Monday, December 23, 2024
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इजरायली बॉयफ्रेंड की लाश के नीचे प्रेमिका ने छिप कर बचाई जान, प्रियंका गाँधी तुष्टिकरण की राजनीति में फिलिस्तीन पर दे रहीं ज्ञान

27 साल की नोआम ने उस भयानक दिन की याद को साझा करते हुए कहा कि वे अपने बॉयफ्रेंड के साथ उत्सव में व्यस्त थीं। अचानक हर तरफ विस्फोट होने लगे तो उन्हें लगा पटाखे छूट रहे हैं। अचानक हमास के आतंकियों ने धावा बोल दिया और ऑटोमेटिक हथियारों से हर तरफ कहर बरपाने लगे।

फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल में चौतरफा हमला करके बच्चे, महिलाएँ एवं बुजुर्ग सहित लगभग 1400 लोगों को मौत के घाट उतार दिए था। इसके बाद इजरायल ने हमास के खात्मे के लिए उस पर कार्रवाई कर रहा है। इसको लेकर कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा इजरायल को कठघरे में खड़ा कर रही हैं, जबकि हमास के वीभत्स कारनामों पर वह चुप रही थीं। हमास ने छोटेद-छोटे बच्चों के गले काट दिए थे। यहाँ तक कि उन्हें जिंदा जला दिया था।

हमास के हमलों में बाल-बाल बची ऐसी ही एक पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाई है। नोआम मजाल बेन-डेविड ने बताया कि जब हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला किया था, तब वह किबुत्ज में आयोजित फेस्टिवल में हिस्सा ले रही थीं। उस समय उनके साथ उनके बॉयफ्रेंड डेविड नेमन भी थे। आतंकियों ने नोआम के बॉयफ्रेंड को गोली मारकर हत्या कर दी और उन्हें बॉयफ्रेंड के शव के नीचे छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी थी।

हालाँकि, प्रियंका गाँधी ने हमास के बर्बर अत्याचार का इतनी पीड़़ा के साथ कभी विरोध नहीं किया। लेकिन, फिलिस्तीन पर कार्रवाई से उनकी उपजी पीड़ा भारत के चुनावी मौसम में काटी जा रही वोट की फसल के रूप में देखा सकता है। इसके कॉन्ग्रेस की पुरानी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के रूप में भी समझा जा सकता है।

दरअसल, प्रियंका गाँधी ने रविवार (5 नवंबर 2023) को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने कहा, “यह भयावह और शर्मनाक है, जिसे शब्दों बयां नहीं किया जा सकता कि लगभग 10,000 नागरिकों, जिनमें से लगभग 5000 बच्चे हैं, का नरसंहार किया गया है। पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया गया है। अस्पतालों और एम्बुलेंसों पर बमबारी की गई है।”

उन्होंने आगे कहा, “शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाया गया है, फिर भी ‘मुक्त दुनिया’ के तथाकथित नेता फ़िलिस्तीन में नरसंहार का वित्तपोषण और समर्थन जारी रखे हुए है। युद्धविराम सबसे छोटा कदम है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा तुरंत लागू किया जाना चाहिए, अन्यथा इसका कोई नैतिक अधिकार नहीं बचेगा।”

27 साल की नोआम ने उस भयानक दिन की याद को साझा करते हुए कहा कि वे अपने बॉयफ्रेंड के साथ उत्सव में व्यस्त थीं। अचानक हर तरफ विस्फोट होने लगे तो उन्हें लगा पटाखे छूट रहे हैं। अचानक हमास के आतंकियों ने धावा बोल दिया और ऑटोमेटिक हथियारों से हर तरफ कहर बरपाने लगे।

नोआम बताती हैं, “हम वहाँ से निकलने के लिए अपनी कार में बैठे, लेकिन आतंकियों ने निकलने के सारे रास्ते बंद कर दिए थे। बाहर निकलना असंभव था। एक सुरक्षा गार्ड चिल्लाते हुए कि अपनी जान बचाने के लिए भागो।” नोआम और डेविड भागने लगे। उन्हें स्टील की दो कंटेनर दिखे। वे दोनों उसमें घुस गए।

इसी दौरान आतंकियों ने ग्रेनेड फेंक दिया। इसमें उनकी दाईं दरफ के लोग मारे गए। इस हमले में वे दोनों बचे रहे। लगभग तीन घंटे तक वे उसी कंटेनर में छिपे रहे। इस दौरान बाहर के भयावह मंजर को वे अपनी कानों से सुनते रहे। नोआम ने बताया, “मैंने एक लड़की को चिल्लाते हुए सुना ‘कृपया मुझे मत ले जाओ। बस मुझे अकेला छोड़ दो’। लेकिन उन लोगों ने लड़की के क्रूरता की हदें पार कीं।”

अचानक हमास का एक आतंकी कंटनेर में कूद गया और अल्लाह हू अकबर चिल्लातेे हुए लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगा। नोआमी ने बताया कि वह कंटेनर में अंदर की तरफ चली गई थीं। इसी दौरान नोआम ने देखा कि उनके बॉयफ्रेंड डेविड के सीने में गोली लगी हुई है और वह मृत है। वहीं, पड़ी एक लड़की का कंधा ब्लास्ट में उड़ गया है।

नोआम ने मान लिया कि अब उनकी भी मौत निश्चित है। इसके बाद वह अपनी आँखें बंद करके मौत की प्रतीक्षा करने लगीं। हालाँकि, आतंकियों की गोली उनके पैर और हीप में लगी थी और खून बह रहा था, लेकिन वह हिली नहीं। आतंकियों को लगा कि वह मर गई हैं और वे वहाँ से चले गए।

कुछ घंटों के बाद इजरायल की सेना IDF वहाँ पहुँचीं तो इन्हें वहाँ से ले गई। उस कंटेनर में छिपे 16 लोगों में सिर्फ चार लोग ही बच पाए। बचे हुए सभी लोगों को ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ दिनों के ईलाज के बाद वह स्वस्थ हो गईं और दुनिया के सामने उस घटना का जिक्र किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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