क्या आपको पता है कि जिस मोरक्को की जीत को दुनिया भर के मुस्लिम ‘उम्माह’ की दिशा में कदम बता रहे हैं, वहाँ पर बुर्के पर प्रतिबंध है? जहाँ एक तरफ भारत में भी कई मुस्लिम नेताओं और एक्टिविस्ट्स ने मोरक्को की जीत पर ऐसे ख़ुशी जताई, जैसे कि वो उनकी जन्मधरती ही हो। हालाँकि, मोरक्को के फुटबॉलर अशरफ हकीमी और उनकी पत्नी स्पेनिश अभिनेत्री हिबा अबूक की तस्वीरें देख कर भारत में बुर्का-हिजाब की वकालत करने वालों को गहरा धक्का लगेगा। अभिनेत्री हिबा अबूक जहाँ 36 साल की हैं, उनके फुटबॉलर पति उनसे 12 साल छोटे हैं।
लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी इन दोनों की तस्वीरें शेयर कर के बताया कि कैसे स्टार फुटबॉलर की पत्नी ने न तो बुर्का पहन रखा है और न ही हिजाब। अशरफ हकीमी को ‘मोरक्को का डेविड बेकहम’ भी कहा जाता है। उनकी पत्नी को दुनिया की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक गिना जाता है। उन्होंने ही वो जिताऊ पेनल्टी लगाई थी, जिसके कारण स्पेन फीफा वर्ल्ड कप 2022 से बाहर हो गया। ‘Vogue’ के अरबिया संस्करण के ये दोनों फोटोशूट भी करा चुके हैं।
जनवरी 2017 में ही मोरक्को की सरकार ने बुर्का बनाने, खरीदने-बेचने और इसके प्रचार-प्रसार तक पर रोक लगा दी थी। जिस देश में 99% से भी अधिक जनसंख्या सुन्नी मुस्लिमों की हो, वहाँ इस प्रकार का निर्णय लिया गया। लेकिन, भारत में मुस्लिमों के ठेकेदार कहते हैं कि वो स्कूल-कॉलेज में भी बुर्का-हिजाब चाहते हैं। मोरक्को की सरकार का तर्क था कि बुर्का की आड़ में आतंकियों और अपराधियों ने अपनी करतूतों को अंजाम देना शुरू कर दिया था, इसीलिए सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे प्रतिबंधित किया गया।
चोरी से लेकर कई बड़े अपराधों में भी बुर्का के इस्तेमाल की खबरें सामने आई थीं। लेकिन, ये फैसला कट्टर ‘सलाफी इस्लाम’ को भी ध्यान में रखते हुए लिया गया, जिसके कारण खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन ISIS वहाँ पाँव पसार रहा था। मोरक्को में हर साल 1 करोड़ के आसपास पर्यटक आते हैं, ऐसे में राजस्व के सबसे बड़े साधन को वो लोग हाथ से नहीं जाने देंगे। मोरक्को में वैसे भी काफी कम संख्या में महिलाएँ बुर्का या हिजाब का इस्तेमाल करती थीं।
भारत में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह भी मोरक्को की जीत से खासे खुश नज़र आए। क्या जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में वो सिर्फ मुस्लिमों के सीएम हुआ करते थे या फिर वहाँ बसे हिन्दुओं, बौद्धों और ईसाइयों के भी? सवाल ये है कि मोरक्को ने जब तरक्की, विकास और पर्यटकों को लुभाने को प्राथमिकता पर रखा, तो फिर भारत के मुस्लिम क्यों चाहते हैं कि यहाँ उन्हें कट्टरवादी मानसिकता के खुलेआम प्रदर्शन की अनुमति मिले?
Morocco's star footballer Achraf Hakimi and his wife. They are Muslims and they are not wearing burqa or hijab. pic.twitter.com/NxVfWwB9Jm
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 12, 2022
सबसे बड़ी बात तो ये है कि मोरक्को में जब हिजाब-बुर्का को प्रतिबंधित किया गया, तब वहाँ की जनता ने कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया। ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिससे इस निर्णय की समीक्षा करनी पड़ी हो। हाँ, कुछ सलाफी मुस्लिमों ने ज़रूर इसका विरोध किया। आतंकियों के हमदर्दों की मोरक्को सरकार ने एक न सुनी। महिलाओं के संगठनों ने इस बैन का स्वागत किया। महिला अधिकार की पैरवी करने वालों ने इस फैसले का स्वागत किया। भारत के मुस्लिम मोरक्कों की जीत का जश्न तो मना रहे हैं, लेकिन उससे ये सब सीखने से मना कर रहे हैं।