दुनिया को जिस बात का डर था, वह हो गया है। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है, दुनिया के तमाम देशों की अपील को दरकिनार करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले का आदेश दिया। रूसी सेना ने तबाही मचाना शुरू किया तो यूक्रेन का मंजर पूरी तरह से बदल गया। इस युद्ध से क्रीमियाई तातार मुस्लिम भी सिहर उठे हैं।
1991 में यूक्रेन द्वारा खुद को स्वतंत्र देश घोषित किए जाने के बाद यूक्रेन लौटे 53 वर्षीय क्रीमियाई तातार मुस्लिम एरफान कुडुसोव ने अलजजीरा से बात करते हुए कहा, “जब बुजुर्गों ने पहली बार हवाई जहाज से उतरकर यूक्रेन की जमीन पर कदम रखा तो उन्होंने यूक्रेन की धरती को चूम लिया। लोग खुशी से रो रहे थे। वो अपने घर लौट आए थे।”
कौन हैं तातार मुस्लिम
तातार मुस्लिम मंगोलों के वंशज हैं। जिन्होंने कई सदियों तक क्रीमिया पर शासन किया था। जब 1783 में रूस की महारानी ‘कैथरीन द ग्रेट’ ने क्रीमिया पर कब्जा किया, तब उनकी हैसियत घटने लगी थी। तातार अपने ही मुल्क़ में दोयम दर्ज़े के हो गए। वर्ष 1991 में सोवियत संघ विघटित हुआ। यूक्रेन रुस के तत्कालीन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की महत्वाकांक्षा की जद में रहा।
तातार मुस्लिमों के पलायन का इतिहास
इधर 1922 में जोसेफ स्टालिन सोवियत संघ का सर्वेसर्वा बन गया। क्रीमिया के तातार भी जोसेफ स्टालिन के निशाने पर थे। वो बस एक मौका चाहता था। ये मिला एक रिपोर्ट की शक्ल में। अप्रैल 1944 में सीक्रेट सर्विस का मुखिया लावरेन्त बेरिया एक फाइल लेकर स्टालिन से मिला। इसमें उन तातार मुस्लिमों की लिस्ट थी, जिन्होंने जर्मन सेना का सहयोग किया था। स्टालिन ने फाइल पर नजर डाली और एक क्रूर आदेश लिखा।
इसके बाद जब तातार लोग नींद की आगोश में थे, अचानक उनके दरवाजे खटखटाए जाने लगे। लोग अवाक रह गए। स्टालिन का फरमान था कि 15 मिनट में सामान समेटो और घर छोड़ दो। इन 180,000 बेघर अभागे तातारों को मालगाड़ियों में पशुओं की तरह ठूँस दिया गया। हफ्तों का कठिन कष्टप्रद सफर। कई तो यात्रा के दौरान ही मर गए। पूरे क्रीमिया से करीब 2.30 लाख तातार मुस्लिमों को उज्बेक प्रांत, उराल अंचल और साइबेरिया ले जाया गया। बाद में कुछ तातार लौटे भी, लेकिन व्लादिमीर पुतिन के क्रीमिया में आने के बाद तातारों के बुरे दिन फिर लौट आए।
मार्च, 2014 में जनमत संग्रह हुआ और सेवस्तोपोल समेत क्रीमिया को रूस शासित प्रांत घोषित कर दिया गया। उसी साल यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन हुआ। 1991 में सोवियत संघ से आजाद होने के बाद ये पहला मौका था, जब यूक्रेन में रूस विरोधी सरकार बनी। वहाँ पर उठे विरोधी स्वर को देखते हुए 2014 में ही रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला और क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद हालात और बिगड़ने शुरू हो गए। तातार मुस्लिमों को क्रीमिया छोड़कर यूक्रेन भागना पड़ा। रुस की तरफ से युद्ध की शुरुआत करने के बाद अब उन्हें एक बार फिर से पलायन का डर सता रहा है। पिछले वर्षों में लाखों की संख्या में तातार पलायन कर चुके हैं और बड़ी संख्या में तातार प्रताड़ित, कत्ल या गिरफ्तार हुए हैं।