Thursday, April 25, 2024
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‘…तब पैगंबर मोहम्मद ने 300 मूर्तियों को नष्ट कर दिया था’ – इस्लामाबाद में पहले मंदिर के निर्माण पर उग्र कट्टरपंथी

"मक्का पर फतह पाने के बाद पैगंबर मोहम्मद ने काबा की क़रीब 300 मूर्तियों को नष्ट कर दिया था।" - पंजाब विधान सभा के स्पीकर और PML के वरिष्ठ नेता परवेज़ इलाही ने मुफ़्ती मुहम्मद ज़कारिया के फ़तवे का समर्थन करते हुए यह कहा।

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पहला मंदिर बनाने का निर्णय क्या लिया गया, इस्लामी मजहबी कट्टरपंथियों को ये रास नहीं आया और उन्होंने इसके ख़िलाफ़ फतवा जारी कर दिया। कहा जा रहा है कि ये इस्लामाबाद का पहला मंदिर होता। इस मंदिर की नींव रखने की प्रक्रिया कुछ ही दिनों पहले पूरी की गई है।

इमरान खान की सरकार ने भी मंदिर के निर्माण में 10 करोड़ रुपए का योगदान दिया था। लेकिन अब जामिया अशर्फिया की लाहौर यूनिट के मुखिया मुफ्ती जियाउद्दीन ने मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ कड़ा विरोध दर्ज कराया और फतवा जारी कर दिया।

जियाउद्दीन ने कहा कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों की मरम्मत या जीर्णोद्धार के लिए सरकारी कोष से रुपए खर्च कर सकती है लेकिन सरकारी धनराशि का प्रयोग दूसरे धर्मों के नए धार्मिक स्थलों के निर्माण में कतई नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए मंजूरी दी ही नहीं गई है। बकौल जियाउद्दीन, सरकारी कोष में लोगों के टैक्स का रुपया आता है और उन रुपयों को एक मंदिर के निर्माण में ख़र्च करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ये गलत है।

हालाँकि, डर के माहौल के बीच भी वहाँ के हिन्दू मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं। पाकिस्तान के हिन्दू सांसद लाल चंद मल्ही ने स्पष्ट कर दिया है कि विरोध होना है तो होता रहे, मंदिर निर्माण को नहीं रोका जाएगा।

बता दें कि 10 लाख की जनसंख्या वाले इस्लामाबाद में मात्र 3000 हिन्दू हैं और उन्हें भी प्रताड़ित किया जा रहा है। मामला अब अदालतों के दरबार में पहुँच गया है। इस्लामाबाद के कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी को वहाँ के हाईकोर्ट ने नोटिस भी जारी किया गया है।

मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ याचिका दायर किए जाने के बाद कोर्ट ने ये निर्णय लिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण राजधानी के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का हिस्सा है ही नहीं है।

इस प्रोजेक्ट को इमरान खान सरकार के ही मंत्री पीर नूर उल हक कादरी ने एक बैठक के बाद शनिवार (जून 27, 2020) को मंजूरी प्रदान की थी। वहाँ के अल्पसंख्यक नेताओं मल्ही, शुनीला रूथ, जेम्स थोमद, डॉक्टर रामेह वाँकवानी और जय प्रकाश उकरानी ने इस प्रोजेक्ट का समर्थन किया था।

बता दें कि यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का है। इस मंदिर का निर्माण इस्‍लामाबाद के H-9 क्षेत्र में 20,000 वर्गफुट में किया जा रहा है। मंगलवार को पाकिस्‍तान के ह्यूमन राइट्स के संसदीय सचिव लाल चंद्र मल्‍ही ने ही इस मंदिर की आधारशिला रखी थी।

नींव रखे जाने के इस कार्यक्रम के दौरान वहाँ उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मल्‍ही ने जानकारी दी थी कि भारत और पाकिस्तान की आज़ादी से पहले इस्‍लामाबाद और उससे सटे हुए क्षेत्रों में कई हिंदू मंदिर हुआ करते थे।

इनमें सैदपुर गाँव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। हालाँकि, उन्होंने बताया कि इन मंदिरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया और कभी इस्‍तेमाल नहीं किया गया। वो पड़े रहे और प्रयोग में आए ही नहीं। जिस तरह से पाकिस्तान में हाल के दिनों में हिन्दू लड़कियों का जबरन अपहरण कर के उनके इस्लामी धर्मान्तरण के बाद निकाह करा दिया जाता है, उससे हिन्दू समुदाय पहले से ही भयाक्रांत है।

इस्लामाबाद हिन्दू पंचायत ने इस मंदिर का नामकरण किया है और साथ ही पाकिस्तान सरकार से विशेष सहायता की अपील भी की गई है। इसका नाम ‘श्रीकृष्ण मंदिर’ रखा गया है।

इसके लिए 2017 में ही ज़मीन के आवंटन का काम कर दिया गया था। लेकिन, बावजूद इसके तमाम औपचारिकताओं के बीच इस प्रोजेक्ट को 3 सालों तक लटका कर रखा गया। इस मंदिर परिसर में हिंदुओं के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान बनाने को भी तैयारी है। हिन्दू मान्यताओं कर रीति-रिवाजों को पूरा करने के लिए अलग से जगह भी बनाई जाएगी।

बीबीसी के अनुसार, पंजाब विधान सभा के स्पीकर और PML के वरिष्ठ नेता परवेज़ इलाही ने मुफ़्ती मुहम्मद ज़कारिया के फ़तवे का समर्थन करते हुए कहा कि मक्का पर विजय पाने के बाद पैगंबर मोहम्मद ने काबा की क़रीब 300 मूर्तियों को नष्ट कर दिया था। पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार अल्पसंख्यकों को अच्छा माहौल देने के जो दावे करती है, उसकी पोल अब खुल रही है।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सिंध प्रांत के बाडिन जिले के अंतर्गत आने वाले गोलेरची में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है। इन 102 हिंदुओं में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यहाँ के स्थानीय मंदिर में रखी गई हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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