नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी देकर भारत पर दबाव और पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे लेकिन उनके इस कदम ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। जिससे वो अपनी कुर्सी बचाने के लिए खुद ही पार्टी के बैठकों से गायब हो रहे हैं कि कहीं पार्टी उनसे ही इस्तीफ़ा न माँग ले।
शुक्रवार (26 जून, 2020) को ओली के आवास पर हुई कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की बैठक में भी पीएम ओली ने हिस्सा नहीं लिया। दरअसल, नक्शा जारी करने के बाद से ओली पर दो पदों में से एक पद को छोड़ने की माँग उठने लगी है।
पीएम ओली के घर हुई नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक, गायब रहे प्रधानमंत्री https://t.co/osOt6a60ff
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काठमांडू मीडिया की खबरों के मुताबिक शुक्रवार को ओली के आधिकारिक आवास पर एनसीपी की स्थाई समिति की बैठक हुई। बैठक से एक बार फिर पीएम ओली नदारद रहे। बताया जा रहा है कि पीएम ओली ने पैनल को संदेश भेजा था कि वह देरी से बैठक में हिस्सा लेंगे, लेकिन वे नहीं आए। दरअसल, पार्टी स्थाई समिति की बैठक पहले 7 मई होने थी, लेकिन 44-सदस्यीय पैनल के समर्थन में ओली ने इसे रोक दिया था।
स्थाई समिति के एक सदस्य गोकरन बिस्ट ने कहा, “अध्यक्ष का बैठक से बचना अपनी ही पार्टी की बैठक का अपमान करना है। उन्हें अपने पार्टी के नेताओं की बात सुननी चाहिए थी। दरअसल बिस्ट को प्रचंड के खेमे का व्यक्ति माना जाता है।”
खबरों के मुताबिक नेपाल के कई नेता पीएम ओली का इस्तीफा लेने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि पार्टी के बहुमत से लगता है कि ओली पर अब सरकार चलाने के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता है। आपको बता दें कि पीएम ओली एनसीपी के दो चेयरपर्सन में से एक हैं।
जानकारों के मुताबिक पीएम ओली को उम्मीद थी कि इस महीने संसद के माध्यम से नए राजनीतिक मानचित्र के जरिए वे खुद को एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में पेश करेंगे, जो अपने विशालकाय पड़ोसी को भीतर से दबाव में ढालने के लिए खड़ा हो, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
दरअसल, लंबे समय बाद बुधवार (25 जून, 2020) को हुई नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में इसका असर भी देखने को मिला। ओली की पार्टी के सह अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से इस मसले पर तीखी तकरार हुई।
प्रचंड ने साफ़ शब्दों में ओली से ‘त्याग’ के लिए तैयार रहने को कहा। रिपोर्ट के मुताबिक दहल ने ओली पर आरोप लगाया कि वह पार्टी को अपनी मर्जी के मुताबिक चला रहे हैं, जबकि उन्होंने पार्टी कामकाज में उन्हें (दहल) अधिक अधिकार दिए जाने की बात स्वीकार की थी।
पार्टी के एक नेता के मुताबिक प्रचंड ने ओली से कहा, ”या तो हमें रास्ते अलग करने होंगे या हमें सुधार करने की जरूरत है। चूँकि अलग होना संभव नहीं है, इसलिए हमें अपने तरीके में बदलाव करना होगा, जिसके लिए हमें ‘त्याग’ करने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
गौरतलब है कि हाल में भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई थी। इसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
ओली की कैबिनेट ने नेपाल का एक नया राजनीतिक मानचित्र पेश किया है, जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दिखाया गया। 13 जून को नक्शे में बदलाव से जुड़ा बिल पास कर दिया गया।