रूस और यूक्रेन के बीच इन दिनों युद्ध का माहौल बना हुआ है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस को बातचीत का प्रस्ताव भी भेजा है। वहीं यूक्रेन के दो सैनिकों की मौत के बाद स्थिति ज्यादा गंभीर नजर आने लगी है। रूस दावा कर चुका है कि वह अपनी सेना पीछे हटा रहा है लेकिन अमेरिका का कहना है कि सच कुछ और है। व्लादिमीर पुतिन की कथनी और करनी में अंतर है। अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने अपनी सेना को युद्ध के लिए आगे बढ़ने का आदेश दे दिया है।
यूक्रेन में टारगेट किलिंग करेगा रुस: अमेरिका का दावा
अमेरिकी खुफिया विभाग का कहना है कि रूसी सेना को हमले का आदेश दे दिया है और योजना के अंतिम चरण में काम चल रहा है। इसके साथ ही अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख को भेजे पत्र में दावा किया है कि रूस जंग के दौरान यूक्रेन में कुछ चुनिंदा लोगों को मार देगा। कुछ लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा। इन सब के नामों की लिस्ट तैयार कर ली गई है, यानी यह एक टारगेट किलिंग होगी। इससे पहले NATO ने भी ऐसी ही आशंका जाहिर की थी। पत्र में यह भी दावा किया गया है कि रूसी सेना शांतिपूर्ण विरोध को खत्म करने के लिए घातक उपाय करेगी।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत बाथशेबा नेल क्रोकर ने इस बात की चेतावनी दी है कि यदि रूस, यूक्रेन पर हमला करता है और उस पर कब्जा करता है तो यूक्रेनी लोगों पर अत्याचार का पहाड़ टूट सकता है। उन्हें अपहरण या यातना का सामना करना पड़ सकता है। यहां रूस की अगुआई में बनी सरकार नाखुश लोगों, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बना सकती है। हालाँकि प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने अमेरिकी खुफिया की इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है।
बता दें कि कुछ दन पहले अमेरिका ने कहा था कि रूस ने यूक्रेन के बॉर्डर पर 15 लाख सैनिक लगा दिए हैं। इसमें से आधे सैनिक अटैक पोजीशन पर हैं। हालाँकि रूस ने इस बात से इनकार किया था। उसने यूक्रेन से आश्वासन माँगा था कि वह कभी NATO में शामिल नहीं होगा।
रूस क्यों कर रहा है यूक्रेन के नाटो से जुड़ने का विरोध?
यूक्रेन की रूस के साथ 2 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो नाटो सेनाओं की पहुँच रूसी सीमा तक हो जाएगी। ऐसे में यूक्रेन से लड़ाई की सूरत में नाटो के देश रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं, जो रूस की सुरक्षा के लिए बिलकुल अच्छा नहीं होगा। अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया, तो रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। यही वजह है कि रूस यूक्रेन के नाटो से जुड़ने को लेकर चेतावनी जारी करता रहा है। रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन कभी भी नाटो से नहीं जुड़ेगा।
यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं कितने रूसी सैनिक?
अमेरिका का दावा है कि पिछले दो महीने से यूक्रेन की सीमा पर रूस के 1.50 लाख से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। इनमें से हजारों की संख्या में सैनिक यूक्रेन के करीब और रूसी कब्जे वाले शहर क्रीमिया में तैनात हैं। साथ ही यूक्रेन की सीमा के आसपास रूस ने अपने इलाके में कई फाइटर जेट भी तैनात कर रखे हैं। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि रूस के फाइटर जेट एकदम हमले के लिए तैयार मोड में रखे गए हैं।
रूस ने लगाया यूक्रेन पर गोलीबारी का आरोप
रूस का आरोप है कि यूक्रेन की तरफ से सीमापार जबरदस्त गोलीबारी की गई जिसकी वजह से उसे नुकसान हुआ है। रूसी समाचार एजेंसियों ने सुरक्षा सेवा के हवाले से खबर दी कि 21 फरवरी की सुबह 9:50 बजे यूक्रेन से दागे गए एक अज्ञात गोले ने रूसी-यूक्रेनी सीमा से लगभग 150 मीटर की दूरी पर रोस्तोव क्षेत्र में FSB सीमा रक्षक सेवा द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सीमा सुविधा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। FSB ने पुष्टि की है कि शनिवार को रूसी रोस्तोव क्षेत्र में दो गोले दागे गए थे। रूस की जाँच समिति ने यूक्रेनी क्षेत्र से रूसी क्षेत्र पर गोलाबारी पर आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी है।
रूस ने यूक्रेन पर गोलीबारी का आरोप लगाया
समिति ने कहा कि शनिवार सुबह यूक्रेन के क्षेत्र में अज्ञात व्यक्तियों ने कई रॉकेट लांचरों का उपयोग करते हुए रोस्तोव क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों पर गोलियाँ चलाईं। हालाँकि, कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ। जानकारी के अनुसार घटना स्थल का अभी भी निरीक्षण किया जा रहा है। वहीं यूक्रेन ने रूस के इन आरोपों को खारिज किया है। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा कि हम रूसी क्षेत्र में किसी भी कथित यूक्रेनी गोलीबारी के सभी आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं।
रूस-यूक्रेन विवाद में भारत है किसके साथ?
भारत ने रूस-यूक्रेन विवाद में अब तक किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है, बल्कि उसने तटस्थ रुख अपना रखा है। भारत ने दोनों पक्षों से मामले के शांतिपूर्ण ढंग से निपटारे की अपील की है। भारत ने 2014 में रूस के क्रीमिया पर कब्जे के दौरान भी खुलकर रूस का विरोध नहीं किया था। यूक्रेन में 18 हजार मेडिकल स्टूडेंट्स समेत 20 हजार भारतीय फँसे हैं, जिन्हें सुरक्षित निकालना भारत की प्राथमिकता है।