प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स (BRICS) की बैठक में शामिल होने के बाद अब ग्रीस पहुँचे हैं। पिछले 40 सालों में ग्रीस पहुँचने वाले वो पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। आखिरी बार सन 1983 में इंदिरा गाँधी ने बतौर प्रधानमंत्री ग्रीस की यात्रा की थी। ग्रीस पहुँचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहाँ की तस्वीरें साझा की हैं।
Amidst the historic landscapes of Greece, the warmth and hospitality of the Indian community shines brightly. A heartfelt thank you to them for the warm welcome. pic.twitter.com/kJO7O5bCLu
— Narendra Modi (@narendramodi) August 25, 2023
भारतीय मूल के लोगों से संवाद करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद करेंगे। इसके अलावा, वो ग्रीस के प्रधानमंत्री और उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता करेंगे। इसके बाद व्यापारिक समूह के साथ भी वे बातचीत करेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री की इस ग्रीस यात्रा की पृष्ठभूमि विदेश मंत्री एस जयशंकर की 2021 में हुई ग्रीस की यात्रा के बाद तैयार की, जो बेहद अहम है। आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रीस यात्रा की क्या रणनीति है?
यूरोप के लिए भारत का एंट्री प्वॉइंट बनेगा ग्रीस?
भारत यूरोपीय देश ग्रीस के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करना चाहता है। वहीं, ग्रीस चाहता है कि भारत उसके एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स का विस्तार करे। भारत भी उन्हें टर्मिनल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है। भारत की कोशिश है कि वो ग्रीस से चीनी प्रभाव को कम करे और अपने सामान की सप्लाई पूरे यूरोप में बढ़ाने के लिए ग्रीस यानि यूनान को बतौर एंट्री प्वॉइंट इस्तेमाल करें।
इसे इस बात से समझा जा सकता है कि भारत अब ईरान के चाबहार पोर्ट की उपयोगिता को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं रह गया है। चूँकि भारत की कोशिश थी कि चाबहार से आगे आर्मीनिया होकर भारत यूरोप के बाजार तक पहुँच बनाए, लेकिन आर्मीनिया और अजरबैजान में नागोर्नो-कराबाख को लेकर संघर्ष की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है।
ईरान-तुर्की की काट बनेगा ग्रीस!
वहीं, ईरान की चीन से बढ़ती नजदीकी की भी भारत काट चाहता है। इस समय अमेरिका से दुश्मनी के चलते ईरान-चीन की करीबी बढ़ी है। चीन ने ईरान और सऊदी अरब जैसे दो कट्टर दुश्मनों के बीच समझौता कर दिया है। ऐसे में ईरान की चीन से नजदीकी भारत को परेशान कर रही है। इसके अलावा, ग्रीस का इस्तेमाल कर वो पाकिस्तान के खास दोस्त और ग्रीस के कट्टर दुश्मन तुर्की को भी ‘चेक’ करके रख सकता है। इसके लिए ग्रीस और भारत रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हैं। ऐसे में भारत को दोहरा फायदा हो सकता है।
भारत-ग्रीस के बीच ऐतिहासिक जुड़ाव
ग्रीस का पुराना नाम यूनान है। यूनान यानि ग्रीस से भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। सिकंदर की सेना को टक्कर देने वाले राजा पुरु उर्फ पोरस ने सिंधु नदी के तट पर उसे रोक दिया तो मगध के महानंद वंश की ताकत को जानकर वो सिंधु के पार कभी आया ही नहीं। बाद में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के सेनापति रहे सेल्यूकस को युद्ध में हराया और उनकी बेटी से विवाह किया। तब से भारत और यूनान के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे हुए।