हाल ही में स्वीडन के स्कॉटहोम के सोलना इलाके में एक कब्रिस्तान में दो किशोर लड़कों के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया, उसे यातनाएँ दी गई और फिर उसे जिंदा दफना दिया गया।
घटना शनिवार सुबह लगभग 11 बजे की है। पुलिस का कहना है कि लड़कों द्वारा एक प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद दोनों को कब्रिस्तान ले जाया गया। बताया जा रहा है कि अपराधी माइग्रेंट बैकग्राउंड से हैं। बता दें कि यह स्वीडन के धुर दक्षिणपंथी समूह ‘Stram Kurs’ की ओर से कुरान बर्निंग रैली आयोजित करने के विरोध में माल्मो शहर में भड़के दंगों से 6 दिन पहले की घटना है।
रात के समय अचानक से जुटे संप्रदाय विशेष के दंगाइयों ने मजहबी नारों के साथ हिंसा शुरू कर दी। उनकी संख्या 300 के करीब बताई जा रही है। जब पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो उन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि 1 दिन पहले कुरान जलाए जाए के कारण ही ये हिंसा हुई है।
इस घटना में 21 साल के ईरानी आप्रवासी और स्वीडन में ट्यूनीशियाई पिता से पैदा हुए एक 18 साल के आरोपितों ने पीड़ित लड़कों को जबरन गड्ढे में जिंदा आंशिक रूप से दफन कर दिया था। अपराधियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने उनके साथ बलात्कार किया। संदिग्धों पर अपहरण, हमले, डकैती और बलात्कार के आरोप लगाए गए हैं।
पीड़ितों की सटीक उम्र के बारे में अभी पता नहीं चला है, हालाँकि उनकी उम्र 15 साल से कम बताई जा रही है। दोनों आरोपितों ने आरोपों से इनकार किया है। आरोपितों द्वारा अपहरण किए जाने के 10 घंटे बाद रविवार सुबह 8.39 बजे लड़कों को एक राहगीर ने देखा। आरोपित तब तक उन लड़कों को पीटते रहे, जब तक कि लड़के राहगीरों की मदद से पुलिस को बुलाने में कामयाब नहीं हो गए।
दोनों पीड़ितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। दोनों संदिग्धों को घटनास्थल से भागते हुए गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर अपहरण, उग्र हमले, लूट और बलात्कार के आरोप लगाए गए। पुलिस को अपराध के मकसद का पता नहीं चला है।
स्वीडन के समाचार आउटलेट Aftonbladet के मुताबिक फिलहाल ने इस संभावना की जाँच कर रहे हैं कि अपराधियों ने युवा लड़कों को ड्रग्स की पेशकश की थी, मगर लड़कों ने उसे खरीदने से मना कर दिया। जिसके बाद उसे जबरन खींचकर कब्रिस्तान ले जाया गया और फिर उन्हें निर्वस्त्र कर उनके साथ बलात्कार किया गया। उन्हें जमीन में एक गड्ढे में लेटने के लिए भी मजबूर किया गया। मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियुक्त को अभी हिरासत में रहना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले नवम्बर 2019 में नार्वे में इस्लाम के ख़िलाफ़ हुई रैली में एक व्यक्ति ने कुरान जला दी थी, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया था। प्रदर्शन में लगे एक समूह के नेतृत्व कर रहे लार्स थोर्सन ने पवित्र कुरान की पुस्तक में आग लगा दी थी। इसके बाद विरोध-प्रदर्शन कर रहे गुट और इस्लाम समर्थक गुट के बीच जम कर झड़प होने के बाद हालात बिगड़ गए थे।