पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने कहा है कि उसने जो बोया है वह उसे काटना पड़ेगा। साथ ही कहा है कि दुनिया जानती है कि आतंकवाद और संगठित अपराध का गढ़ कहाँ है। कनाडा की तरह ही पाकिस्तान ने भी बेतुके आरोप लगाते हुए अपने मुल्क में हुई कुछ हत्याओं के पीछे भारतीय एजेंटों के होने दवा को लेकर भारत पर आरोप लगाए थे।
पाकिस्तान के विदेश सचिव मुहम्मद साइरस सज्जाद काजी ने 25 जनवरी 2024 को कहा था कि सियालकोट और रावलकोट में दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ होने को लेकर उनके पास विश्वसनीय सबूत हैं। ये हत्याएँ 2023 में हुई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की पाकिस्तान की नई कोशिश करार दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने पाकिस्तानी विदेश सचिव की गई कुछ टिप्पणियों की मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं। यह झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। भारत भारत विरोधी दुष्प्रचार की पाकिस्तान की नवीनतम कोशिश है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे वक्त से आतंकवाद, संगठित अपराध और अवैध अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का केंद्र रहा है। भारत और कई अन्य देश सार्वजनिक तौर से पाकिस्तान को चेतावनी दे चुके हैं कि वह आतंक और हिंसा की अपनी संस्कृति में नष्ट हो जाएगा।
जायसवाल ने कहा कि अपने गलत कामों के लिए दूसरे को दोष देने का न तो कोई औचित्य है और न ही इससे कोई समाधान निकलने वाला है। बता दें कि पाकिस्तानी विदेश सचिव मुहम्मद साइरस काजी ने जिन दो हत्याओं का जिक्र कर रहे थे, उनकी पहचान शाहिद लतीफ और मुहम्मद रियाज के तौर पर हुई थी।
इससे पहले कनाडा ने भी इसी तरह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाए थे। यह बात भी सामने आई थी कि भारत को घेरने के लिए कनाडा ने दुनिया भर के कई देशों का दरवाजा खटखटाया था। पर उसके बेतुके दावों का किसी ने समर्थन नहीं किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारतीय एजेंटों पर लग रहे आरोपों को लेकर कनाडा सरकार से सबूत माँगे थे। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी प्रकार की जाँच से इनकार नहीं कर रहा है। लेकिन जाँच करवाने के लिए भारतीय एजेंटों के खिलाफ कुछ सबूत तो दिए जाएँ।
उन्होंने कहा था, “कनाडा में, हमें लगता है कि कनाडाई राजनीति ने हिंसक और अतिवादी राजनीतिक विचारों को जगह दी है जो हिंसक तरीकों सहित भारत से अलगाववाद की वकालत करते हैं। इन लोगों को कनाडा की राजनीति में शामिल किया गया है। उन्हें अपने विचार व्यक्त करने की आजादी दी गई है।”