पाकिस्तान के लाहौर में एक मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर कब्जा कर लिया है। उसने एक वीडियो जारी करके सिखों को धमकी दी है। इसमें कहा है कि पाकिस्तान इस्लामी देश है और यहाँ सिर्फ़ मुस्लिम रह सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मौलवी का नाम सोहेल बट्ट है। वह दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) से जुड़ा है। वह लाहौर में मुस्लिम पैगम्बर हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह का केयरटेकर भी है। उसने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर गुरुद्वारा शहीद भाई तारु सिंह की जमीन पर कब्जा किया है।
👉 #Jago !
— HJS Bangalore (@HJSBangalore) July 27, 2020
Peacefuls stopped Sikhs from entering ancient Bhai Taru Singh #Gurudwara located at #Lahore in #Pakistan stating it as a mosque !
Is it acceptable to Khalistanis ?
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जमीन कब्जाने के बाद उसने जो वीडियो जारी की है उसमें उसने पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गोपाल सिंह चावला को धमकी दी गई है। गोपाल चावला ने गुरुद्वारा में पिछले साल सिखों के प्रतीक श्री निसाल साहिब को फहराया था। सोहेल ने दावा किया है कि गुरुद्वारा और उसके आसपास की 4 से 5 कनाल जमीन हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह और शहीदगंज मस्जिद की है।
Another example of persecution of minorities in #Pakistan
— IMShubham (@shubham_jain999) July 27, 2020
A Maulvi of Lahore captured the land of the Gurudwara Shaheed Bhai Taru Singh by saying that Pakistan is only for Muslims.
Pakistan’s ISI is also involved in this conspiracy.@ShefVaidya @Sanjay_Dixit @sankrant @DVATW pic.twitter.com/XN0lUmOVfN
कहा जा रहा है कि सोहेल ने ये कदम भू-माफियों के इशारे पर उठाया गया है। इसमें से एक तो ISI का ऑफिसर जेन साब भी है। मौलवी को वीडियो में कहते सुना जा सकता है, “एक मुस्लिम राष्ट्र होने के नाते पाकिस्तान केवल मुस्लिमों का है। 1947 में पाकिस्तान के बनने के समय करीब 20 लाख मुस्लिमों ने जिंदगी गँवाई थी। ये सिख गुंडागर्दी दिखा रहे हैं। यह एक इस्लामी राष्ट्र है, वे कैसे गुंडागर्दी दिखा सकते हैं? ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि यह साइट हमारी है।”
यहाँ बता दें कि लाहौर की जमीन पर स्थित यह गुरुद्वारा भाई तारू सिंह के शहीद स्थल पर बना था। वहीं तारू सिंह जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने केश नहीं कटवाए थे, बल्कि उसके बदले अपनी खोपड़ी उतरवा ली थी। 1726 में मुगलकाल के दौरान जकारिया खान ने उन्हें इस्लाम स्वीकारने को कहा था। लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
इसके बाद जकारिया खान ने उन पर कई ज्यादतियाँ की और आखिर में उनसे उनके केश माँगे। लेकिन उन्होंने केश नहीं उतरवाए। आज पाकिस्तान में ऐसे कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। लेकिन स्थितियाँ अब पहले जैसी नहीं हैं।