आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान के बच्चों को अब सिलेबस की किताबें नहीं मिलेंगी। देश में कागज का संकट है। आसमान छूती कीमतों की वजह से प्रकाशकों के लिए छपाई करना मुमकिन नहीं है। पेट्रोल-डीजल, अनाज और दूसरी चीजों की पहले से ही किल्लत चल रही है। कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट हो रही है। इसे देखते हुए पिछले दिनों एक मंत्री ने लोगों को चाय कम पीने की सलाह भी दी थी।
पाकिस्तान पेपर एसोसिएशन ने कहा है कि देश में कागज का संकट है। इसके कारण अगस्त 2022 से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र में छात्रों के लिए किताबें उपलब्ध नहीं होंगी। बताया जा रहा है कि वैश्विक मुद्रास्फीति, सरकारों की गलत नीतियों और स्थानीय कागज उद्योगों के मनमानी से यह संकट पैदा हुआ है।
ऑल पाकिस्तान पेपर मर्चेंट एसोसिएशन, पाकिस्तान एसोसिएशन ऑफ प्रिंटिंग ग्राफिक आर्ट इंडस्ट्री (PAPGAI) और पेपर उद्योग से जुड़े अन्य संगठनों ने देश के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. कैसर बंगाली के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसके बारे में बताया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चेतावनी दी कि नए शैक्षणिक वर्ष में पेपर संकट के कारण छात्रों को किताबें उपलब्ध नहीं होंगी। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान में कागज काफी महँगा हो गया है और इसकी कीमत रोज बढ़ती जा रही है। प्रकाशक किताबों की कीमत निर्धारित नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा का पाठ्यपुस्तक बोर्ड किताबों की छपाई नहीं कर पाएगा।
#Pakistan paper association has warned that due to the paper crisis in the country, books will not be available to students in the new academic year starting August 2022.https://t.co/bifkf0QT4z
— Hindustan Times (@htTweets) June 24, 2022
इस बीच, पाकिस्तानी स्तंभकार अयाज आमिर ने दुनिया डेली में प्रकाशित एक लेख में ‘अक्षम और असफल शासकों’ पर सवाल उठाया है। उनसे पूछा है कि जब पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं तो सरकारें इन आर्थिक समस्याओं का समाधान कैसे करेंगी। उन्होंने कहा कि ये कभी न खत्म होने वाला सिलसिला अभी भी चल रहा है और अब पाकिस्तान उस मुकाम पर पहुँच गया है, जब कोई भी देश कर्ज देने को तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान के एक मंत्री ने लोगों से कम चाय पीने के लिए कहा था, ताकि विदेशी मुद्रा की बचत की जा सके। देश के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा था कि पाकिस्तानी अपनी चाय की खपत को प्रति दिन ‘एक या दो कप’ कम कर सकते हैं, क्योंकि इसका आयात सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव डाल रहा है। इसके पहले एक एयरपोर्ट कर्मचारी ने देश में बढ़ते पेट्रोल के दामों को लेकर गधा गाड़ी से ऑफिस पहुँचने की अनुमति माँगी थी।