“तुम मेरे साथ रेप करने वाले हो, प्लीज दरवाजा बंद कर लो, दूसरे सैनिकों को मत देखने दो।”
“तुम मेरी बहन हो, तुम अरबी लड़की हो, तुम सुरक्षित हो… मैं तेरे साथ सोना चाहता हूँ। अपने बेडरूम में ले चलो।”
ऊपर दो अलग-अलग महिलाओं की आपबीती है। दोनों महिलाएँ सूडान की हैं। ऐसी आपबीती सिर्फ दो पीड़ित तक सीमित नहीं है बल्कि हजारों महिलाओं-बच्चियों की है। जिन लोगों ने इनके साथ रेप-गैंगरेप किया है, वो अरबी लड़ाके या सैनिक हैं। जिन पर यह सब बीत रही है, वो भी अरब से पैदा हुए मजहब इस्लाम को ही मानने वाले हैं। यह सब इतने व्यापक स्तर पर हो रहा है कि सूडान एक देश के तौर पर खत्म भी हो सकता है, ऐसा संयुक्त राष्ट्र का मानना है।
सूडान में जो मार-काट मची है, यह महीनों से चली आ रही। शुरुआती लड़ाई में एक पक्ष दूसरे पक्ष को मार रहा था, मर रहा था। कुछ ही दिनों के बाद लड़ने वाले ‘मर्दों’ ने इसका दायरा बढ़ा लिया है – महिलाएँ और बच्चियों का शिकार किया जाने लगा। सूडान में जिनके साथ यह हैवानियत हो रही, उनमें से कुछ ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की टीम को अपनी-अपनी आपबीती बताई है। भयावह रेप-गैंगरेप से गुजरने के बावजूद सिर्फ कुछ पीड़ित ही आपबीती सुना पा रहे। एक मानवाधिकार शोधार्थी ने इसके पीछे की वजह बताया – सूडान का इस्लामी समाज और इनकी रूढ़िवादी सोच। इस शोधार्थी ने बताया:
“यहाँ एक रूढ़िवादी मुस्लिम समुदाय है। ये महिलाओं के शरीर को कितनी ‘शुद्ध’, कितनी ‘स्वच्छ’ के नजरिये से देखते हैं। विपक्षी लड़ाकू सेना के लोग यौन हिंसा को एक हथियार के तौर पर देखते हैं, इसलिए नस्लीय हो या मजहबी, महिलाओं के साथ रेप करके वो पीड़ित पक्ष को दिखाना चाहते हैं कि तुम्हारी महिलाओं का स्थान सबसे निचले पायदान पर है।”
सूडान में रेप किनके साथ, कैसी पाशविकता
सबसे ऊपर 2 रेप पीड़िता की जो आपबीती है, वही सबसे भयावह है, ऐसा नहीं है। मीडिया रिपोर्ट में जितनी भी घटनाएँ सामने आई हैं, वो ऊपर से कम भयावह नहीं है।
- एक महिला और उनकी 3 बेटियों का बलात्कार किया गया, एक ही जगह पर, सबको एक-दूसरे के सामने।
- 2 बच्चियों का रेप उनके पिता के सामने किया गया। इनमें एक की मौत आंतरिक रक्तस्राव से हो गई। दूसरी बच गई लेकिन पिता की मौत सदमे के कारण हो गई।
- 15 साल की एक बच्ची के सामने उनके माँ-पिता को मार दिया गया। फिर 5 लोगों ने उसके और उसके एक दोस्त के साथ गैंग-रेप किया। गैंगरेप के बाद उस दोस्त को भी गोली मार दी गई।
- एक महिला को उसके पूरे परिवार को मारने की धमकी दी गई, उसकी बेटी को सेक्स-गुलाम बनाने के लिए कहा गया। सबको बचाने के लिए उस महिला ‘हार’ मानते हुए खुद का बलात्कार करवाया।
- 25 साल की एक मानवाधिकार कार्यकर्ता महिला के घर पर हमला किया गया, उसके छोटे भाई को मार डाला, बाप-बहन को घायल किया, 15 साल की छोटी बहन को अगवा कर लिया। मानवाधिकार कार्यकर्ता को कहा गया कि आकर अपना बलात्कार करवाओ, तब छोटी बहन को रिहा करेंगे। ‘हार’ मान कर अपनी बहन को बचाने के लिए वो खुद अपना गैंग-रेप करवाने अरबी लड़ाकों के पास गईं।
- 24 साल की एक महिला का रेप उसके ही घर में किया गया, उसकी माँ से बस कुछ फीट की दूरी पर।
- 19 साल की एक लड़की के सामने उसकी माँ को गोली मार दी गई। अफरा-तफरी में उसके 5 छोटे भाई-बहन बिछड़ गए। फिर इसके साथ 3 दिनों तक 4 लोगों के द्वारा गैंग-रेप किया गया।
- अपने-अपने स्कूल/कॉलेज की टॉपर 3 लड़कियों का गैंगरेप सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि ये तीनों अरबी लोगों से अलग मसालित (Masalit) समुदाय से आते हैं।
- 19 साल की एक लड़की का 4 लोगों ने 3 दिन तक गैंगरेप किया।
- एक महिला का बलात्कार उसके पूरे परिवार के सामने किया गया।
- 28 साल की एक मानवाधिकार कार्यकर्ता महिला को उसके घर से उठा लिया गया, घंटों तक उसका गैंगरेप किया गया।
