फिलिस्तीन के इस्लामी आतंकी संगठन हमास को धन और हथियार सहित हर तरह से मदद करने वाले ईरान ने अब मदद से इनकार कर दिया है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने मिलने आए हमास के नेता से कहा कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किए गए हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इसलिए हमास की ओर से ईरान युद्ध में हिस्सा नहीं लेगा। वहीं, हमास के ठिकाने से बरामद हुए दस्तावेजों से पता चला है कि हमले से पहले ईरान आतंकी संगठन हमास को हथियार बनाने में मदद देना चाहता था।
अयातुल्ला अली खामेनेई ने हमास के नेता इस्माइल हनीयेह से कहा कि ईरान फिलिस्तीनी संगठन हमास को लंबे समय से राजनीतिक और नैतिक समर्थन देना जारी रखेगा, लेकिन युद्ध में वह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। दरअसल, इस्माइल ने ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनाई से इस साल नवंबर के शुरुआत में मुलाकात करके समर्थन माँगा था।
हमास के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि खामेनाई ने इस्लामइल पर फिलीस्तीनी समूह की उन आवाजों को कम करने के लिए दबाव डाला, जो ईरान और उसके लेबनानी सहयोगी और हिजबुल्लाह को इजरायल के खिलाफ लड़ाई में पूरी ताकत से शामिल होने के लिए कह रहे थे। हिज्बुल्लाह लेबनान में शिया गुट का इस्लामी आतंकी संगठन है, जिसे ईरान का समर्थन हासिल है।
हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले से लेबनान का हिज्बुल्लाह भी आवाक रह गया था। इजरायल की सीमा से सटे गाँवों में तैनात उसके आतंकियों को भी इस हमले के बारे में जानकारी नहीं थी। हिज्बुल्लाह के करीबी तीन सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि इसके आतंकियों को वहाँ से तुरंत बुलाना पड़ा था। ये आतंकी साल 2006 में इजरायल के साथ युद्ध में अग्रिम पंक्ति में थे।
जिस दिन हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला किया था, उस दिन हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद डेफ ने अपने सहयोगियों से इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की थी। उन्होंने एक ऑडियो संदेश में कहा था, “लेबनान, ईरान, यमन, इराक और सीरिया में इस्लामी प्रतिरोध के हमारे भाई, यह वह दिन है जब आपका प्रतिरोध फिलिस्तीन के लोगों के लिए भी है।”
इसके पहले ईरान ने हमास के आतंकियों को हथियार बनाने में मदद देने की बात कही थी। CNN ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गाजा के बाहर हमास के पिकअप ट्रक के अंदर पाए गए कंप्यूटर से इस संबंध में एक दस्तावेज बरामद किया गया है। इजरायली अधिकारियों द्वारा बरामद किए गए इस दस्तावेज से पता चलता है कि हमास के एक सैन्य कमांडर ने हमास के आतंकियों को प्रशिक्षण देने के लिए ईरान से अनुरोध किया था।
यह दस्तावेज़ हमास के एक सैन्य कमांडर का जुलाई 2023 में ईरानी सरकार को लिखा पत्र प्रतीत होता है। इसमें ईरान सरकार से अनुरोध किया गया है कि उसकी इकाई के सात सदस्यों को एक छात्रवृत्ति कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ईरान की यात्रा करने की अनुमति दी जाए। इज़रायली अधिकारी के अनुसार, हमास लड़ाकों को विश्वविद्यालय कार्यक्रम के माध्यम से विस्फोटक इंजीनियरिंग के प्रशिक्षण की भी पेशकश की गई थी। इसे ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स दिया गया था।
इस दस्तावेज से इस बात की भी पुष्टि होती है कि दक्षिणी इज़राइल पर 7 अक्टूबर 2023 के हमले से पहले ईरान आतंकी संगठन हमास को तकनीकी प्रशिक्षण देना चाह रहा था। इससे हमास को अपने हथियार बनाने में मदद मिलेगी। एक इजरायली अधिकारी के हवाले से CNN ने लिखा है कि गाजा पट्टी में ईरानी शासन द्वारा प्रॉक्सी आतंकी के गठन, समर्थन, वित्तपोषण और प्रशिक्षण के गहरे बुनियादी ढाँचे का यह एक हिस्सा है।
इसी संबंध में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी एक रिपोर्ट में बताया है कि इजरायल पर हुए अभूतपूर्व हमले के पहले हमास के लड़ाकों ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स में ट्रेनिंग की थी। इस ट्रेनिंग में आतंकी संगठन ‘इस्लामिक जिहाद’ के 500 खूंखार आतंकी भी शामिल थे।
इज़रायली सरकार ने इस दस्तावेज़ पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालाँकि सरकार के सूत्रों ने इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि की है। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों ने फिलहाल इसकी पुष्टि करने से इनकार कर दिया है। खुफिया जानकारों का कहना है कि ईरान प्रशिक्षण के जरिए इन आतंकियों को उनकी सैन्य उत्पादकता में वृद्धि करना चाहता था, ताकि उनकी ईरानी पर निर्भरता को कम किया जा सके।