जर्मनी के नाजियों के नाम पर बदनाम कर दिए गए भारतीय परंपरा और समृद्धि के प्रतीक ‘स्वास्तिक’ (Swastik) को लेकर अमेरिका (America) में हिंदू समाज को एक अभूतपूर्व सफलता मिली है। न्यूयॉर्क (New York) सीनेट ने स्वास्तिक को ‘यहूदी विरोधी’ और ‘फासीवादी प्रतीक’ के रूप में हटा दिया है। इसकी जानकारी अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय के संगठन ने शुक्रवार (29 अप्रैल 2022) को दी।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने ट्वीट कर बताया, “सहयोगी दलों के साथ काम कर रहे हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (@hinduamerican) के 4 महीने के अथक प्रयासों के बाद न्यूयॉर्क सीनेट और न्यूयॉर्क विधानसभा में बिल NY A.9155 और NY S.7680 के जरिए ‘स्वास्तिक’ शब्द को हटा दिया गया है। दोनों बिलों को मूल रूप से स्वास्तिक को ‘सेमेटिक विरोधी और फासीवादी प्रतीकों’ के रूप में संदर्भित किया गया था।”
#Breaking: After 4 months of relentless efforts by @hinduamerican working with allies, the word “Swastika” has been removed from @NYSenate & NY State Assembly bills NY A.9155 and NY S.7680.
— Hindu American Foundation (@HinduAmerican) April 28, 2022
BOTH bills originally referred to the swastika as “anti-Semitic and fascist symbols.” pic.twitter.com/fjrfxgDQCu
यहूदी समाज को धन्यवाद देते हुए फाउंडेशन ने कहा, “नाजी जर्मनी के भयानक इतिहास के बावजूद हम अपने यहूदी सहयोगियों को उनकी उदारता के लिए धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हकेनक्रेज़ (नाजियों द्वारा इस्तेमाल प्रतीक) की स्वास्तिक के साथ जुड़ी झूठी पहचान को समाप्त करने में हमारी मदद की।”
Each win moves us one step closer to educating the public about the sacred, auspicious meaning of the #Swastika for various Dharma traditions over several millenia.
— Hindu American Foundation (@HinduAmerican) April 28, 2022
If you haven’t seen our short explainer about it, check it out: https://t.co/rUoMXxddcd.
फाउंडेशन ने कहा कि इस तरह की प्रत्येक जीत सदियों से विभिन्न धार्मिक परंपराओं का अभिन्न अंग रहा स्वास्तिक के पवित्र, शुभ एवं समृद्धि के सूचक अर्थ के बारे में लोगों को शिक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
बता दें कि 7 जनवरी 2021 के कैपिटल सीज का संदर्भ दिया गया है, जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने चुनावी धोखाधड़ी का आरोप लगाकर कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया था। उस दौरान उनके हाथों में ट्रंप के समर्थकों के हाथों में बैनर और झंडे थे। 7 जनवरी 2022 के दिनांक वाले इस बिल में कहा गया है (इस लिंक पर बिल को पढ़ें) कि ट्रंप के समर्थकों के हाथों में यहूदी विरोधी, फासीवादी और नव-नाजीवादी विचारधारा के प्रतीक वाले झंडे थे। इसे संघीय युद्ध वाले झंडे के रूप में जाना जाता है।
अमेरिका में स्वास्तिक नाम से है गाँव
बता दें कि जिस अमेरिका में स्वास्तिक को नाजीवाद के प्रतीक के रूप में चिन्हित किया गया था, उसी अमेरिका में स्वास्तिक नाम का एक सदियों पुराना गाँव है। यह गाँव भी न्यूयॉर्क राज्य में ही है। बाद में उसे नाजीवाद का प्रतीक बताते हुए सितंबर 2020 में इसके नाम को बदलने की वोटिंग हुई, लेकिन नाम बदलने के पक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।
नाम नहीं बदलने के इच्छुक लोगों को लेकर शहर के ब्लैक ब्रुक टाउन बोर्ड के सुपरवाइजर जॉन डगलस ने बताया था कि इस शहर का नाम स्वास्तिक, शहर के मूल निवासियों द्वारा 1800 के दशक में रखा गया था। यह संस्कृत के शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘कल्याण’ होता है। यह गाँव आज भी इसी नाम से जाना जाता है।
कनाडा ने स्वास्तिक पर बैन लगाने की कोशिश की थी
फरवरी 2022 में कनाडा में प्रदर्शन के बाद वहाँ की सरकार ने खालिस्तान समर्थक स्थानीय नेता जगमीत सिंह के दबाव में ट्रुडो सरकार ने स्वास्तिक पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए संसद में एक विधेयक भी लाया गया था। उसके बाद भारत और भारतीयों के विरोध के बाद मार्च 2022 में वहाँ की सरकार ने बिल की भाषा में बदलाव करते हुए स्वास्तिक की जगह ‘हुक्ड क्रॉस’ कर दिया था।