।
निर्मला ने मीडिया को बताया कि माला एक प्यारी और आकर्षक ‘बच्ची’ हैं। जिल बायडेन अमेरिका की सेकंड लेडी रह चुकी हैं और पेशे से शिक्षक हैं। उनकी प्राथमिकता में शिक्षा और सैन्य मामले होंगे। 69 वर्षीय प्रोफेसर पहले ही कह चुकी हैं कि उनके पति के चुनाव जीतने के बाद वो फिर से कम्युनिटी कॉलेजों में पढ़ाना शुरू कर देंगी। अपने पति के 8 साल तक उपराष्ट्रपति रहने के दौरान वो वर्जीनिया कम्युनिटी कॉलेज में पढ़ाने जाती थीं।
We are so proud that Grinnellian Mala Adiga ’93 has been named the policy director for @DrBiden by President-Elect @JoeBiden. #alumni #GrinnelliansForLife #GoForthGrinnellian https://t.co/TG7LW4jbaN
— Grinnell College (@GrinnellCollege) November 20, 2020
47 वर्षीय माला अडिगा का जन्म भले ही अमेरिका में हुआ, लेकिन वो अपनी जड़ों को भूली नहीं हैं। वो कुन्दापुर में अपने एक सम्बन्धी के शादी समारोह में अपने पति चार्ल्स बीरो के साथ आई थीं। उनके पिता डॉक्टर रमेश 24 साल की उम्र में ही 1960 में अमेरिका में बस गए थे। उनकी माँ भी डॉक्टर थीं। उनकी 15 साल की बेटी का नाम आशा है। अपने गाँव के ‘चैतन्य स्पेशल स्कूल’ का जिम्मा भी उन्होंने ही संभाल रखा है।
माला की कजन सुजाता नकथया ने बताया कि माया एक मेहनती महिला हैं और हमेशा नई ऊँचाइयों को पाने के लिए बेताब रहती हैं। सुजाता स्कूल की सेक्रेटरी हैं। वो काफी नीचे से ऊपर आई हैं, क्योंकि पहले वो एक फ़ेडरल कम्पनी में बतौर क्लर्क कार्यरत थीं। ऐसे में अब भारतीय समुदाय को उम्मीद है कि जिल बायडेन की नीति निदेशक के रूप में माला अडिगा की नियुक्ति से भारत का पक्ष ठीक से रखा जाएगा। साथ ही दक्षिण भारत की दो महिलाओं का अमेरिकी प्रशासन में बड़े पदों पर होने से वहाँ ख़ुशी का माहौल है।
इसी तरह ‘भारत के मित्र’ एंटोनी ब्लिंकन को ‘सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ बनाया गया है। अर्थात, वो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के नए विदेश मंत्री होंगे। ये भारत के लिए अच्छी, तो पाकिस्तान और चीन के लिए बुरी खबर है। वो पहले से ही जो बायडेन की विदेशी नीतियों को बनाने वाली टीम के मुखिया रहे हैं। वो जो बायडेन के उपराष्ट्रपति के कार्यकाल में उनके NSA भी रह चुके हैं। वो ‘स्टेट फॉरेन रिलेशन कमिटी’ के स्टाफ डायरेक्टर भी रहे हैं। फिर वो डिप्टी सेक्रेटरी बन गए।