पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अगले सप्ताह इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक होने जा रही है, लेकिन उससे पहले पाकिस्तान ने अपने एजेंडे के तहत इसमें अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को भी आमंत्रित किया है। पाकिस्तान की हरकत का कड़ा विरोध करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार (17 फरवरी 2022) को कड़े शब्दों में कहा कि हम OIC से उम्मीद करते हैं कि वो एंटी इंडिया मूवमेंट और आतंकी गतिविधियों में शामिल संगठनों को प्रोत्साहित नहीं करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को बुलाए जाने के सवाल पर बताया कि हम इस तरह की गतिविधियों को बहुत ही गंभीरता से लेते हैं। ये देश की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश है। इसके साथ ही बागची ने ओआईसी के चरित्र पर शक जाहिर करते हुए कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि ओआईसी विकास के अहम मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय अपने एक सहयोगी के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।
Govt takes seriously the actions motive of which is to destroy India’s unity & sovereignty. Hope OIC won’t encourage nations&orgs indulging in terrorism & anti-India activities. Unfortunate that it’s driven by single agenda: MEA on OIC inviting Hurriyat at Foreign Ministers’ meet pic.twitter.com/oi1DeHPRJI
— ANI (@ANI) March 17, 2022
विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा कि हमने बार-बार ओआईसी को यह कहा है कि वो भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए निहित स्वार्थी तत्वों को अपना प्लेटफॉर्म न दे। गौरतलब है कि ओआईसी ने 22 और 23 मार्च 2022 में इस्लामाबाद में होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुक को निंमत्रण दिया है।
सर्वदलीय हुर्रियत सम्मेलन (APHC) का गठन 1992 में मीरवाइज उमर फारूक के पहले अध्यक्ष के रूप में किया गया था। इसका संविधान हुर्रियत को कश्मीर विवाद के समाधान के लिए संघर्ष छेड़ने के लिए कहता है।
पिछले साल नवंबर 2021 में खबर सामने आई थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत की सभी शाखाओं को केंद्र सरकार UAPA एक्ट के तहत बैन कर सकती है। इस पर घाटी में आतंकियों को फंडिंग करने का आरोप लगा था।