पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की गद्दी से हटने के बाद इमरान खान फिर चर्चा में हैं। चर्चा की वजह है उनकी ड्रीम यूनिवर्सिटी, जिसका नाम अल कादिर विश्विद्यालय है। बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जिसकी जाँच शुरू कर दी गई है। इसके अलावा पाकिस्तान की भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था ने गुरुवार (28 अप्रैल, 2022) को अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की बीबी बुशरा बेगम की करीबी दोस्त फराह खान के खिलाफ आय से अधिक अवैध संपत्ति मामले में जाँच के आदेश दे दिए हैं।
दोनों ही मामले में इमरान खान का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि फराह खान का भ्रष्टाचार का खेल इमरान खान और बुशरा के इशारे पर चल रहा था। वहीं ‘अल कादिर विश्वविद्यालय’ को लगातार लाखों रुपयों का डोनेशन मिल रहा है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले सिर्फ 37 छात्र हैं। अल कादिर विश्वविद्यालय के लिए 2019 में एक रियल एस्टेट दिग्गज ने भूमि दान में दी थी।
पाकिस्तान के पंजाब में स्थित इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत इमरान खान के कार्यकाल में 2019 में हुई थी। इसे ट्रस्ट के जरिए चलाया जा रहा है, जिसमें हर साल लाखों रुपए डोनेशन के तौर पर आ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है, वहाँ सिर्फ एक विषय की पढ़ाई कराई जा रही है और इसकी मान्यता को लेकर भी पेंच फँसा हुआ है।
अलकादिर विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, इसे एक ट्रस्ट के जरिए चलाया जा रहा है। इसे भले ही यूनिवर्सिटी का नाम दे दिया गया है, लेकिन अभी इसे मान्यता नहीं मिली है। फिलहाल इसे पंजाब हायर स्टडी डिपार्टमेंट की ओर से मान्यता मिलनी बाकी है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ एक ही मैनेजमेंट कोर्स चलाया जा रहा है। पाकिस्तानी मीडिया द न्यूज के मुताबिक यहाँ के मैनेजमेंट में केवल 50 स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं। फिलहाल इसमें 37 छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के ज्यादातर खर्चे डोनेशन के जरिए मिलने वाली रकम से वहन किए जाते हैं। स्टूडेंट्स से ट्यूशन फीस ली जाती है।
इस यूनिवर्सिटी को रियल एस्टेट कारोबारी द्वारा दान की गई जमीन पर बनाया गया है। हर साल इसे करोड़ों रुपए का डोनेशन मिलता है। सिर्फ 2021 में इस यूनिवर्सिटी को 18 करोड़ रुपए की डोनेशन राशि मिली है। जबकि तमाम खर्च और शिक्षक, स्टाफ व वर्कर्स की सैलरी को मिलाकर कुल लागत 86 लाख रुपए ही हैं। इस ट्रस्ट में भी इमरान खान के करीबी शामिल हैं। पहले विश्वविद्यालय के ट्रस्ट में इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी, जुल्फिकार अब्बास बुखारी और जहीर उद दीन बाबर अवान थे। हालाँकि बाद में उनकी जगह आरिफ नजीर बट और फरहत शहजादी को शामिल किया गया तो इसको लेकर काफी हो-हल्ला भी मचा था क्योंकि वह इमरान खान बीबी बुशरा की करीबी दोस्त हैं।
अब आशंका जताई जा रही थी कि पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद फराह खान को गिरफ्तार किया जा सकता है। उनके शौहर अहसन जमील गुज्जर पहले ही अमेरिका जा चुके हैं। इसलिए वह 3 अप्रैल को ही दुबई पहुँच गई थी। इसी दिन पाक नेशनल असेंबली में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया गया था। विपक्ष का आरोप है कि फराह ने अधिकारियों को मनपसंद पद दिला मोटी रकम कमाई है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा घोटाला है और फराह ने 600 करोड़ पाकिस्तानी रुपए (246.87 करोड़ रुपए) वसूले हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल)-एन उपाध्यक्ष मरियम का दावा है कि फराह का भ्रष्टाचार इमरान और बुशरा की शह पर चल रहा था।
इधर इमरान को डर है कि सत्ता हाथ से जाते ही उनके घोटाले सामने आ सकते हैं। इमरान पर यह भी आरोप है कि उनकी सहमति से 72 साल के एक शख्स को सरकारी नौकरी दी गई। इतना ही नहीं, शख्स को 19 लाख पाकिस्तानी रुपए की सैलरी भी दी गई। इस शख्स का नाम अब्दुल लतीफ यूसुफजई है और यह अब भी नेशनल असेंबली में काम कर रहा है। जानकारी के मुताबिक लतीफ की नौकरी सिफारिश लेकर तत्कालीन स्पीकर असद कैसर इमरान खान के पास आए थे। आरोप है कि स्पीकर रहते हुए असद कैसर ने 200 से ज्यादा लोगों को पार्लियामेंट सेक्रेटेरिएट में इस तरह की नौकरी दिलवाई। इनकी वजह से देश के खजाने को हर महीने करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। अब इन सबकी जाँच शुरू हो गई है।