म्यांमार की अदालत ने सोमवार (6 दिसंबर 2021) को नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों का उल्लंघन करने के लिए चार साल जेल की सजा सुनाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना द्वारा राजधानी Naypyidaw में गठित की गई विशेष अदालत की कार्यवाही से पत्रकारों को दूर रखा गया। साथ ही सू की के वकीलों पर मीडिया से बात करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
आंग सान सू की सैन्य शासन के खिलाफ आवाज उठाने वाले बड़े नेताओं में से एक हैं। विश्व स्तर पर आज भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है। हालाँकि, आंग सान सू की के खिलाफ म्यांमार में कई मुकदमे चल रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार, मतदान में धांधली का भी आरोप लगाया गया है।
म्यांमार में इसी साल फरवरी में सैन्य तख्तापलट हुआ था। उसके बाद भारी विरोध-प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों की आवाज दबाने के लिए सेना ने हिंसक तरीके अपनाए थे, जिसमें 1300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 10,000 से अधिक गिरफ्तार किए गए हैं। देश के कई इलाकों में अब भी विरोध-प्रदर्शन जारी है।
गौरतलब है कि म्यांमार को 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से तीन बार तख्तापलट हो चुका है। इससे पहले 1962 और 1988 में भी ऐसा हुआ था। एक दशक पहले तक म्यांमार में सैनिक शासन ही था। करीब 50 साल सैनिक शासन की वजह से म्यांमार का लोकतंत्र अभी जड़ें नहीं जमा सका है। म्यांमार में 2020 में हुए आम चुनावों में सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (National League for Democracy/ NLD) को बड़ी जीत मिली थी। लेकिन कुछ महीनों बाद ही सेना ने जब आपातकाल की घोषणा करते हुए देश की कमान अपने हाथों में लेने का ऐलान किया था तब नई संसद की पहली बैठक भी नहीं हुई थी।