नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका देते हुए शेर बहादुर देउबा को दो दिन के भीतर देश का प्रधानमंत्री बनाने का आदेश राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को दिया है। शेर बहादुर देउबा ‘नेपाल कॉन्ग्रेस पार्टी’ के अध्यक्ष हैं। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने संसद को भंग करने के फैसले को भी पलट दिया है। केपी शर्मा ओली की सरकार ने बीते 6 महीने में दूसरी बार संसद में बहुमत सिद्ध कर पाने में असफल रही है।
मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस जबरा की अध्यक्षता में जस्टिस दीपक कुमार कार्की, मीरा खडका, ईश्वर प्रसाद खातीवाड़ा और डॉ आनंद मोहन भट्टाराई की 5 सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ का गठन किया गया था। पीठ ने मंगलवार (13 जुलाई, 2021) शाम 5 बजे तक देउबा को नया प्रधानमंत्री बनाने का आदेश दिया है।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने पाँच महीने में दूसरी बार 22 मई, 2021 को 275 सदस्यों वाले निचले सदन को भंग कर दिया था। उन्होंने ये फैसला प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर लिया था।
इससे पहले देश की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने विपक्ष को बहुमत साबित नहीं कर पाने पर ओली को दोबारा से कार्यवाहक प्रधानमंत्री बना दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को भंग करने के लिए दायर याचिकाओं पर अंतिम फैसला सुनाते हुए उस फैसले को पलट दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 18 जुलाई को संसद की बैठक बुलाने के लिए भी आदेश जारी कर दिया है। दरअसल, बहुमत हासिल करने के लिए वोटिंग हुई थी, लेकिन आपसी मतभेद के चलते विपक्षी फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए।
नेपाली प्रतिनिधि सभा के कुल 146 सांसदों ने प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए देउबा के नाम का आदेश जारी करने की माँग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी। शेर बहादुर देउबा के पक्ष में बहुमत आने के बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने का आदेश दिया।
अब संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक राष्ट्रपति को मंगलवार को देउबा को प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त करना होगा। इसके बाद सात दिनों में शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान शेर बहादुर देउबा को फ्लोर टेस्ट पास करना होगा। उन्हें अपनी नियुक्ति के 30 दिन के भीतर इसे हर हाल में पास करना होगा।
अगर वो विश्वास मत हासिल कर लेते हैं तो शेष कार्यकाल के लिए वह सरकार को सुचारु रूप से चलाएँगे और उनके नेतृत्व में आगामी चुनाव भी होंगे।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा सदन को भंग करने के बाद से नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में सत्ता संघर्ष चल रहा है।