ब्रिटेन की राजधानी लंदन में पाकिस्तान समर्थित समूहों और कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने कश्मीर मुद्दे पर अगले रविवार (अक्टूबर 27, 2019) यानी दिवाली के दिन भारत विरोधी मार्च निकाले जाने की योजना बनाई है। जानकारी के मुताबिक ये विरोध मार्च 27 अक्टूबर को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आवास डाउनिंग स्ट्रीट के पास रिचमंड टेरेस से शुरू होकर भारतीय उच्चायोग भवन के बाहर इकट्ठा होना है।
कथित तौर पर बर्टन क्षेत्र में पाकिस्तान समर्थित समूहों और मस्जिदों ने मार्च में भाग लेने वाले लोगों को मुफ्त में मार्च स्थल तक ले जाने के लिए कोचों को किराए पर लिया है। उन्होंने जानबूझकर 27 अक्टूबर को हिन्दुओं द्वारा मनाए जाने वाले पर्व दिवाली को ‘कश्मीरियों के लिए काला दिवस’ बताने के लिए यह योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि विरोध मार्च के दौरान भारतीय उच्चायोग के बाहर 5000 से 10000 लोगों के इकट्ठा होने की उम्मीद है, जहाँ भारतीय प्रवासी दल के सदस्य रोशनी का पर्व दिवाली मनाने के लिए एकजुट होंगे।
ब्रेंट के भारतीय मूल के सांसद नवीन शाह ने इस विरोध प्रदर्शन को लेकर संभावित हिंसक स्थितियों को लेकर लंदन के मेयर सादिक खान के समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की थी। जिसके बाद 18 अक्टूबर को मेयर सादिक खान ने पत्र लिखकर कहा कि वो दिवाली के अवसर पर किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के विरोध से ब्रिटेन की राजधानी लंदन में बँटवारा और तेज होगा। इसके साथ उन्होंने आयोजकों और इसमें शामिल होने वाले प्रदर्शनकारियों से विरोध मार्च रद्द करने की अपील की है।
सादिक खान ने लिखा है, “मैं पूरी तरह से लंदन में भारतीय उच्चायोग के आसपास के क्षेत्र में दिवाली के शुभ दिन पर विरोध मार्च की योजना की निंदा करता हूँ।” खान ने आगे कहा कि मार्च के दौरान किसी तरह की हिंसा को रोकने के लिए उनका कार्यालय पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस पत्र में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस और उसके बाद भी कई बार विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का भी उल्लेख किया है।
हालाँकि, खान ने विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने में असमर्थता जताई है। उन्होंने कहा कि केवल गृह सचिव ही विरोध पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। इसलिए उन्होंने पत्र की एक प्रति गृह सचिव प्रीति पटेल और मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर क्रेसिडा डिक को भेज दी है। बताया जा रहा है कि इस भारत विरोधी मार्च में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कथित राष्ट्रपति सरदार मसूद खान और प्रधानमंत्री राजा मुहम्मद फारूक हैदर खान भी शामिल हो सकते हैं। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद पाक समर्थकों ने कई बार विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटना को अंजाम दिया है।