पाकिस्तान की एक अदालत ने ईशनिंदा के आरोप में एक महिला को मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला रावलपिंडी की गैरिसन सिटी अदालत ने दिया है। महिला के खिलाफ साल 2020 में फारूक हसनत नाम के व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद के अपमान का आरोप लगाया गया था। महिला को बुधवार (19 जनवरी 2022) को सुनाई गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषी करार दी गई अनिका अतीक की उम्र करीब 26 साल है। ईशनिंदा के आरोप लगाने वाले फारूक से वह 2019 में ऑनलाइन मिली थी। अनिका का कहना था कि जब उसने फारूक के साथ दोस्ती बनाए रखने से इनकार कर दिया तो उसने बदला लेने के लिए उस पर ईशनिंदा के आरोप लगाए।
आरोप था कि अनिका ने व्हाट्सएप पर इस्लाम को अपमानित करने वाले संदेश भेजे थे। फारूक ने संदेशों को डिलीट करने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया। इसके बाद फारूक ने इसकी शिकायत संघीय जाँच एजेंसी की साइबर क्राइम ब्रांच में की थी। शुरुआती जाँच में अनिका को दोषी पाया गया। उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। अब उसे 20 साल जेल और फाँसी की सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में लगभग 80 लोग ईशनिंदा का आरोप में बंद हैं। इनमें से आधे आजीवन कारावास या मौत की सजा पा चुके हैं। दिसंबर 2021 में श्रीलंका के नागरिक प्रियांथा कुमारा को कट्टरपंथियों की भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में सियालकोट में जिन्दा जला दिया था। कुमारा यहाँ की एक फैक्ट्री में मैनेजर थे। उससे पहले अगस्त 2021 में पंजाब प्रांत के रहीम यार खान जिले में 8 साल के हिन्दू बच्चे को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून काफी विवादों में रहा है। आपसी विवादों में भी इसका दुरुपयोग किया जाता है। यहाँ तक कि ऐसे मामलों आरोपितों का बचाव करने वालों को भी कट्टरपंथी नहीं छोड़ते। 2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या उनके ही सुरक्षाकर्मी ने कर दी थी, क्योंकि उन्हें ईशनिंदा की आरोपित ईसाई महिला आसिया बीबी का बचाव किया था।