- एक वीडियो में सैनिक की वर्दी पहने लोग हवा में गोली चला रहे थे, कुछ निगरानी कर रहे और बाकी बचे खुलेआम रेप कर रहे थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार सूडान की 40 लाख महिलाओं और लड़कियों पर यौन हिंसा और बलात्कार का खतरा है। अरबी प्रभुत्व वाला पैरामिलिट्री समूह और अरबी बंदूकधारी लोग मसालित (Masalit) समुदाय की महिलाओं-लड़कियों को निशाना बना रहे हैं। मसालित समुदाय के लोग सामान्यतः गहरे रंग के होते हैं। इस्लाम में जाति-रंग-लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है, इन वहशी घटनाओं से यह भ्रम भी टूटता है।
रेप के बाद महिलाएँ किस मानसिक तनाव से जीती हैं, वो एक पीड़ित की आपबीती से समझ सकते हैं। उसने अपने मासिक धर्म को लेकर कहा:
“रेप के 4 दिन के बाद मुझे पीरियड आए। हर महीने आने वाला पीरियड दर्द के साथ आता था, उस दिन जो पीरियड आया, वो सबसे बड़ी राहत लेकर आया था।”
रेप के कारण गर्भवती होना पीड़ित महिलाओं या लड़कियों के लिए अभिशाप कैसे है, इसे 24 साल की रेप पीड़िता की आपबीती से समझा जा सकता है। इनका गैंग-रेप इनकी माँ के सामने किया गया। फिर मार कर भगा दिया गया। मेडिकल फैसिलिटी के अभाव में इन्होंने 2 महीने गुजार दिए। तब जाकर इनको पता चला कि वो गर्भवती हैं। अब इन्होंने रोते हुए बताया कि ऐसा बच्चा इनको नहीं चाहिए।
जब ‘विदेशियों’ के साथ रेप, तब चुप था समाज
सुडान में जब गृहयुद्ध शुरू हुआ, तो उस समय ‘विदेशी महिला’ के साथ रेप की खबरें सामने आईं। लोगों ने इसको लेकर कानाफूसी की, चटखारे लिए। यह खबर लेकिन न तो मीडिया में उछली, न ही सामाजिक चेतना जगा पाई। क्यों? क्योंकि तब इसी देश के लोग और महिलाएँ आपस में बात कर रहे थे कि रेप या गैंगरेप सूडानी लड़कियों के साथ नहीं हो रहे, वो लोग सुरक्षित हैं।
जल्द ही इन सबका भ्रम टूट गया। सूडानी महिलाएँ, लड़कियों, बच्चियों तक को भी नहीं बख्शा गया। 50 साल से ऊपर तक की महिलाओं को भी शिकार बनाया गया। हिंसा प्रभावित इलाकों से निकल कर महिलाओं के प्रति हिंसा अन्य इलाकों तक में फैल गई।
संयुक्त राष्ट्र के दर्जन भर से ज्यादा एक्सपर्ट सूडान में हो रहे रेप, गैंगरेप को लेकर बड़ी चिंता जता चुके हैं। इस चिंता की कई वजह है। सबसे बड़ी वजह है – सूडान की 97% सुन्नी मुस्लिमों की आबादी। जिनका रेप या गैंगरेप किया जा रहा, वो भी इस्लाम को मानने वाले… जो रेप या गैंगरेप कर रहे, वो सब भी मुस्लिम। मतलब मसला मजहबी नहीं है, बल्कि नस्ली है, समुदाय-संबंधी है। आपसी वर्चस्व की लड़ाई है। यूएन की टीम का मानना है कि यह नस्लीय नरसंहार की ओर जा रहा है।
15 अप्रैल 2023 से सूडान में एक तरह का गृहयुद्ध चल रहा है। 10000 से ज्यादा लोग अब तक मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार मौत के भय से 63 लाख लोग अपने-अपने घरों को छोड़ कर भाग गए हैं। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, यौन शोषण, बलात्कार, गुलामी, तस्करी, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन शादी आदि की भी कई रिपोर्ट हैं। इनमें से कई मामले नस्लीय, जातीय और राजनीति से प्रेरित भी हैं। संयुक्त राष्ट्र की टीम ने अपील करते हुए कहा:
“सूडान में हो रहे अत्याचारों और बड़े पैमाने पर होने वाली यौन हिंसा पर दुनिया को चिंतित होने की जरूरत, न कि आँखें मूंदने की।”
आखिर कौन हैं जो सूडान में लड़ रहे हैं? एक तरफ से लड़ने वाले हैं – सूडान आर्मी चीफ अब्देल फताह अल-बुरहान (Abdel Fattah al-Burhan) के समर्थक और लड़ाके। दूसरी तरफ हैं वहाँ की पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के कमांडर मोहम्मद हमदान दाग्लो के वफादार। मोहम्मद हमदान दाग्लो (Mohamed Hamdan Daglo) कभी आर्मी चीफ अब्देल फताह अल-बुरहान का डेप्यूटी भी रहा था।