महँगाई और गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपना हज कोटा (Pakistan Hajj Quota) सऊदी अरब को वापस कर दिया है। पाकिस्तान के बीते 75 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। दरअसल, भारी महँगाई के चलते इस साल हज के लिए काफी कम आवेदन आए थे। इसके चलते पाकिस्तान को यह कदम उठाना पड़ा। हज कोटा वापस करने के साथ ही पाकिस्तान सरकार ने करोड़ों डॉलर बचा लिए।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने हज यात्रा के आठ हजार सरकारी योजना कोटे वापस किए हैं। इस तरह से सरकार ने करीब 2.4 करोड़ डॉलर यानी करीब 6,80,95,20,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपए (8 मई 2023 के रेट से) बचा लिए हैं। अब पाकिस्तान को हज कोटे के लिए कोई भी शुल्क नहीं देना होगा।
बताया जा रहा है कि यदि पाकिस्तान हज कोटा वापस नहीं करता तो उसे बची हुई राशि को हज जाने वाले लोगों के रहने पर खर्च करना होता। पाकिस्तान को यह पैसा सब्सिडी के रूप में देना पड़ता। लेकिन अब बचा हुआ हज कोटा वापस होने के बाद पाकिस्तान का यह पैसा बच जाएगा।
बता दें कि सऊदी अरब ने इस साल पाकिस्तान को 1,79,000 हज यात्रियों का कोटा दिया था। इसके तहत 89605 हज यात्रियों का कोटा सरकार को तथा शेष कोटा प्राइवेट ऑपरेटरों को दिया गया था। पाकिस्तान में हज कोटा के लिए पर्याप्त आवेदन नहीं आए। ऐसे में सरकार ने ऐलान किया है कि इस साल की हज यात्रा के लिए लकी ड्रॉ नहीं होगा। जब आवेदकों की संख्या अधिक होती थी, तब लकी ड्रॉ के द्वारा हज यात्रियों का चयन होता था।
गौरतलब है कि हज यात्रा के लिए पर्याप्त आवेदन न आने पर पाकिस्तान की सरकार ने पहले हज कोटा प्राइवेट ऑपरेटरों को सौंपने का फैसला किया था। लेकिन विदेशी मुद्रा की किल्लत से जूझ रही सरकार को डर था कि यदि प्राइवेट ऑपरेटर को हज कोटा मिल गया तो वे खुले मार्केट से डॉलर खरीदेंगे। इससे डॉलर की किल्लत और भी अधिक बढ़ जाएगी। इसके बाद पाकिस्तान ने हज कोटा सऊदी अरब को लौटाने का फैसला किया।