पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कट्टरपंथियों के दबाव में प्रशासन ने श्रीकृष्ण मंदिर के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। अब यहॉं तोड़फोड़ किए जाने की खबर आई है। इस हरकत को अंजाम देने वाला का नाम मलिक शनी अवन बताया जा रहा।
इस्लामाबाद के लोग इस घटना के बाद उसे ‘हीरो’ की तरह पेश कर रहे। उसकी जम कर प्रशंसा की जा रही है।
सोशल मीडिया में पाकिस्तानी उसकी तारीफ कर रहे हैं, जिससे वहाँ पहले से ही डर के साए में जी रहे हिन्दुओं के लिए माहौल और ज्यादा असुरक्षित हो गया है। मलिक शनी ने न सिर्फ मंदिर की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया बल्कि ऐसा करते हुए वीडियो भी शूट किया।
इस वीडियो में वह कुछ लोगों के साथ मंदिर कंस्ट्रक्शन साइट पर जाकर दिखाता है कि काम रोक दिया गया है और वो इस पर ख़ुशी भी जताता है।
Islamabad Temple Construction site: VIDEO #3 pic.twitter.com/0PcCBrWHWa
— Prem Rathi (@PremRathee) July 4, 2020
एक अन्य वीडियो में ये शख्स मंदिर के निर्माण के लिए खड़ी की गई दीवारों को तोड़ता हुआ दिखता है और साथ ही उसने ईंटों को भी उठा-उठा कर इधर-उधर फेंका। एक अन्य वीडियो में भी वो मंदिर में तोड़फोड़ मचाता दिख रहा है और बैकग्राउंड में ‘अल्लाह ने अपने बच्चों को तनहा नहीं छोड़ा’ गाना बज रहा है। इस व्यक्ति की इस हरकत के बाद पूरे पाकिस्तान में हिन्दू-विरोधी माहौल को और हवा मिल रही है।
पाकिस्तान में लोग सोशल मीडिया पर ‘एक दूसरे से कह रहे हैं कि वे इस्लामाबाद स्थित निर्माणाधीन श्रीकृष्ण मंदिर वाले स्थल पर पहुँचें और मंदिर को ध्वस्त कर दें। कई लोग वीडियो बना कर भी ऐसी अपील कर रहे हैं।
इससे अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय डरा हुआ है। मौलाना इस मंदिर को लेकर पहले ही फतवा जारी कर चुके हैं।
His name is Malik Shani Awan. He proudly posted this incident on Facebook too. He has become a local hero after the sacrilege.https://t.co/UNPOCwreuM
— Soumyadipta (@Soumyadipta) July 5, 2020
वहीं अगर मलिक शनी अवन के बारे में बात करें तो उसके फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वो पाकिस्तान में ’99 न्यूज़ HD प्लस’ में कार्यरत है। उसने अल्लामा इक़बाल ओपन यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद से पढ़ाई की है। उसने लिखा है कि वो फिलहाल पाकिस्तान के रावलपिंडी में रह रहा है। उसने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स कर गर्व से दावा भी किया कि उसने मंदिर में तोड़फोड़ मचाई है।
बता दें कि इस्लामी कट्टरपंथियों ने फतवा जारी करते हुए कहा था कि सरकार ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों की मरम्मत या जीर्णोद्धार के लिए सरकारी कोष से रुपए खर्च कर सकती है। सरकारी धनराशि का प्रयोग दूसरे धर्म के नए धार्मिक स्थलों के निर्माण में कतई नहीं किया जा सकता है।
इस्लामी कट्टरवादियों के विरोध के आगे झुकते हुए इस्लामाबाद में कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को कानून का हवाला देते हुए कृष्णा मंदिर के निर्माण में बनने वाली चारदीवारी का कार्य रोक दिया था। पाकिस्तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्लामिक आइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है। मजहबी मामलों के मंत्रालय ने नए मंदिर के निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं है।