प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) प्रभावशाली देशों के समूह G-7 में हिस्सा लेने के लिए जापान के शहर हिरोशिमा पहुँच गए हैं। वहाँ उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से बात की। पीएम मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो 1974 में भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण के बाद एटम बम से कभी तबाह हुए शहर हिरोशिमा गए हैं।
जी-7 की बैठक हिरोशिमा शहर में ही आयोजित किया जा रहा है। पीएम मोदी हिरोशिमा में होटेल शेरेटन पहुँचे। वहाँ पर प्रवासी भारतीयों ने पीएम का स्वागत किया। उनके हाथों में तिरंगा था और ‘मोदी… मोदी…’ के नारे लगाए। इस दौरान पीएम मोदी ने उन लोगों के साथ बातचीत की।
#WATCH | Japan: Prime Minister Narendra Modi interacts with the members of the Indian diaspora as he reaches Sheraton Hotel in Hiroshima. pic.twitter.com/9Zj5Ye76tS
— ANI (@ANI) May 19, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 1974 में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण के बाद पहले ऐसे पीएम हैं, जो जापान के हिरोशिमा गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू साल 1957 में हिरोशिमा का दौरा किया था।
बता दें कि साल 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया था। इसके बाद ये दोनों शहर पूरी तरह तबाह हो गए थे। विध्वंस का शिकार होने के बाद जापान परमाणु अस्त्र के प्रसार के खिलाफ काम करने लगा। इसी दौरान साल 1974 में इंदिरा गाँधी की सरकार ने पहला परमाणु परीक्षण किया था।
Landed in Hiroshima to join the G7 Summit proceedings. Will also be having bilateral meetings with various world leaders. pic.twitter.com/zQtSZUpd45
— Narendra Modi (@narendramodi) May 19, 2023
भारत द्वारा परमाणु बम परीक्षण का सीधा असर जापान के साथ रिश्तों पर पड़ा। पश्चिमी देशों के साथ-साथ पश्चिमी देश भारत के खिलाफ खड़े हो गए थे। साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने फिर से परीक्षण किया तो जापान ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इसके कारण देश का कोई पीएम हिरोशिमा नहीं जा सका।
हिरोशिमा पहुँचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 मई 2023) को जापान की एक मीडिया हाउस निकेई एशिया को इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने कहा कि भारत पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध चाहता है। इसमें पड़ोसी देशों की जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद और दुश्मनी को भुलाकर मिलकर काम करें।
चीन को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा करने के लिए कटिबद्ध और तैयार है। पीएम मोदी ने कहा, “चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति आवश्यक है। भारत-चीन संबंधों का भविष्य का विकास केवल आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और हितों पर आधारित हो सकता है। इससे इस क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को लाभ होगा।”
इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि अगर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को स्थायी बनने से दूर रखा जाता है तो उसकी विश्वसनीयता और फैसले लेने की क्षमता पर सवाल उठते रहेंगे।