संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ी जीत मिली है, जिसमें यूएस के ओरेगन शिक्षा विभाग ने आधिकारिक तौर पर हिंदुओं के पवित्र धार्मिक प्रतीक स्वस्तिक और नाजी के ‘हेकेनक्रूज़’ के बीच अंतर को मान्यता दी है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने गुरुवार (18 जुलाई) को एक्स पर इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने कहा कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारे प्रतीकों की पवित्रता को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में काम करेगा।
हिंदू अमेरिका फाउंडेशन ने लिखा, “हमारे समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक जीत! ओरेगन में हमारे समर्थकों की अथक परिश्रम के लिए धन्यवाद। ओरेगन शिक्षा विभाग ने आधिकारिक तौर पर नाजी हेकेनक्रूज़ और हमारे पवित्र स्वस्तिक के बीच अंतर को मान्यता दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारे प्रतीकों की पवित्रता को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जीत आपके अटूट समर्थन और समर्पण के बिना संभव नहीं होती। आइए हम अपने पवित्र स्वस्तिक के असली संदर्भ और अर्थ के बारे में लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता फैलाना जारी रखें।”
A Historic Win for Our Community!
— Hindu American Foundation (@HinduAmerican) July 18, 2024
Thanks to the tireless advocacy of our supporters in Oregon, the Oregon Department of Education has officially recognized the distinction between the Nazi hakenkreuz and our sacred swastika. This monumental decision marks a significant step… pic.twitter.com/bIOnQRhgSC
आधिकारिक वेबसाइट ओरेगन.जीओवी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने एक आधिकारिक संदेश जारी किया है जिसका शीर्षक है , “प्रत्येक छात्र का दायित्व – प्रतीकों के बीच अंतर सीखना”। इसमें ओरेगन शिक्षा विभाग ने स्वस्तिक को “एक संस्कृत शब्द के रूप में वर्णित किया है, जिसका उपयोग हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, यहूदी धर्म, जैन धर्म और कुछ मूल अमेरिकी धर्मों और संस्कृतियों सहित कई धर्मों और संस्कृतियों में शुभता और प्राकृतिक दुनिया के तत्वों के प्रतीक के रूप में किया जाता है।”
इस आधिकारिक जानकारी में बाताया गया है कि झुके हुए क्रॉस को अक्सर गलत तरीके से स्वस्तिक बताया जाता है, लेकिन असलियत में ये झुका हुआ क्रॉस नाजियों का हेकेनक्रूज़ है, जो घृणा के प्रतीक के रूप में कुख्यात है। शिक्षा विभाग ने कहा, “हुक वाले क्रॉस की छवि को आम तौर पर ‘स्वास्तिक’ के रूप में संदर्भित किया जाता है, वास्तविक नाजी और नव-नाजी प्रतीक को ‘हेकेनक्रेज़’ के रूप में सही ढंग से लेबल किया गया है, जो ‘हुक वाले क्रॉस’ के लिए जर्मन शब्द है।” सही शब्दों के माध्यम से सही अर्थ को समझें और गलत चीजों के बारे में जानकारियों को जोड़ें…
डॉक्यूमेंट्री में स्वस्तिक बनाम Hakenkreuz की पड़ताल
बता दें कि अमेरिका में बार-बार ‘स्वस्तिक’ से घृणा के कारण इसे प्रतिबंधित करने की माँग की गई, जबकि हिन्दू संगठन इसका विरोध करते रहे। एक डॉक्यूमेंट्री में पश्चिमी मीडिया के इस नैरेटिव का पोस्टमॉर्टम किया था, जिसमें वो ‘स्वस्तिक’ को नाज़ी जर्मन तानाशाह हिटलर और उसके कत्लेआम से जोड़ कर देखते हैं। डॉक्यूमेंट्री में ‘शांति के चिह्न’ को ‘शैतान का प्रतीक’ बनाने वालों की पोल खोलते हुए इसका जवाब दिया गया है कि क्या सचमुच हिटलर ने जिस चिह्न का उपयोग किया, वो ‘स्वस्तिक’ ही था? इस डॉक्यूमेंट्री पर बनी हमारी रिपोर्ट यहाँ पढ़ सकते हैं, जिसमें समझाया गया है कि किस तरह से हिटलर का निशान Hakenkreuz ईसाईयत से जुड़ा है। ये ईसाईयों के क्रॉस से ही जुड़ा निशान है, जबकि स्वस्तिक का इन सबसे कोई लेना-देना नहीं।
लंबे समय से चलाया जा रहा था अभियान
ओरेगोन प्रशासन ने स्वस्तिक को लेकर जो आदेश जारी किया है, उसका लंबे समय से इंतजार था। अमेरिका में ‘हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (HAF)’ ने हिंदुओं के पवित्र प्रतीक चिन्ह ‘स्वास्तिक’ को बैन किए जाने के विरोध में कैम्पेन चला रहा था। इस संगठन ने अमेरिका के राज्य मैरीलैंड में हाउस ऑफ डेलीगेट्स के एक बिल पर आपत्ति जताई थी, जिसमें स्वास्तिक को ‘घृणा’ की निशानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस बिल में कपड़ों, किताबों, स्कूल और ऐसी ही अन्य जगहों पर स्वास्तिक के उपयोग को बैन करने की बात कही जा रही है। हालाँकि अब ओरेगन प्रशासन के निर्णय से दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है।